मिट्टी का मटका और रिशते
मिट्टी का मटका और रिशते
मिट्टी का मटका" और "परिवार की कीमत"... सिर्फ बनाने वाले को पता होती है, तोड़ने वाले को नहीं। इस दुनिया में रिश्ते एक दूसरे का "ख्याल" रखने के लिए बनाए जाते हैं, एक दूसरे का "इस्तेमाल" करने के लिए नहीं। किसी एक्स-रे रिपोर्ट में भी नहीं आते हैं, जो "जख्म" अपने ही दे जाते हैं। हमें कभी रिश्ते तोड़ने तो नहीं चाहिए लेकिन जहां कदर ना हो वहां निभाने भी नहीं चाहिए, क्योंकि जिंदगी में कुछ लोग सिर्फ इसलिए आते हैं ताकि वो आपको सिखा सके कि अकेले कैसे रहना है। एक ही सिस्टम रखिये, कम रिश्ते बनाइये और उन्हें दिल से निभाइए! जीवन का एक कड़वा सच:- जिस कॉपी पर सभी विषयों को संभालने की जिम्मेदारी होती है, अक्सर वही रफ कॉपी बन जाती है। परिवार में भी "जिम्मेदार इंसान" का यही हाल होता है। जिन रिश्तों में हर बात का मतलब समझाना पड़े और सफाई देनी पड़े, वे रिश्ते नहीं बोझ होते है, जीतने के बाद तो सारी दुनिया गले लगाती है, लेकिन जो हारने के बाद गले लगाये... वही तो अपना है।
