प्यार पहली नजर में
प्यार पहली नजर में
प्यार करना बहुत अच्छी चीज़ है। प्यार किसी से भी हो सकता है। प्यार एक कुर्सी से भी हो सकता है और इंसान से भी। प्यार माँ से भी होता है और बाप से भी। ये प्यार हमे बचपन से ही होता है लेकिन एक प्यार हमे बड़े होकर होता है। उसे प्यार पहली नज़र पे कहते हैं। वो प्यार ऐसा होता है की हर समय हम उनके बारे में ही सोचते रहते है। अगर उनको चोट लगती है तौ दर्द हमें होते है। बीमार वो होते है लेकिन चिंता में हम रहते है। भगवान से दुआ भी हम करते है। उनको देखे बिना दिन ही नहीं गुज़रता। ऐसे होता है पहला प्यार। मुझे पहला प्यार एक पेन से हुआ। बहुत अच्छा पेन था। अच्छा चलता था, अच्छा लिखता था। मेरे हर पेपर में मेरे साथ रहता था। उसे लिखकर मैं अपने स्कूल में प्रथम आती थी। एक दिन उस पेन की इंक खतम हो गई। अगले दिन जब मैं पेपर लिखने लगी तब मैंने देखा पेन तो चलता ही नहीं। और कोई पेन से मैं लिखना भी नहीं चाहती थी। इतना दुख हुआ। फिर मैंने कोई और पेन उठाया और उसे लिखना शुरू किया। पेपर मैंने जैसे तैसे कर लिया। फिर थोड़े दिन बाद जब नतीजा आना था। मैं स्कूल गई। मैंने अपने सारे पेपर देखे, मेरे सारे पेपर बहुत अच्छे थे। पर एक था जिसमें मेरे बहुत अच्छे नंबर आये थे। पर मुझे वो फिर भी नहीं अच्छी लगा । सबसे अच्छे नंबर ही मेरे उसमें आये थे। पर पता नहीं क्यों मैं उसमें कोई ना कोई खोट निकाली जा रही। तब मुझे समझ आया की वो पेन कोई मामूली पेन नहीं है वो पेन एक फरिश्ता जैसा है। तो इसलिए नतीजा देखने के बाद मैंने सबसे पहले उसमें इंक डाली। और मैं दोबारा से खुश हो गयी।
