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Anjali Srivastava

Others

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Anjali Srivastava

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सरनेम

सरनेम

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"क्या...?????? क्या कहा तुमने?? अपना सरनेम नही बदलेगी? क्यों??? क्यों नही बदलेगी? शादी के बाद तो सब बदलते हैं अपना सरनेम।"

आज 3 साल से एक ही बात के ताने देने का क्या मतलब नहीं बदलना है अगर उसको तो रहने दो न।

"क्यों??? मैंने!! मैंने भी बदला था अपना सरनेम फिर वो क्यों नहीं बदलेगी? ऐसे थोड़ी होता है हर काम अपनी मर्जी से और नही तो क्या?? सरनेम तो बदलना ही होगा ऐसा नहीं चलेगा इस घर में।" 

"मैं.. मैं.. मैं खुद अपना सरनेम बदली थी शादी के बाद, मैं कपूर की फैमिली से आती हूं फिर भी अपना सरनेम बदली। क्या मैंने उसके बाद जॉब नही किया सरकारी नौकरी करती हूं फिर भी अपना नाम बदली। फिर वो क्यों नहीं बदलेगी। नौकरी भी तो नहीं करती अब ऐंठ देखो इनके। अपनी मर्जी से शादी कर के आई हैं न।"

"मैं अपना सरनेम नही बदलना चाहती इसलिए नही की मैं चित्रगुप्त की वंशज हूं बल्कि इसलिए क्योंकि मेरी खुद की एक पहचान है। लोग मुझे मेरे नाम मेरे काम से जानते हैं हर कोई जानता है मैं कनक श्रीवास्तव हूं एक आर्टिस्ट हूं एक टीचर हूं एक उभरती लेखक हूं। कौन जानता है कनक कपूर को? कोई नही।"

ऐसा नही है की मुझे पति का सरनेम अपने नाम के पीछे लगाने में शर्म है। बल्कि मैं तो लगा रखी हूं सोशल मीडिया पर लिख रखी हूं कनक कपूर फेसबुक और इंस्टाग्राम पर अच्छा लगता है। मगर बस अच्छा लगता है फक्र तो तब होता है जब कोई कहता है कनक श्रीवास्तव एक अच्छी आर्टिस्ट है उनसे एक बार कन्सल्ट कर लो, फक्र तब महसूस होता है जब कोई स्टूडेंट याद करता है कनक श्रीवास्तव मैम आप को हम मिस करते हैं, फक्र तब होता है जब स्कूल में आज भी टीचरों के बीच मुझे याद किया जाता है कनक श्रीवास्तव मैम थी इस स्कूल में उन्होंने ये सब ड्राइंग किया है।

शायद मैंने कभी पैसा कमाने पे ध्यान न दिया हो मगर नाम बहुत कमाया है और आप कहती हैं मैं उस नाम को बदल दू। क्यों???

तुम!! ए तुम श्रीवास्तव हो न तो बच्चे छोड़ो और निकलो इस घर से। ये कपूर की फैमिली है यहां श्रीवास्तव की जगह नहीं। मैं नही मानती कागज़ के टुकड़े पे हुई शादी को। दिखाओ फोटो दिखाओ सर्टिफिकेट दिखाओ ओरिजिनल दिखाओ।

क्या सरनेम बदलने से मुझे इस घर में जगह मिल जायेगी? क्या सबके दिल में मेरे लिए अपने आप जगह बन जायेगा? क्या मैं सच में कपूर हो जाऊंगी? क्या मुझे अपने आप पंजाबी बोलना आजाएगा? क्या मुझे इस घर में बेटी छोड़िए बहु की इज्जत मिल जायेगी? ऐसा क्या हो जायेगा मेरे सरनेम बदलने से जिसके लिए मैं अपनी पहचान खो दू।

जाऊंगी तो अपना क्या आपका बच्चा भी लेके जाऊंगी। सोच लीजिएगा। रही बात कागज़ के टुकड़े की तो उसी कागज़ के टुकड़े के बल पे आप सरकारी नौकरी कर रही हैं और इसी कागज़ के टुकड़े के बिना लोग नौकरी तक नही पाते। बहुत ताकत है इस कागज़ के टुकड़े में अच्छे अच्छों को हिला दे।

मुझे ये बड़ी बड़ी आंखें दिखा के डराइए नहीं मैं इनसे डरने वाली नही हूं। आज की भारतीय नारी हूं जो दूसरों का सम्मान करना जानती है तो खुद का भी सम्मान करवाना जानती है। इज्जत करती हूं आपकी इसलिए कभी आपके सामने मुंह नहीं खोली बस एक कागज के टुकड़े पे लिख के ही इसकी ताक़त दिखा सकती हूं।



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