प्यार का झांसा
प्यार का झांसा
सुषमा अपने कमरे में गुमसुम खामोश सी बैठी हुई थी। चेहरे पर बार-बार परेशानियां अपना डेरा जमा रही थी, चिंताएं आ -जा रही थी। अपने मोबाइल को हाथ में लिए बार-बार उसके स्क्रीन को खोल-बंद कर रही थी। तभी अचानक फोन की घंटी बजी और विवेक का नाम स्क्रीन पर फ्लैश होने लगा। फोन अटेंड करते ही फुसफुसाते हुए सुषमा ने बोला।
कहां हो विवेक मैं कब से तुम्हारे फोन का इंतजार कर रही थी।
"क्या हुआ इतना परेशान क्यों हो ?
"परेशान ! विवेक आपको मेरी परेशानी नहीं समझ आ रही क्या ? आज हल्दी है मेरी और कल शादी और आपको पता है कि मैं आपके अलावा किसी और से शादी नहीं कर सकती। मैंने सिर्फ और सिर्फ आपसे प्यार किया है विवेक और अगर आप मुझे ना मिले तो मैं अपनी जान दे दूंगी मंद आवाज में चिल्लाते हुए सुषमा ने बोला।
"पागलपन की बातें मत करो सुषमा मैंने तो तुमसे पहले ही कहा था कि अपने घरवालों को मना कर दो शादी के लिए, कोई भी बहाना करके अभी टाल देती विवेक ने थोड़ा झूंझलाते हुए बोला और उसकी झुंझलाहट सुनकर सुषमा बिलख बिलख के रोने लग गई।
" क्या मुसीबत है यार" विवेक धीमे से बुदबुदाया फिर अपनी आवाज को संयत रखकर ठंडे स्वर में बोला।
"सुषमा मैंने तुमसे कहा था चलो कहीं भाग चलते हैं पर तुम ही नहीं मान रही थी।
" विवेक मैंने भी तो आपसे कहा था कि आप अपनी मां से बात करो हमारे रिश्ते के लिए, अगर आपकी मां आपका रिश्ता लेकर आती तो शायद मां - पापा राजी हो जाते।
सुषमा तुम्हें पता है ना मेरी मां का उनकी जिंदगी में स्टेटस बहुत मायने रखता है और वह तुम्हें अपनी स्टेटस का नहीं मानती और मुझसे कई बार तुमसे रिश्ता खत्म करने को बोल चुकी हैं , देखो अब कोई और उपाय नहीं बचा है तुम पैकींग करो मै बस कुछ ही देर में तुम्हारे पास आता हूं चलो कहीं निकल चलते हैं वहां जाकर कोर्ट मैरिज कर लेंगे और कुछ दिनों बाद अपने घर वापस लौट आएंगे इतना बोल कर विवेक ने फोन काट दिया।
सुषमा असमंजस की स्थिति में बैठी सोचती रही कि उसे क्या करना चाहिए। पूरा घर मेहमानों से भरा हुआ था। नाच गाना खुशियों से भरा माहौल चारों था तरफ। मां और पापा के चेहरे पर एक अलग ही खुशी दिख रही थी , तभी मां मुस्कुराते हुई कमरे में दाखिल हुई और बोली "लाडो अभी तक तैयार नहीं हुई तू सारे मेहमान आने वाले है बेटा , आज तो मेरी लाडो हल्दी के रंग से और भी निखर जाएगी , चल जल्दी से तैयार हो जा मेरी रानी।
"मां मुझे आपसे एक बात कहनी है।
"हां बोलो बेटा तेरा चेहरा क्यों उतरा हुआ है मेरी लाडो।
"मां मैं यह शादी नहीं कर सकती।
"दिमाग तो सही है ना तुम्हारा यह कैसी बहकी बहकी बातें कर रही हो कहते हुए आग बबूला हो गई मां।
"मां मैं किसी और से प्यार करती हूं आप जानती हो उस लड़के को अपने शहर की एमएलए मीरा जी के बेटे हैं वह।
"तू पागल हो गई है सुषमा या तेरी मति मारी गई है तुझे कुछ पता भी है मीरा जी और उनके बेटे के बारे में मीरा जी किस कदर अक्खड़ और बदतमीज महिला है यह पूरा शहर जानता है और उनका बेटा पता नहीं कितनों को घुमा चुका है आए दिन अखबारों में उसके चर्चे छपते ही रहते हैं बेटा वो बस तेरा इस्तेमाल कर के तेरी जिंदगी बिगाड़ देगा तू किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं बचेगी तूने यह सारी बाते मुझे कुछ दिन पहले बताई होती और अगर कोई और लड़का होता तो शायद मैं इस बारे में विचार भी करती मगर मीरा जी के घर रिश्ता कतई नहीं यह बात अपने ज़ेहन से हमेशा के लिए निकाल कर इस बात को इसी कमरे के अंदर इसी वक्त दफन कर दे इसी में तेरी भलाई है। इतना अच्छा रिश्ता आया है तेरे लिए पूरी जिंदगी खुशहाल रहेगी रानी बना के रखेंगे वो सब तुझे। तेरे पापा को भनक भी लग गई इस बात की तो वह जीते जी मर जाएंगे। देख बेटा मैं तेरे आगे हाथ जोड़ रही हूं इस परिवार की इज्जत से बिल्कुल भी मत खेल हाथ जोड़ते हुए मां बोली।
