पश्चाताप, एक बेटी के पिता का
पश्चाताप, एक बेटी के पिता का
सीमा की शादी के लिये उसके पापा रिश्ते देख रहे थे। कुछ आपसी मतभेद के चलते सीमा की सगाई पहले एक बार टूट चुकी थी। छोटे शहर में रहने के कारण सीमा की सगाई टूटने की बात जंगल में आग की तरह फ़ैल चुकी थी और बिना सच्चाई जाने समाज ने सीमा और उसके परिवार को रिश्ता टूटने का दोषी ठहरा दिया था।
सीमा के पापा अपनी बेटी की भविष्य को ले बेहद चिंतित हो गए और जल्दी से जल्दी रिश्ता ढूंढ शादी करने की सोचने लगे।
"आप इतनी जल्दबाजी ना करें, जल्दी का काम अक्सर गलत हो जाता है बेटी के जीवन का सवाल है।" जब सीमा की माँ अपने पति को समझाती और वो बिफ़र उठते। एक पिता की व्याकुलता समझ सीमा की माँ चुप हो जाती।
अपने शहर में तो अब रिश्ते मिलने मुश्किल थे तो किसी रिश्तेदार ने दूसरे शहर में रहने वाले रोहित का रिश्ता सुझाया। सीमा के पापा को रोहित का रिश्ता पसंद आ गया। रोहित बैंक में था और अपने परिवार का पहला सरकारी नौकरी में गया लड़का था जिसका उसके माता पिता को बहुत घमंड भी था।
सीमा के पापा ने खुब अच्छे से शादी की जो भी डिमांड रोहित के परिवार से की गई उन्होंने पूरी की लेकिन फिर भी रोहित और उसके मम्मी पापा का मन नहीं भरा था।
शादी के अगले दिन ही सीमा के घर से आयी साड़ियों को उसकी नन्द ने बेहद हलकी और सस्ती साड़ी बता हंगामा कर दिया और सीमा के साड़ियों में जो भी उसे पसंद आया वो साड़ी उसने उठा ली।
शौक से ली गई साड़ियों को इस तरह नन्द को लेते देख मन मसोस के सीमा रह गई। सीमा के साथ आयी हर चीज को सस्ता और सीमा के पिता को कंजूस कह सीमा और उसके परिवार वालों का मज़ाक बनाया गया।
सीमा का दिल रो देता कितने शौक से उसके पापा ने उसकी पसंद की चीजे उसे दी थी और यहाँ सब इस तरह उसका मज़ाक बना रहे थे।
"सीमा अपने पापा से बोल हमारे शिमला के टिकट बुक करवा दो और होटल का भी।"
"वो क्यों रोहित?" आश्चर्य से सीमा ने पूछा।
"हनीमून के लिये और किस लिये"?
"लेकिन रोहित, मेरे पापा पहले ही इतना कुछ कर चुके है अब हनीमून का खर्च भी क्या मेरे पापा करेंगे?"
"क्यों रोहित कुछ फ़र्ज तुम्हारे भी तो बनते है।"
"वो लड़की वाले है तो समझी और किया ही क्या है तुम्हारे पापा ने इतनी कंजूसी से तो शादी की और हाँ आगे से मुझसे बहस की तो मुझसे बुरा कोई ना होगा।"
जब रोहित ने सीमा को ऑंखें दिखाते हुए कहा तो सीमा दंग रह गई थी अब तक तो वो सिर्फ ससुराल वालों को लालची ही समझ रही थी लेकिन आज तो रोहित का भी असली चेहरा दिख गया था। सीमा समझ गई की उसका पति भी औरतों को अपने पैरों की जूती समान ही समझता था।
फिर क्या था आज सीमा की सहनशक्ति जवाब दे गई, सीमा और रोहित में जोरदार बहस हुई हनीमून को ले कर। अपनी मर्दानगी दिखाते हुए रोहित ने अपनी सारी सीमा पार कर सीमा को बुरी तरह पीट दिया।
रोती बिलखती सीमा ने तुरंत अपने पापा को फ़ोन किया, दूसरे शहर में होने के कारण उन्होंने अपने किसी जानने वाले को भेज सबसे पहले सीमा को सुरक्षित किया और खुद अगले दिन वहाँ आ सबसे पहले रोहित और उसके परिवार के खिलाफ केस किया।
सीमा की हालत देख उसके पापा का कलेजा मुँह को आ गया। अपनी लाडली को गले लगा रो पड़े।
"मुझे माफ़ कर दे बेटा जल्दबाजी में निर्णय ले मैंने बिना ठीक से जाँच पड़ताल किये ही तेरी शादी कर दी। रोहित और उसके परिवार को समझने में मुझसे भारी भूल हुई।" काश में समय वापस मोड़ पाता तो अपनी बिटिया को इन दुःखों से बचा लिया होता।
आज कई साल बीत जाने के बाद भी सीमा के पापा रोज़ पछताते है जो एक बार उन्हें मौका मिलता तो अतीत में जा अपने उस फैसले को बदल देते जिसके कारण सीमा को निर्दोष हो कर भी कितना कुछ सहना पड़ा।
जिस समाज के डर से सीमा के पापा ने जल्दबाजी में गलत निर्णय ले अपनी बेटी का भविष्य दांव पे लगा दिया था आज उसी समाज की परवाह किये बगैर सीमा के पापा अपनी बेटी को वापस अपने घर ले आये। रोहित और सीमा का तलाक हो गया और सीमा ने अपनी पढ़ाई पूरी की अच्छे जगह जॉब भी करने लगी।
प्रिय पाठक
ये एक सच्ची घटना पे आधारित कहानी है, शादी में जल्दबाजी में लिया गया निर्णय अकसर गलत निकलता है। सीमा के पापा ने अगर समाज के डर से अपनी बेटी के भविष्य का फैसला ना किया होता तो सीमा और उन्हें इतने मानसिक और शारीरिक परेशानी नहीं होती। सीमा भाग्यशाली थी जो जिंदगी में उसे दूसरा मौका मिला लेकिन दुर्भाग्य से जाने कितनी सीमा होंगी जो इस दूसरे मौके के इंतजार में ही इस दुनिया से विदा हो जाती है।
