पर्दा
पर्दा
अहमदाबाद रेलवे स्टेशन प्रतीक्षालय में मैं अपने परिवार के साथ अपनी ट्रेन का इंतजार कर रही थी l कुछ देर बाद मैंने ग़ौर किया कि मेरी बगल में बैठी एक वृद्धा कुछ दुःखी मालूम हो रही है , शायद इसीलिए वो लगातार अपना मुँह बिगाड़ते हुए असामान्य सी हरकत कर रहीं थीं l
और थोड़ी देर बाद ही उन्होंने स्वयं पहल करते हुए औपचारिक बात की शुरुआत के साथ मुझसे कहा - "मैं अपने दोनों बेटा बहू के साथ द्वारकाधीश के दर्शन करने आई थी बेटा, और फिर तत्परता से मेरा परिचय पूछ कर उन्होंने अपनी बातों को आगे बढ़ाते हुए सामने इशारा किया.." वो जो नाश्ता कर रहे हैं ना.. मेरे बेटा बहू हैं, और फिर तुरंत ही विकृत सा मुँह बनाकर वो कहने लगीं.. मेरी बड़ी बहू ना बड़े घर से आई है, और नौकरी भी करती है, इसलिए वो बिल्कुल भी पर्दा नहीं करती.. I इसी कारण छोटे बेटे की शादी हम लोग गरीब घर में किए, शादी का पूरा खर्च भी हम लोगों ने ही उठाया बस इसलिए कि कम से कम ये तो अपने सिर पर पल्लू रख कर हमारा मान सम्मान करेगी .... और फ़िर हठात अपने चेहरे को पूरा वक्र करते हुए उन्होंने अपने हाथ के अंगूठे को हिलाते हुए कहा .. पर ये.. ये तो आते ही सलवार सूट पहनने लगी न जेठ से पर्दा ना ससुर से"... तो तत्काल मैंने उनसे कहा - "तो अम्मा जी, घर का सारा काम कौन करता है.. और खाना कौन बनाता है..? तो वो बड़े हल्के ढंग से जवाब देते हुए बोलीं -" हाँ.. इन्हीं लोग मिलकर करते हैं न..!
ये सुनते ही मैंने उनसे कहा-" आप बहुत भाग्यशाली हैं अम्मा जी के ये लोग आपको समय से खाना दे रहे हैं, और आपका काम भी कर रहे हैं.. "और फ़िर बैसाखी की तरफ इशारा करते हुए मैंने कहा - "देखिये आप चल नहीं पा रहीं हैं, लेकिन फिर भी ये लोग आप को तीर्थ कराने लाए हैं..! शायद आपको मालूम नहीं हमारे आसपास कुछ ऐसे बुजुर्ग भी हैं, जिनके दो-दो तीन-तीन बच्चे होते हुए भी उन्हें खाने तक के लिए नहीं पूछा जाता और आप 21वीं सदी में पर्दे को लेकर परेशान हो रही हैं, आपको तो खुश होना चाहिए कि आपकी इतनी परवाह की जा रही है l मेरे हिसाब से तो बस यही इज्जत ही सबसे बड़ा पर्दा है..! "
मेरे ऐसा कहते हैं कुछ पल के लिए हम दोनों ही मौन हो गए लेकिन जब पुनः मैंने वृद्धा के चेहरे को पढ़ने का प्रयास किया तो देखा वह कभी बेटे और बहू को देख रही थी तो कभी मेरी तरफ पता नहीं उन्होंने मेरी बातों को अच्छे से समझा या नहीं लेकिन उनके चेहरे की बदलती प्रतिक्रिया अब मुझे सुकून अवश्य दे रही थी.. I