प्रताड़ना का प्रतिकार
प्रताड़ना का प्रतिकार




साक्षी एक समाज सेविका है , इसके साथ-साथ वो शहर की जानी - मानी पब्लिक प्रासिक्यूटर भी है । आज उसका लोकल टी.वी. चैनल पर इंटरव्यू है ।
".साक्षी जी हमारे देश में अक्सर टी. वी. या अखबारों में पढ़ने को मिलता है कभी 15 साल की लड़की या कभी कोई महिला का रेप हो गया , यहां तक कि मासूम बच्चियों को भी नहीं बख्शा जाता , कहीं एक साल की बच्ची तो कहीं छह महीने की बच्ची के साथ कुकर्म किया जाता है । और कहीं तो अपराधी सबूत मिटाने के लड़की को ज़िंदा जला देते हैं ।कैसे हम अपनी बच्चियों की रक्षा करें , कैसे इन दरिंदो से बचाएं, कैसे रेप (बलात्कार) खत्म हो ?"
साक्षी ......... "सबसे पहले हमें अपनी बेटियों को गुड्ड टच, बैड टच सिखना होगा , उन्हें ये बताना होगा कि उनके( प्राइवेट पार्ट्स) निजी अंगों को अगर कोई छुता है तो उस समय चुप ना रहे , शोर मचाए , उनका हाथ काटे , उनके चेहरे पर नाखुनों से वार करें, अपने स्कूल या कालिज बैग में हमेशा पेपर स्प्रे रखें जो ज़रूरत पडने पर बलात्कारी की आंखों में डाल सकते हैं ,घर में मां को भी आकर हर बात अवश्य बताएं ।इसी के साथ बेटों को भी स्त्री की इज़्ज़त करना सिखाएं ।बेटियों को सेल्फ डिफेंस की शिक्षा दे ।
अगर किसी के साथ ऐसी शर्मनाक घटना घटती है तो उसे छुपाए नहीं , उस पर शर्मसार ना होकर , आगे बढ़ कर उसे सज़ा दिलवाए , मोमबत्तियां जलाकर या रैलियां निकाल कर इस समस्या का हल नहीं निकलेगा । यही मोमबत्तियां जलाने वाले , जब कोई घटना घटती है तो मूकदर्शक बन जाते हैं , पिड़िता का साथ दे , उसकी मदद करें , सरकार ने कुछ नियम और धाराए बनाई हैं ।
375,376,376ए ओनारडस के तहत रेप की सज़ा 10 साल है , और अगर पिड़िता ज़िन्दा नहीं है तो फांसी या उम्रकैद हो सकती है ।
कानून के रखवालों का भी कर्तव्य है कि ऐसे लोगों को साधारण फांसी ना दी जाए , फांसी से पल भर की तकलीफ़ होगी , उन्हें सरेआम ऐसी सज़ा दे आन द स्पाॅट , ताकि अपराधी भी पिड़िता वाला कष्ट सहे , जो नर्क पिड़िता ने भोगा है । कहते-कहते साक्षी की आंखें नम हो जाती हैं ।अगर सज़ा में देरी होती रहेगी तो ये रेप का सिलसिला यूं ही चलता रहेगा जैसे निर्भया ,आसिफा , तनीशा , प्रिंयका रेड्डी और हाथरस जैसे कांड हुए हैं ।आज देश में लगभग हर 15-16 मिनट में एक रेप होता है ।कहीं ना कहीं इसके लिए प्रशासन भी ज़िम्मेदार है । एक बार संपूर्ण देश में कोहराम मचा और कठोर कानून बना दिया गया ।लेकिन क्या इस पर अमल किया जा रहा है ? बल्कि मुजरिम और शातिर हो गए हैं , सबुत मिटाने के लिए लड़की को ही जलाने लगे हैं ।सिनेमा , वेबसिरिज , टी. वी. सिरियल , इंटरनेट हो या स्मार्टफोन , वीभत्स यौन चित्रण बड़ी आसानी से घर- घर में पहुंचा चुके हैं ।कभी एड्स के नाम पर और कभी पंजाबी , गुजराती और हिन्दी आइटम सांग में धड़ल्ले से अश्लीलता परोसी जा रही है ।"
साक्षी की नम आंखें देखकर !
"साक्षी जी , लगता है कहीं आपने बहुत गहरी चोट खाई है ??"
साक्षी खो जाती है उन दिनों में जब साक्षी जब आठ - नौ साल की थी तब घर में बहुत हंगामा हुआ था ।लेकिन उसे कुछ समझ नहीं आया था , कि सब इतना शोर क्यों मचा रहे हैं । मालूम नहीं सिम्मी दी के साथ क्या हुआ था , बस रोए था रही थी , मां भी बहुत रोई थी ।पापा कह रहे थे पुलिस के पास जाते हैं , लेकिन भैया मना कर रहे थे ।
"भैया .... पापा कहीं नहीं जाना हमें और ना ही किसी से कुछ कहना है ,एक मुसीबत तो आ चुकी , कहीं छोटी पर भी ना कोई मुसीबत आ जाए , उस मासूम को तो कुछ पता भी नहीं दुनियां का ।जो हो गया सो हो गया , किसी से कहेंगे तो बदनामी अपनी ही होगी ।"
"लेकिन बेटा , कल को सिम्मी की शादी भी तो करनी है , कौन करेगा इससे शादी ।"
"पापा अभी शादी में वक्त है , जब शादी का समय आएगा तब सोचेंगे शादी के बारे में , अभी किसी से कोई बात नहीं करनी ।"
और इस तरह बहुत दिनों तक सब घर में परेशान रहे ।
सिम्मी दी तीन- चार दिन अपने रूम से बाहर नहीं आई , मां भी बहुत उदास रहती थी , आस -पड़ोस वाले भी हमारे घर कम आते थे , धीरे-धीरे सब नार्मल हो गए । इस बात को बीते छह - सात साल बीत गए , तब दी चौदह साल की थी , अब दी भी कालिज जाने लगी है , और साक्षी भी लगभग पंद्रह साल की हो गई । लेकिन भैया और पापा दोनों का हर पल ऐसे ख़्याल रखते मानो छोटे बच्चे हों ।
भैया की शादी हो गई है , भाभी इशिता बहुत ही सुन्दर और प्यारी है । आज फिर से घर में कोहराम मचा है , फिर से वही माहोल , लेकिन आज साक्षी को सब समझ आ रही है कि क्या हुआ ।दरअसल भाभी मार्केट गई थी अकेले , और बारिश की वजह से वहीं शाॅप पर ही थोड़ा समय रूक गई ,और आते - आते लेट हो गई ।भैया ने फोन पर कहा भी कि मैं ले जाता हूं , लेकिन भाभी ने मना कर दिया ।कहने लगी .....आप बेकार परेशान मत हो , मैं आ जाऊंगी ।
आते समय रास्ते में तीन- चार आवारा लड़कों ने पकड़ लिया और भाभी की इज्जत के चीथड़े उड़ा दिए ।भाभी रोती हुई , फटे कपड़े , बदहवास सी घर में दाखिल हुई तो ये देख सबके चेहरे का रंग पीला पड़ गया । ना कुछ करते बनता है , ना चुप रहते बनता है । लेकिन साक्षी आज चुप रहने वाली नहीं , दी को तो इन्साफ ना दिला सकी , भाभी को इन्साफ दिला के रहेगी ।