गायत्री
गायत्री
घर में काम करने वाली गायत्री को काम पर आने में कुछ दिनो से रोज देरी हो रही थी बार बार डांट खाकर भी वो चुप रहती कुछ बोलती नहीं उसकी इस चुप्पी मे अलग बात थी एकदिन मैं सोची कि उसके घर जाकर पता करना चाहिये आखिर बात क्या है मैं घर पहुंची तो वो घर में नहीं थी पता चला वो रोज सुबह पढ़ने जाती है मुझे आश्चर्य हुआ कि इसकी तो शादी होने वाली है फिर अभी पढ़ने की क्या उम्र उसकी ।जब मैंने उससे पुछा तो उसके जवाब को सुनकर मुझे उस पर गर्व हुआ ।उसका जवाब था कि वो तो अनपढ़ थी पर वह अपने होने वाले बच्चे का जीवन ऐसा नहीं नहीं चाहती थी।
गायत्री की शादी हो रही थी उस गांव मे सभी अनपढ़ थे ये बात उसे शादी के बाद पता चली उसके पति को जब पता चला कि गायत्री को पढ़ना लिखना आता है।तो सरपंच से बात करके वो आंगन बाड़ी खुलवाकर वहां पर गायत्री को बच्चो को पढ़ाने भेजने लगा अब गायत्री खुद के बच्चो के साथ पुरे गांव के बच्चो को पढ़ाती है बच्चो के साथ बड़े भी आते है पढ़ने उस आंगन बाड़ी में गांव वाले गायत्री को मास्टरनी जी कहते है आज मुझे बहुत खुशी होती है मेरे घर में काम करने वाली गायत्री अपनी मेहनत से अपनी पहचान बना पाई।