रिजल्ट

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‘फेल हो गए तो मुंह मत दिखाना मुझे।’

कॉलेज के गेट से बाहर निकलते हुए उसके कानों में सुबह पापा के कहे एक एक शब्द गूंजने लगे। युद्ध में हारे हुए सैनिक की भांति भारी कदमों से हाथ में फर्स्ट इयर बी.एस. सी. की मार्क्सशीट वह अपनी ही धुन में चला जा रहा था।

‘तेरे दादा पूरे जिले के शिक्षा अधिकारी थे। बड़ी मेहनत से इंजीनियरिंग कर मैंने भी नाम कमाया। तू एक है कि बंदरों की तरह नाचकूद कर खानदान का नाम डुबाने पर तुला ह ।’ सहसा उसे लगा उसके कानों में खौलता तेल उड़ेल दिया। उसका मन हुआ जोर से चीख उठे।

‘छुटकी लड़की होकर भी हर साल क्लास में टॉप करती है।’ छुटकी जाने बहन मिटकर अब उसकी प्रतिद्वंदी बन गई। 

‘ये क्या सुबह सुबह इसके रिजल्ट के दिन उल्टा सीधा बक रहे हो। जवान होता लड़का है, तैश में आकर यूं ही कुछ कर बैठा तो ............’

‘तुम्हारें लाड़ प्यार ने ही बिगाड़ रखा है इसे। नाम डुबाने के अलावा कर ही क्या सकता है ?’ मम्मी की कैफियत के आगे पापा के कड़वे बोल उसके दिल के पार उतर गए।

तरह तरह के विचारों में उलझते हुए उसके कदम आप ही नजदीक की मेडिकल स्टोर की ओर बढ़ गए।

‘भैया, दो पैकेट चूहे मारने की दवा देना।’ अपनी सारी शक्ति बटोरकर उसने स्टोर वाले से कहा। मांगे गए दो पैकेट उसकी ओर देखे बिना बढ़ा दिए गए। कीमत चुकाकर कुछ आगे जाकर उसने कोल्ड्रिंक्स की एक बोतल भी साथ ले ली।

‘तू तेरे पापा की बातों पर ध्यान न दे। इनकी तो आदत है गुस्से में कुछ भी बोल देने की। परीक्षा में पास या फेल होना तो लगा ही रहता है। मेरी तरफ देख, दसवीं फेल होकर भी मैं इंजिनियर का पूरा घर सम्हाल रही हूं न।’ मम्मी का दुलार भरा हाथ उसके गालों को सहला गया।

शहर के बाहर खाली पड़े खुले मैदान के कोने में बैठकर कांपते हाथों से दोनों पैकेट कोल्ड्रिंक्स की बोतल में खाली कर बोतल उसने मुंह से लगा ली।

‘बेटा, पिता घर का छत्र होता है और परिवार के बाकी सदस्य उस छत्र को सहारा देकर मजबूत बने रहने का हौसला देने वाले स्तंभ होते हैं। अपने को सहारा देने वाले स्तंभ को मजबूत बनाने के लिए अगर पिता कड़वे शब्द बोल भी दे तो उसे दिल से मत लगाना।’ तभी घर से निकलते हुए मां के कहे गए वाक्य उसके दिमाग में कौंध गए । हाथ में थाम रखी बोतल पर उसकी पकड़ कुछ ढीली हो गई ।

‘रिजल्ट लेने जा रहा है, उनके पैर छूकर जा और रिजल्ट चाहे जो भी आए लाकर उनके चरणों में रख देना। घर की छत कैसी भी हो अपने पास आसरा लेने वालों पर आंच नहीं आने देती। तू अगर कमजोर पड़ गया तो यह छत्र भी टूटकर बिखर जाएगा।’ माँ का प्यार भरा हाथ उसे अपने सिर पर रखा हुआ महसूस हुआ।

हाथ से छूटकर दूर जा गिरी बोतल धीरे धीरे खाली हो रही थी।   


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