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Anjali Srivastava

Drama Romance Fantasy

3  

Anjali Srivastava

Drama Romance Fantasy

परफेक्ट मैच love is love

परफेक्ट मैच love is love

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175

शायद मेरी शादी का ख्याल

शायद मेरी शादी का ख्याल

दिल में आया है

इसीलिए मम्मी ने मेरी तुम्हें चाय पे बुलाया है

क्या कहा फिर से दोहराओ

शायद मेरी शादी का ख्याल

शायद मेरी शादी का ख्याल

दिल में आया है

इसीलिए मम्मी ने मेरी तुम्हें चाय पे बुलाया है

हम्म पंछी अकेला देख मुझे पंछी अकेला देख मुझे

ये जाल बिछाया है

इसीलिए मम्मी ने तेरी मुझे चाय पे बुलाया है

क्यों है ना

नहीं नहीं

उस दिन दोपहर में करीब यही कोई २ बजे संपूर्ण बाबू का फोन आया था।

मेरे फोन उठाते से ही उन्होंने ये गाना इस कदर गाए की मुझे हंसी नहीं रुक रही थी।

बस चाय की जगह कॉफी एक बहाना था असल मकसद तो उनकी मां का मुझे संपूर्ण बाबू की जिंदगी से नौ दो ग्यारह करवाना था।

खैर मैं नियत समय पे बताई हुई जगह पे पहुंच गई।

संपूर्ण बाबू बाहर आए और मुझे कॉफी हाउस में ले जाते हुए बोले, "वो लोग अंदर ही बैठे हैं संभाल लेना तुम।"

मैं मुस्कुराते हुए सामने बैठे उनके मां बाबा को नमस्ते कर पैर छुई जिस पे उन्होंने मुझे इशारे से बैठने को कहा और फिर शुरू हुआ शादी के इन्टरव्यू का एक दौर।

कॉफी की सिप लेते हुए मेरी भावी सासू मां ने अपनी बात शुरु की जैसा की हर मां अपने बेटे के लिए आए रिश्ते को मना करने के लिए करती हैं "क्या नाम बताया तुमने?"

मैं पिज्जा की एक स्लाइस उठाते हुए सोचने लगी आखिर जिस लड़की ने इनके लड़के का दिल चुरा लिया हो और इनके आंखों की नींद, जीवन का चैन सुकून चुरा लिया हो, उसका नाम भी याद नहीं?

आश्चर्य है।

जबकि सबसे पहले तो इंट्रो में वही बताई थी। 

तभी वो आगे बोल पड़ी "हां भक्ति...देखो भक्ति बेटा तुम बहुत अच्छी हो और समझदार भी हो लेकिन मैं अपने बेटे से तुम्हारा रिश्ता नहीं कर सकती। ऐसा मत सोचना की तुम अच्छी नहीं हो तुम तो बहुत प्यारी हो मगर मुझे अपने बेटे की अभी शादी नहीं करनी। अभी उसकी उम्र शादी लायक नहीं हुई है। वो इस जिम्मेदारी को संभाल नहीं पाएगा।

मुझे उम्मीद है तुम मेरी बात समझ रही हो, तुम्हें इससे अच्छे लड़के मिल जाएंगे।"

मैं पिज्जा की स्लाइस खाते हुए उन्हें ही देख रही थी और मन में अपनी सोच को आगे बढ़ा रही थी। अगर मैं इतनी ही अच्छी हूं की मुझे बहुतेरे अच्छे लड़के मिल सकते हैं तो आखिर इन्हें अपने लड़के में क्या खराबी नजर आती है?

