प्रकृति का पर्व

प्रकृति का पर्व

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 "नमस्ते बच्चों आज हम बात करेंगे चेरी ब्लॉसम पर्व की। आप में से कितने बच्चों ने इसके बारे में सुना या कहीं पढ़ा है ?"

"चेरी ब्लॉसम ? चेरि या तो खाने की चीज़ होती है और या चेरी ब्लॉसम शू पॉलिश का नाम है....

 इसके अलावा तो.... !" सिर खुजलाते हुए चंद्रेश ने कहा।

"बच्चों, जापान में सातवीं सदी में लोगों का पर्यावरण और प्रकृति के प्रति जुड़ाव तय करने के लिए चेरी ब्लॉसम पर्व की शुरुआत की गई। इसका उद्देश्य स्थानीय लोगों को पर्यावरण और वृक्षों के साथ जोड़ना था।"

" मैंने पढ़ा है चाचा जी कि जापान भी उन देशों में से एक है, जहां त्रासदीयां किसी न किसी रूप में हर बार कुछ ना कुछ पारिस्थितिकी असंतुलन पैदा करती हैं।"

 ज्योतिरादित्य ने कहा।

" ठीक इसीलिए जापान में चेरी ब्लॉसम के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के लिए शांति के प्रतीक के रूप में इस पर्व की शुरुआत की गई।"

"चाचा जी, आप तो भारत के विषय में ही 52 सप्ताह चर्चा करने वाले थे। यह जापान की चर्चा क्यों ?" बरखा ने आश्चर्य से पूछा।

"तुमने बिल्कुल सही कहा बरखा दरअसल जापान के इस पर्व से प्रभावित होकर उत्तर भारत के हिमालय क्षेत्र में इस पर्व की शुरुआत हुई।"

"क्या भारत और जापान के वातावरण और पारिस्थितिकी में समानता भी है ?"वाणी ने पूछा।

"इसे समझने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर दीनबंधु साहू अंटार्कटिक गये और पर्यावरण को समझने में ऐतिहासिक भागीदारी की। तत्पश्चात उन्होंने 2015 में चेरी ब्लॉसम पर्व की शुरुआत की।"

"चाचा जी, मेरे विचार से पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी वर्तमान पीढ़ी को उठानी चाहिए। क्योंकि ,हम पढ़ते हैं कि 2050 तक कई संसाधन विलुप्त हो जाएंगे अगर उन संसाधनों का अंधाधुंध दोहन होता रहा। फिर इस संकट का हमें ही सामना करना है।"मान्यता ने कहा।

"तुम्हारा कथन बिल्कुल सत्य है।

इस पर्व का उद्देश्य एक तरफ आने वाली पीढ़ी को वर्तमान पीढ़ी से जोड़ना है, वहीं दूसरी तरफ प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण के प्रति लोगों का आह्वान करना भी है। शिलांग में वर्ष 2015 में शुरू हुआ यह आंदोलन उत्तर पूर्वी राज्यों में अपनी जगह बना चुका है।"

"इस पर्व का आयोजन क्या होता है, चाचा जी, और यह संदेश जन-जन तक कैसे पहुंचता है ?'पूरब ने जानना चाहा।

"यह पर्व अक्टूबर-नवंबर में आयोजित होता है। इस पर्व में तीन मुख्य संदेश दिए जाते हैं। पहला, वृक्ष ही शांति का प्रतीक हो सकता है। दूसरा, लोगों में सामूहिक कार्य की भागीदारी और तीसरा, पर्यावरण को पर्व के साथ जोड़ना।"

 "क्या यह पर्व निरंतर मनाया जाता है चाचू, या इन वर्षों में कोई व्यवधान भी पड़ा ?"यश ने पूछा।

"नहीं, उत्तर पूर्वी हिमालय में चेरी ब्लॉसम एक आंदोलन का रूप ले चुका है। वर्ष 2017 में इस पर्व के एक लाख लोग साक्षी बने जिसमें विद्यार्थियों की बड़ी भूमिका थी।"

"इस पर्व की और भी उपयोगिता है चाचा जी, जब अधिक से अधिक लोग इस में भाग लेने आते होंगे,तो स्थानीय कारोबार में वृद्धि होती होगी।लोगों को रोज़गार मिलता होगा।और इस तरह स्थानीय

 विकास और देश का विकास भी होगा।"उमेश ने कहा।

 "बहुत अच्छे उमेश,जहां इस पर्व के दौरान वनीकरण, पर्यावरण आर्थिकी पर भागीदारी की जाती है वहीं दूसरी तरफ यह पर्व आर्थिक उन्नति में भी एक बड़ा भागीदार बना है क्योंकि यह टूरिज्म सीजन भी होता है।"

"बच्चों, आपके द्वारा प्रश्न पूछे जाना और आपकी उत्सुकता देख कर मुझे बहुत प्रसन्नता होती है । मुझे यह आभास होता है कि मेरा संदेश आप लोग अच्छी तरह समझ रहे हैं, तो बच्चों ,आज के लिए इतना ही ।कल फिर हाजिर होंगे, एक नए विषय के साथ।तब तक के लिए धन्यवाद।"

" चाचा जी, आपका धन्यवाद और नमस्ते।


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