पत्र जो लिखा
पत्र जो लिखा
रीना आज जब उदास बैठी थी, सोचा पुरानी यादों में गोते लगाआऊ,वह अपने अलमारी से कुछ पत्र निकालती हैं और एक के बाद एक पत्र पढ़ना शुरू करती हैं, यादों के समंदर में धीरे-धीरे गोते लगा रही थी तभी एक पत्र अचानक उसके हाथों में आया जो उसने बहुत सालों पहले लिख कर रख दिया था,पर कभी भेजा नहीं।
वह उसके 16 साल की उम्र का पहला प्यार था या एक तरफा प्यार,जिसको उसने पत्रो में संजो कर रख दिया था,वह पहला लड़का था जिसके आने से लेकर जाने तक का समय वह अपनी आंखों की कनखियों से देखा करती थी वह क्या कर रहा है, कैसे बैठा है, किससे बात कर रहा है,किस तरीके से आता है, किस सलीके से जाता है।
क्लास 11th में जब पहली बार आया था बहुत ही शांत सकपकाया-सा था, उसके पिता का ट्रांसफर हुआ था सेशन के शुरू होने के बाद ही आया था, क्लास में कोर्स शुरू हुए एक महीना बीत चुका था, क्लास टीचर अक्सर कहा करती थी,... "अनूप तुम अपने को पीछे मत करो क्लास में और बच्चों की मदद लेकर अपने आप को अपडेट रखो और कॉपी कंप्लीट रखो।"
बीच-बीच में मैडम टेस्ट लिया करती थी वह उसमें भी कभी-कभी अनुपस्थित हो जाता था।
एक दिन मैडम ने अनूप को समझाया "तुम्हारा कोर्स कंप्लीट होना ही चाहिए और साथ ही तुम्हें टेस्ट की तैयारी भी करना है" वह बड़ा परेशान हो गया था, किससे कॉपी लूं, यह सोच में पड़ा था तभी रीना क्लास में लंच में अपना कुछ सामान निकालने आई थी।
"सुनो क्या आप अपनी कॉपी मुझे दें दोगी, मैं आपको कंप्लीट करके वापस लौटा दूंगा।"( बहुत ही सलीके से अनूप ने रीना से कहा था।)
"हां मैं आपको दे दूंगी ,पर जल्दी ही कॉपी कंप्लीट करके लौट आना होगा,मुझे भी अपनी टेस्ट की तैयारी करनी है।"
(अनूप से रीना ने कॉपी देते हुए कहा था )
यह शुरुआत हुई थी रीना और अनूप की कॉपी के माध्यम से बातचीत का एक सिलसिला-सा बन गया था,रीना को अनूप से बात करना बहुत अच्छा लगता था वैसे उसकी और भी सहेलियां थी, पर वह इतना सहज और सरल स्वभाव का था, जब भी वह बात करता रीना उसकी ओर एकटक देखा करती थी,..पर कभी कुछ मन की बात उससे ना कर पाई थी।
क्लास में अधिकतर लड़कियां ही थी आर्ट्स क्लास में लड़कों के नाम पर अनूप और एक और लड़का था जो कभी-कभी आया करता था अनूप अक्सर अपने आप में ही रहा करता था।
साल के अंत में जब रिजल्ट घोषित हुआ रीना ने सोचा आज मैं अपने मन की बात पत्र के माध्यम से अनूप को बतला दूंगी।
पर वह नंबर देखकर काफी खुश था क्लास में फर्स्ट जो आ गया था।
"रीना देखो इस खुशखबरी के साथ एक और खुशखबरी,..सुनो मेरे पापा का ट्रांसफर वापस हमारे शहर में हो गया है और हम लोग अब वापस जाने वाले हैं वहां मेरे बहुत सारे फ्रेंडस है,... और एक खास फ्रेंड भी है,जिसके बारे मे मैंने तुम्हें कभी नहीं बताया था, रीना को सारी बातें बताता है,अब शायद वापस इस शहर में आना ना हो पाएगा,पापा को प्रमोशन भी मिल गया है,...और तो और मेरे तो पास होना भी संभव भी नहीं हो पाता, यह सब तुम्हारी मदद के कारण हुआ है मैं कल तुम्हारे लिए मिठाई लेकर आऊंगा।"
(अनूप खुशी में उछलते हुए बोल रहा था।)
"तो क्या तुम्हारे लिए मैं फ्रेंड नहीं।"
(रीना उदास होते हुए पूछ रही थी)
"तुम फ्रेंड हो और रहोगी,.... चाहे हम कभी ना मिल पाएंगे पर मैं तुम्हें कभी भूल नहीं पाऊंगा तुम मेरी एक अच्छी दोस्त हो।"
(अनूप रीना को समझाते हुए बोल रहा था।)
'रीना अपने हाथ में लिए पत्र को चुपके से अपने बैग में रख देती है और अनूप को जाते हुए देख रही थी।'
'रीना उस वर्षो पुराने पत्र में अनूप की पुरानी यादों को संजोए,.....पढ़कर वापस सहेज कर रख देती है पत्र जो लिखा था मगर भेज नहीं पाई आज वह सोच रही थी प्रेम की पूर्णता शायद इसी में है बार-बार उसे पड़ती है और सहजकर रख देती है।'