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Anita Koiri

Inspirational

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Anita Koiri

Inspirational

रोहिणी का एनजीओ

रोहिणी का एनजीओ

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रोहिणी को मैंने बचपन से बड़ा होते हुए देखा है, वो मेरे घर के ठीक सामने वाले घर में ही रहती थी ।रोहिणी अपने घर परिवार के तीनों भाई बहन में सबसे बड़ी है। रोहिणी ने कभी किसी को पलटकर जवाब न दिया हो , शायद ऐसा मुहल्ले में कोई नही है । रोहिणी मेरी दोस्त नहीं थी , वो तो मुझसे चार साल बड़ी थी। रोहिणी की छोटी बहन की शादी पहले ही हो गई, क्योंकि वो रोहिणी से सुंदर, साफ, लंबी और ज्यादा पढ़ी लिखी थी।

हमारी रोहिणी में ये सब ऊपरी गुणों में से एक भी गुण न था। रोहिणी कम बोलती नहीं, ज्यादा पढ़ी नहीं, रंग गोरा नहीं, और अब तो उम्र का तीसवां साल भी लग भी चुका है।रोहिणी लगता है अब रोती होगी , बिल्कुल टूट चुकी होगी , अगर ऐसा कोई सोचता है तो बिल्कुल ही ग़लत सोचता है।

रोहिणी की जिंदगी वास्तव में तब बदली, जब उसके छोटे भाई ने उसे घर से धक्के मार कर निकाल दिया। रोहिणी की मां मर चुकी थी और घर में उसे उसकी भाभी रखना नहीं चाहती थी।

अब दस साल बीत चुके थे।रोहिणी ने अपना घर बनाया था बसाया नहीं था। रोहिणी ने अपना एक बड़ा सा मकान बनाया और उसे वो एक एनजीओ बना चुकी है। उस एनजीओ में घर से भगा दी गई महिलाएं और बच्चियां रहती हैं और हां वे खुश रहती हैं।

इतना सब कुछ क्या सिर्फ समय ने बदल दिया, शायद नहीं , लगता है किस्मत ने भी साथ दिया होगा। मगर रोहिणी के तो समय और किस्मत दोनों ने ही धोखा दिया था फिर ऐसा असहज परिवर्तन कैसे हुआ।

रोहिणी को जब उसके भाई ने भगा दिया तो उसे एक एनजीओ का सहारा मिला था। वो उस एनजीओ में काम मांगने पहुंची थी । जब वहां के मैनेजर ने कहा कि तुम तो पढ़ी लिखी नही हो यहां का काम कर पाओगी? तब रोहिणी ने जवाब दिया था "अगर आप मुझे ये काम नहीं देंगे तो मुझे मरना ही पड़ेगा क्योंकि मेरे पास न परिवार है न ही पैसे हैं। "

वो दिन था और आज का दिन है , रोहिणी ने अपने काम को मन लगाकर किया और उसके मेहनत की जीत हुई । आज रोहिणी मैनेजर मैडम है और उसी एनजीओ का एक दूसरा ब्रांच खोल चुकी हैं और वो औरतें और बच्चे ही उसका परिवार है।



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