तभी वो मुझे घूरती हुई आगे बोली "देखो हर किसी का एक परफेक्ट मैच होता है।"

और ये सुनते ही मेरे मन में अचानक ही बैकग्राउंड म्यूजिक बजने लगा

साड़ी के फॉल सा कभी मैच किया रे

कभी छोड़ दिया कभी कैच किया रे

साड़ी के फॉल सा कभी मैच किया रे

कभी छोड़ दिया कभी कैच किया रे

टच करके टच करके टच करके टच करके

कहाँ चल दी बच कर के

टच करके टच करके

टच करके दिल से दिल अटैच किया रे

कभी छोड़ दिया कभी कैच किया रे

साड़ी के फॉल सा कभी मैच किया रे

कभी छोड़ दिया कभी कैच किया रे

और ये गाना याद आते ही मैं मुस्कुरा उठी।

मुझे मुस्कुराता देख उनका हौसला बढ़ गया और वो आगे बोल उठी " देखो भक्ति बहुत सारी चीजे हैं जैसे तुम्हारा ईयर ऑफ बर्थ मेरे बेटे से ज्यादा है और कुंडली भी दिखानी होगी। लेकिन तुम उम्मीद मत रखना क्युकी मुझे अपने बेटे के लिए एक परफेक्ट मैच चाहिए।

अगर तुम्हारे घरवाले, मम्मी पापा कही अच्छी जगह रिश्ता करें तो तुम शादी कर लेना। वो तुम्हारा अच्छा ही सोचेंगे।"

मैं मन ही मन सोचने लगी बेटे की खुशी से बढ़ कर कुंडली के ३६ गुण मिलाने इतने जरूरी है। परफेक्ट मैच आखिर होता क्या है?

मैंने तो आज तक मम्मी के साड़ी के फॉल ही परफेक्ट मैच कराए है और या तो धागे। जो कभी मैच नहीं हुए तो मम्मी उन्हें ४ चक्कर भेजती बदलने को।

लेकिन मैं तो ठहरी कला की विद्यार्थी और कला की शिक्षिका मेरी नजर में तो हर रंग एक दूसरे रंग के साथ बेहतरीन दिखता है। जो आंखों को देखने में अट्रैक्टिव और मन को सुकून दे वही परफेक्ट मैच है।

मैंने तो हमेशा ही कलर व्हील से अलग अलग कलर का कॉम्बिनेशन कर एक परफेक्ट मैच बनाया है।

फिर बात रंगों की हो या रिश्तों की या शादी की, परफेक्ट मैच को ले के मेरा नजरिया तो नहीं बदलने वाला।

मेरी नजर में एक ही रंग से अगर जीवन के हर पहलू को रंग दिया तो जीवन जीने का रस ही चला जाए।

इंद्रधनुष में भी तो इतने रंग होते हैं तभी तो वो खूबसूरत होता है और बनता है एक परफेक्ट मैच।

इसी तरह जीवनसाथी भी होना चाहिए एक शांत एक गरम, एक चिलचिलाती धूप तो दूसरा छाव, एक मीठा तो दूसरा नमकीन, एक नरम तो दूसरा कड़क, एक आग का दरिया तो दूसरा शीतल जल, एक बागी तो दूसरा समर्थक तभी तो जीवन जीने का आनंद है।

जहां तक बात है मेरे मम्मी पापा की तो उनको आज तक मेरी खुशी में ही खुशी दिखी है फिर तो मतलब बहू मैं आपके ही घर की बनूंगी।

ये सोच मैं मुस्कुराती हुई उठी और उनके पैर छू ली और वो सोची उन्होंने अपनी बातों से बाजी जीत ली। ये सोच उन्होने तुरंत अपने सीने से लगा लिया और मेरा माथा चूम लिया शायद उन्होंने बाज़ीगर नहीं देखी थी "हार के जितने वाले को बाज़ीगर कहते हैं।"

मैं वहां से निकल सीधा अपने मिस्टर परफेक्ट के पास पहुंची और संपूर्ण बाबू मुझे मुस्कुराते देख पूछ उठे "क्या मां मान गई?"

मैं बोली, "नहीं, बल्कि उनकी वजह से मैं ये जान पाई की आप ही मेरे परफेक्ट मैच हो मिस्टर परफ़ेक्ट।" और हम दोनों ही आंखों आंखों में मुस्कुरा उठे।


समाप्त



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