"मां प्लीज मैं यह शादी नहीं करूंगी प्लीज मां समझने की कोशिश करिए।
सुषमा तुझे तेरे पापा का वास्ता तू जल्दी से नीचे तैयार होकर आ जा मत खेल हमारी इज्जत से कड़कती आवाज़ में मां बोल कर दरवाजा बंद करके चली गई पीछे छोड़ गई बेचैन सुषमा को जो तय नहीं कर पा रही थी मां-बाप और उनकी इज्जत को चुने या अपने प्यार को।
और आखिरकार तराजू का पलड़ा प्यार की तरफ झुका।उसने विवेक को फोन किया और फटाफट घर के पीछे वाले दरवाजे पर आने को बोला। जल्दी से कुछ कपड़े पैक कर अपने घर परिवार की इज्जत को ताक पर रखकर खिड़की के रास्ते से नीचे कूद गई और विवेक के साथ नौ दो ग्यारह हो गई बिना यह सोचे कि उसके जाने के बाद उसके परिवार की इज्जत और उसके माँ पापा का क्या होगा प्यार के खुमार ने उसकी जिंदगी के सबसे महत्वपूर्ण रिश्तो को बर्बाद कर दिया। उसके इस कदम से उसके परिवार में भूचाल आ गया। सुषमा के पापा इस बात को बर्दाश्त ना कर पाए और उनको दिल का दौरा पड़ा रिश्तेदारों की मदद से और उनके तुरंत इलाज से हालत कंट्रोल में आ गई। पर सुषमा की इस हरकत से यह दुनिया से मुंह छुपाने पर मजबूर हो गए। अब तो सुषमा से उन्हें नफरत हो गई और उसका मुंह कभी ना देखने की कसम खा ली उन्होंने।
एक हफ्ते बाद सुषमा ने अपने घर की डोर बेल बजाई। दरवाजा मां ने ही खोला।
उजड़ी और लूटी-पिटी सी सुषमा को देखकर मां बिलख पड़ी और साथ में सुषमा भी फूट-फूट कर रो पड़ी हाथ जोड़कर माफी मांगते हुए वह मां से बोली मां-बाप हमेशा अपने बच्चों का भला ही चाहते हैं और आपने भी मेरा भला ही चाहा मां पर मैंने आपका और पापा का बहुत दिल दुखाया था ना इसीलिए भगवान ने मुझे इतनी बड़ी सजा दी विवेक ने मेरा सब कुछ लूट लिया मेरा प्यार मेरी इज्जत मेरे आत्म सम्मान की धज्जियां उड़ा दी उसने मैं किसी से नजरें मिलाने के काबिल भी नहीं रही सब कुछ लूट कर उसने मुझे धक्के दे कर निकाल दिया मां उसने बोला था वह मुझसे शादी करेगा पर वह मुझे झांसा दे रहा था। आप बिल्कुल सही थी मां। मुझे अपने कर्मों की सजा मिलनी ही थी। तभी सुषमा के पापा भी बाहर निकाल आए उनको देखते ही सुषमा उनके पैरों में गिर कर उनसे माफी मांगने लगी। मां बाप अपने बच्चों से कितनी भी कोशिश कर ले दूर रहने की नफरत करने की या उन पर सख्ती करने की मगर प्यार नफरत पर हावी हो जाता है। पापा ने रोती हुई सुषमा को गले से लगा लिया। और सांत्वना देते हुए बोले जो हुआ उसे एक बुरा सपना समझकर भूल जाओ। जिंदगी को नए सिरे से शुरू करो हम सब तुम्हारे साथ हैं।
आपकी जिंदगी में जितने भी बड़े घाव हो जाए मां-बाप हमेशा एक मरहम का काम करते हैं। दुनिया में सिर्फ मां - बाप ही होते हैं जो आपसे निस्वार्थ भाव से प्यार करते हैं और आपका हमेशा भला ही सोचते हैं क्योंकि हर मां-बाप की जिंदगी का सबसे बड़ा सुख उनके बच्चों की खुशहाल जिंदगी होती है। अपने बच्चों को भरा पूरा देख कर ही उन्हें जीते जी स्वर्ग नसीब हो जाता है।