रोजी रोटी
रोजी रोटी
छत्तीसगढ के अधिकांश मजदूर लोग अपने परिवार के लिये कमाने दुर के इलाकों में जाते है ।और छुट्टी मे घर आते है ।नये साल के बाद वे अपनी पत्नि से वादा कर के गये होली खेलने जरूर आयेंगे पर कहां किसी को पता था कि ऐसा होगा अपने ठेकेदार से छुट्टी भी ले लिये और बाजार के लिये नीकले पर ये क्या सब के मुंह पर मास्क और बाजार बंद बेचारे गरीब अशिक्षीत लोग समझ ही नहीं पाये अचानक क्या हुआ ।कोरोना घुम रहा बाहर पकड़लेगा इतना ही समझ पाये और अपने घर पहुंचने की हड़बड़ी में स्टेशन पहुंचे वहां सभी गाड़ीया थम चुकी थी इतनी गाड़ीयों को एकसाथ स्टेशन में पहली बार खड़ी देखे ट्रेन के पहिये थम गये थे।समझ नहीं आया वे कैसे घर पहुंचे ।तभी पता चला किसी भले इंसान ने अपनी खुद की बसो को लोगो के घर पहुंचाने में लगाया है।बेचारे गलीब मजदूर किसी तरह बस में बैठे भुखे प्यासे वे 12-13 घन्टे का सफर तय करके अपने परिवार के पास पहुंच पाये और डरते हुये घरो के अंदर ही अपनो के साथ रंगो में रंग गये और खुशीयां मनाये।