Archana kochar Sugandha

Action

3.8  

Archana kochar Sugandha

Action

प्रतिभा सम्मान

प्रतिभा सम्मान

3 mins
237


महाविद्यालय के दीक्षांत समारोह की शोभा देखते ही बनती थी। मंच को रंग-बिरंगे फूलों तथा फुलझड़ियों से सजाया गया था। एक बड़ा सा बैनर रोशनी से जगमगा रहा था। जिस पर मोटे-मोटे अक्षरों में अंकित था-- यहाँ पर प्रतिभा का सम्मान किया जाता हैं। मेधावी एवं बहुमुखी प्रतिभा के धनी विद्यार्थियों के लिए पुरस्कार, सम्मान एवं स्नातक विद्यार्थियों के लिए डिग्री वितरण कार्यक्रम । महाविद्यालय के प्राचार्य रमनदीप, अपने शिक्षक एवं गैर शिक्षक स्टाफ के साथ भाग-भाग कर स्वयं सारी व्यवस्था का जायजा ले रहे थे। सारी व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने, मुख्यातिथि के स्वागत तथा उनके मान-सम्मान की सारी जिम्मेवारी मुझे सौंपी गई थी। इसलिए प्राचार्य महोदय मुझे बार-बार चेता रहे थे, देखो स्नेहा महाविद्यालय में मुख्यमंत्री जी बतौर मुख्यातिथि पहली बार आ रहे है, उनके सम्मान में कोई भी चूक नहीं होनी चाहिए। उनके साथ आने वाले महानुभावों तथा उनकी सबसे खासम-खास डा श्वेता शाम के मान-तान में भी कोई कमी नहीं रहनी चाहिए। मैंने भी अपनी तरफ से कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी थी। सारी व्यवस्था हो चुकी थी। सिर्फ मुख्यातिथि का आना बाकी था।

सभी बड़ी बेसब्री से उनका इंतजार कर रहे था कि तभी उनका काफिला आ पहुँचा। प्राचार्य महोदय अपने स्टाफ के साथ स्वयं उन्हें गेट से सभागार तक ले आते हैं। उनके साथ-साथ हँसती-मुस्कुराती मनमोहक छवि वाली डा श्वेता शाम चल रही थी। मुख्यमंत्री के समान ही लोग उसे काफी तवज्ज़ो दें रहे थे। पुष्प गुच्छ भेंट करके उसके साथ फोटो खिंचवाने में काफी ललायित थे। उसे देखते ही मुझे जोर का झटका लगा। मेरी यादों का पिटारा विद्यालय की गलियों से होता हुआ महाविद्यालय तक पहुँच गया। मेरी ही स्कूल- कॉलेज की सहपाठी, सबसे पीछे की बेंच में बैठने वाली, बातूनी तथा मेरे-तेरे के सहयोग से पास होने वाली, श्वेता से डा श्वेता शाम बनकर इतनी जल्दी, इतनी तरक्की कैसे कर गई। प्रख्यात महाविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर नियुक्त, मंचासीन महानुभाव उसकी बहुआयामी प्रतिभा के गुण गाते नहीं थक रहे थे। मैं मन ही मन विचलित, अरे! यह चमत्कार हुआ तो कैसे---? कौतूहलवश उससे पूछना चाह रही थी, लेकिन उसकी कातिर निगाहें मुझे पहचानने से साफ इंकार कर रही थीं। इसलिए चाह कर भी अपनी पहचान जाहिर नहीं कर पाई।

महाविद्यालय की खुसर-फुसर में एकाध द्वारा उसकी प्रतिष्ठित छवि पर कटाक्ष कसते हुए कानाफूसी सुनाई दी-- अक्षर ज्ञान तो कुछ है नहीं--- क्या विद्यार्थियों को पढ़ाती होगी-- ? दूसरा, अरे! पढ़ाने की जरूरत क्या है--पढ़ाने के लिए तो हम और आप है ना--- इनको तो चापलूसी और बातों के पैसे मिलते हैं। चापलूसी में पी एच डी है। मैंने इस खुसर-फुसर पर कान धरें ही थे कि मंच से घोषणा हो गई मैडम स्नेहा! आज की अति विशिष्ट अतिथि बहुमुखी, बहुआयामी प्रतिभा की स्वामिनी डॉ श्वेता शाम का पुष्प गुच्छ एवं शाल द्वारा स्वागत करेंगी । मैं भागकर मंच पर गई और बनावटी हँसी बिखेरते हुए, गले मिलकर उसका स्वागत किया । तभी सम्मान समारोह शुरू हो गया। मुख्यमंत्री और वह दोनों मिलकर मेधावी विद्यार्थियों को पुरस्कारों, सम्मान पत्रों तथा डिग्रियों से सम्मानित करने लगें। मैं सम्मान पत्र, पुरस्कार और डिग्रियाँ पकड़ाती रही तथा सामने लगा बैनर "यहाँ पर प्रतिभा का सम्मान किया जाता हैं", हमें चिढ़ाता रहा।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Action