प्रीति की वापसी
प्रीति की वापसी
प्रीति आज दो साल बाद मायके जा रही थी।शादी के बाद पति के साथ अमेरिका शिफ्ट हो गयी थी और आज भाई की शादी के उपलक्ष्य में इंडिया आना हुआ था।
प्रीति आज बहुत खुश थी।एक ओर अपनों से मिलने की खुशी तो दूसरी ओर अपने डेढ़,अपनी मिट्टी पर वापसी इस खुशी को दूना कर रही थी।
घर पहुँचते ही माँ ने भव्य स्वागत किया।बारी बारी से सब से गले मिल दिल को बहुत सुकून मिल रहा था।
माँ ने प्रीति का समान उस के पुराने कमरे में रखवा दिया।प्रीति नहा धो कर माँ का हाथ बंटाने के लिए किचन में चली गयी। शादी का घर मेहमानों से भरा था।
शाम को बारात निलने के लिके तैयार हुई।दूल्हे की इकलौती बहन थी प्रीति ,सो भारी लहंगा और घणो में खुद दुलहन से कम नही लग रही थी।
बैंड बाजे के सामने प्रीति ने डांस किया तो अचानक नजर अंकुर पर अटक गई,भाई पारस का दोस्त अंकुर जो कि प्रीति से बहुत प्यार करता था पर प्रीति के घरवालों ने जाति भेद के बहलते प्रीति की शादी अमेरिका में रोहन से करवा दी थी।
प्रीति को नाचते देख अंकुर अपने दिल को संभालने की कोशिश कर रहा था,तो प्रीति के दिल मे भी हलचल सी मच रही थी।पुरानी सारी यादे फ़्लैश बैक हो गयी।
शादी के दौरान प्रीति के दिल मे वही पुराण प्यार उमड़ रहा था।
कहावत है ना, "बीती रात कलम दल फुले"।
प्यार का बुखार भी ऐसा ही होता है, प्रेमी को देख दिल कमल की तरह खिल उठता है।