रहस्यमई चाबी
रहस्यमई चाबी
मां बाप को बच्चों से अपनी सारी बातें साझा नहीं करनी चाहिए।
थोड़ा अपना खुद के लिए रखा गया गोपनीय भी रखना चाहिए जिससे उनकी जिंदगी अच्छी तरह सुधर जाए क्योंकि बच्चे आज आपके हैं कल उनके शादियां होने के बाद में वह बदल जाए तो क्या करेंगे ।
यही सब सोच करके बहुत सारे लोग अपनी जमा पूंजी सब बच्चों के सामने नहीं बताते हैं और सारे पत्ते नहीं खोलते हैं कुछ बंद रखते हैं तो उनकी जिंदगी अच्छी तरह चलती रहती है।
ऐसा ही दादी मां ने करा उनके बच्चे बहु-उनको बहुत परेशान करते थे। उन्होंने इसका तोड़ सोचा कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा तो उन्होंने एक सुंदर सी पुराने टाइप की चाबी अपने गले में लटका ली
और अब वह बच्चों को वह दिखने लग गई ।
फिर जब सारे बच्चे उनका घेर कर बैठे तो उन्होंने वह चाबी देख ली आगे का नजारा
सारे बच्चे दादी को घेर कर बैठे हैं।
उनसे तरह-तरह की कहानियां सुन रहे हैं।
और उनके साथ में खेल कर रहे हैं ।
तभी उसमें से एक छोटी गुड़िया गुड्डी उठकर दादी को बोलती है दादी दादी आपने अपने गले में डोरी में यह चाबी क्यों लटका रखी है। मुझे तो दो यह चाबी किसकी है।
यह चाबी दादी बोलती है यह मेरे किस्मत की चाबी है।
मैं किसी को भी नहीं दूंगी भले कुछ भी हो जाए ।
वह बच्ची मचल जाती है ।
क्योंकि वो अपनी मां की सिखाई हुई थी ।
उसकी मां ने उसको सिखा कर भेजा था कि आज इस चाबी का राज जरूर जान लेना ।
जिद करके भी ले लेना।
उसकी देखा देखी सभी बच्चे दादी से चाबी मांगने लगे और बोलने लगे चाबी यह किसकी चाबी है हमको बताओ।
दादी ने बच्चों को एक कहानी सुनाई।
उस कहानी में उन्होंने बताया कि यह चाबी मेरे पास एक बहुत बड़ा खजाना है।
जो मुझे तुम्हारे पापा की दादी से मिला था।
एक बहुत बड़ी सुंदर जिस को लकड़ी की बड़ी पेटी है जिसको मजूस बोलते हैं बहुत सुंदर कलाकारी कर रखी है उसकी है।
उसको तहखाने में छुपा के रखा है।
बच्चे बोले हमने तो कभी यह खजाना देखा ही नहीं ।
दादी बोली यह खजाना तुमको मेरे मरने के बाद ही मिलेगा ।
जब तक मैं हूं तब तक इस खजाने पर तुम नहीं पहुंच सकते।
ना उसको देख सकते हो ।
सब बच्चों ने अपने अपने मां बाप को यह बात बताई।
उस दिन से उनकी सेवा में और ज्यादा बढ़ोतरी हो गई ।
जहां उनको एक चीज चाहिए थी वहां उनके तीनों बेटे तीन चीजें ला के हाजिर करते।
और उन का बहुत ध्यान रखते और उनका हर आज्ञा का पालन करते ।
मां समझ गई कि सभी खजाने का कमाल है।
सबको ऐसा था कि उस लकड़ी की मजूस में बहुत खजाना है और दादी के जाने के बाद में हमको मिलेगा।
कालांतर में जब वे स्वर्गवासी हो गई तो उनके तीनों बेटे आपस में उनकी संपत्ति को लेकर लड़ने लगे कि उसमें जो वस्तु निकलेगी उसमें से इतना हिस्सा मेरा होगा इतना मेरा
मैंने ज्यादा ध्यान रखा, मैंने ज्यादा ध्यान रखा है ऐसे करके।
फिर बच्चे बोले पहले खोल कर तो देख लो उसमें है क्या।
उसको फिर बराबर बराबर बांट लेंगे।
सब लोग एकदम मान गए और उस मजूस को तहखाने में से बाहर लाया गया।
दादी के गले में से चाबी को निकाला गया और ताला खोला गया।
ताला खोलते ही सबके होश उड़ गए क्योंकि उसके अंदर फटे पुराने कपड़े भरे हुए थे।
साथ में एक चिट्ठी लिखी थी।
प्यारे बच्चों
अगर मैं तुमको बता देती कि मेरे पास कुछ नहीं है तो क्या तुम मेरी सेवा करते।
यह ताले का कमाल है कि बंद ताले में क्या है तुमको पता नहीं लगा।
और मेरी जिंदगी आसानी से कट गई ।
मेरे बच्चों कभी भी लालच के अंदर आकर किसी की सेवा ना करो। दिल से सेवा करो।
जिस तरह मैंने तुम्हारा दिल से ध्यान रखा था। उस तरह तुम को भी मेरा दिल से ध्यान रखना चाहिए था
मैं तुम्हारी मां थी।
जब संपत्ति का पता लगा तभी तुमने मेरे पीछे अपना तन मन धन लुटाया ।
उससे पहले तुमने मुझे हर तरह से परेशान किया।
यही मेरा खजाना है ।
और यह मेरा आशीर्वाद है कि तुम हमेशा खुश रहो और दिल से लालच निकाल दो तो आगे यह बच्चे भी तुम्हारी सेवा करेंगे।
तो देखा ताला चाबी का कमाल
ताले में बंद कुछ भी हो किसी को पता नहीं लगता है।
इसी तरह बंद मुट्ठी लाख की खुले तो खाक की सही कहावत है ना।