रास्ता
रास्ता


खूबसूरत वादियों ,पहाड़ और घने जंगलों से दोनो तरफ से ढका, बगल में कल-छल करती नदी,सांप जैसे लहरदार सड़क था वो, अगल-बगल में कोठियां भी थी रईसों कि, कोई डाक्टर, कोई वकील, कोई बड़ा व्यापारी था। गांव से शहर को जोड़ता था वो रास्ता,शहर को जाने को एक दुसरा रास्ता भी था, पर उसमें वक्त ज्यादा लगता था। बच्चे इसी रास्ते से स्कूल आते जाते थे और सारा दिन वहीं सड़क के बगल वाले कुएं के आस पास खेलते भी थे।
गर्मी के छुट्टियों का वक्त था।
अचानक से गांव में बच्चे गायब होने लगे सबने सोचा बच्चा अपहरण वाला गिरोह आया है, लोगों ने जाकर पास के पुलिस चौकी में रिपोर्ट लिखायी, तब तक गांव से 8-10 बच्चे गायब हो चुके थे, पर उसमें से कोई जानी मानी हस्ती का बच्चा नहीं था सो पुलिस कोताही बरत रही थी।
सब लोग अब उस सड़क पर शाम में 6 बजे के बाद जाने से कतराते थे ,निर्जन सा हो गया वो रास्ता जैसै किसी कि नजर लग गयी हो।
लोग उसको तरह-तरह से जोड़ने लगे थे, बहुत कहते कि सड़क के बगल वाला कुआँ डरावना है, उसमें कोई आत्मा है, कोई कहता जंगल में कोई आदमखोर जानवर है।
पर बच्चों के गायब होने का सिलसिला ऐसे ही चलता रहा, पुलिस ने वहां किसी रहने वालों से पुछा नहीं क्योंकि वो सारे अमीर थे।
अचानक एक दिन एक आदमी रमेश पुलिस चौकी आया और बोला, उस सड़क पर उसकी बेटी गायब हो गयी है, उसे शक है वो वहीं के बंगला में एक डाक्टर के यहाँ गयी थी, वही से गायब हुयी है।
चुकि वो बंगले वाला काफी अमीर डाक्टर था, पर फिर भी पुलिस ने उसको बुलाया और पुछाताछ कि। वो डाक्टर और उसके नौकर ने बोला कि वो लड़की आयी तो थी उसके यहाँ नौकरानी के नौकरी के लिये, पर उसके बाद वो चली गयी और कहाँ गयी उनहें नहीं पता। उसने पुलिस को पैसे दिये बात आयी गयी हो गयी।
वो आदमी अपनी बेटी के गायब होने से बहुत दुखी था इसलिए उसने सारे लोग जिनके बच्चे गायब हुये थे, ले कर उसी सड़क पर धरने पर बैठ गया।
अब यातायात रूकने से, मिडिया आयी, बात पुरे देश में आग कि तरह फैल गयी, पुलिस को उनकी बातें मान कर वहां के बंगलो की तलाशी लेनी ही पड़ी।
जैसे पुलिस उस डाक्टर के बंगले में घुसी, अजीब तरह कि गंध आयी, फिर थोडे आगे बढने पर कुछ बच्चों के कपड़े मिले, तो डाक्टर के नौकर ने ये कहकर पुलिस को घुमा दिया कि मैने पोछा लगाने के लिये बाजार से लाये थे।
पुलिस को थोड़ा अजीब लगा, पर कुछ और ठोस ना मिलने से वो वापस मुड़ने को ही थे, कि उनकी नजर एक रूम पर गयी, उन्होंने चाबी मांगी, तो डाक्टर ने कहा कि खो गयी।
पुलिस का शक गहराया,उनको दरवाजा तोड़ना पडा़।
रूम में झांकते ही सारे पुलिस वाले उल्टी करने को हुये, सामने बहुत से बच्चो के अंग जैसे लिवर,किडनी कुछ केमिकल में रखे थे।
पहले तो डाक्टर ने नौकर को फंसाने कि कोशिश कि और बोला कि वो नौकर बच्चों को मारकर खाता है, पर नौकर ने फंसने के डर से डाक्टर का एक- एक काला चिट्ठा खोल दिया, वहाँ मानव अंगो कि तस्करी चल रही थी।
पुलिस के पुछने पर पता चला डाक्टर और वो नौकर बच्चों के शवों को कुयें में फेक देते थे और लोग उस कुयें के पास ना जाये इसलिए गांव के लोगों में कुयें के भुतहा होने का भ्रम भी उनहोंने ही फैलाया था।
और ये मानव अंग विदेश में बेचकर वो लाखों कमाते थे।
अगले दिन सारे देश में ये खबर आग जैसे फैल गयी।
डाक्टर और वो नौकर की गिरफ्तारी के बाद सजा हुयी।कुयें से ढेरों लाश मिले। लोगों ने गुस्से मे उस घर में आग लगा दिया, फिर कभी उस रास्ते से कोई बच्चा गायब नहीं हुआ और उस रास्ते की खूबसूरती वैसे ही बरकरार हो गयी ।