Dinesh Dubey

Horror

4  

Dinesh Dubey

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पंचम भाग 47

पंचम भाग 47

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पंचम इस यक्ष को देख नीचे उतरते हैं , नैवेद्य अकेले ही यक्ष की ओर जाता है ,तो उसकी गंध यक्ष को मिल जाती है ,वह हिम मानव को खाना छोड़ कर उसकी ओर देखते हैं ,और अपने खून से भरे नुकीले दांतो कटकटाने लगता है , उसका भाव यह प्रदर्शित कर रहा था की नैवेद्य का उसके भोजन के बीच में आना पसंद नही आया,??

वह गुर्रा कर उसको देखता है , तो नैवेद्य उसे चिढ़ाते हुए कहता है"क्या बात है ,अकेले अकेले भोज उड़ा रहे हो ,बाकी साथी कहां गए।

यक्ष उसे चौक कर देखता है , और कहता है "कौन हो तुम ,यहां मरने के लिए आए हो।

नैवेद्य कहता है "मारने नहीं ,तुझे मारने आया हूं , !??


यक्ष जोर से ठहाका लगा कर हंसता है ,और कहता है "अच्छा तो तुम जैसे पिद्दी को भेजा है देवों ने हमे मारने के लिए।


नैवेद्य कहता है "अब क्या करें ,उनके पास हम जैसे ही लोग हैं तो हमे ही भेजेंगे।

बात करते करते नैवेद्य यक्ष के करीब पहुंच जाता है , चारो ओर बर्फ ही बर्फ था , यक्ष उसको पकड़ने के लिए आगे बढ़ता है तो नैवेद्य बर्फ में फिसल कर उसके नीचे जाकर एक जोरदार घुसा उसको मारता है ,तो वह एक ही घुसे की मार से गिर पड़ता है ,,*"!!

यक्ष को अब अहसास होता है की वह जिसे पिद्दी समझ रहा था वह साधारण नही है तो वह तेज़ी से पलट कर उस पर वार करना चाहता है तो नैवेद्य पहले से ही होशियार था , वह उसके पलटने से पहले ही उसे उठाकर तेज़ी से पटकता है।!

उसके पटकते ही बर्फ चटक कर टूट जाता है ,और दोनो ही बर्फीले पानी में गिर पड़ते हैं , इस हमले से आहत हो यक्ष जोर से चिल्लाता है , उसकी चीख सुन पास ही भटक रहे उसके तीन साथी  भाग कर आते हैं , वह अपने साथी को पानी से खीच कर बाहर निकालते हैं , नैवेद्य तो पहले ही बाहर आ चुका था ।

वह चारो नैवेद्य को घेरते हैं ,उन्हे लगता है नैवेद्य अकेले है , वह उसे पकड़ने ही वाले थे की तभी सबके पीछे एक एक देव आ जाते हैं , और उन्हे पकड़ कर पटकते हैं ।


अवधूत खड़े होकर उनकी लड़ाई देख रहे है , चारो एक दूसरे को पटकने में लगे थे , उनकी लड़ाई के कारण बर्फ टूटने लगता है ,और बर्फ नीचे तलहटी को और जाने लगता है , चारो शैतान बर्फ के टूटने का फायदा उठा कर गायब हो जाते हैं , पर अवधूत का ध्यान उनकी ओर ही था तो वह उन्हे बर्फ के साथ फिसल कर जाते हुए देख लेते है , और सभी से बर्फ के साथ ही ऊपर ऊपर चलने को कहते हैं ,पंचम फिसलती हुई बर्फ के साथ साथ चलते हैं,*"!!


पूरी बर्फ नीचे तराई में गिरती है जिसके कारण नीचे की नदी में बाढ़ आ जाती है ,और चारो ओर तबाही मचाने लगती है यह देख पंचम को क्रोध आता है , उन्हे एक और भागते हुए शैतान दिखाई पड़ते हैं , तो पंचम उनके सामने खड़े हो जाते है , कौर उनसे भिड़ जाते है , थोड़ी ही देर में उन्हे बुरी तरह से पिटना शुरू करते हैं।


एक शैतान गुस्से से कारक को पकड़ कर तेज़ी से फेंकता है , तो कारक दूर नदी के ठंडे पानी में गिरता है।


यह देख अवधूत उस शैतान को पकड़ कर एक चट्टान पर पटकता है ,तो उसके चिथड़े चिथड़े उड़ जाते हैं , उस शैतान को आत्मा बाहर निकलते देख अवधूत उसे वलय कवच में बंद कर देते हैं, और फिर उसे नरक में भेज देते है , !

बाकी दो का भी वही हाल होता है ,पर उनमें से एक थोड़ा सा अधिक ताकत वर था वह श्रमिक के वश में नही आ रहा था, तीन तीन लोग उसके साथ भिड़े हुए थे ,फिर भी वह इन पर भारी पड़ रहा था ।

अवधूत यह देख गुस्से में आते हैं,और उस पर अपनी शक्ति का उपयोग करते हैं ,और उसे जलाने लगते हैं ,उनको यह करते देख सभी उस शैतान से दूर होते हैं ,और फिर सब उसकी ओर अपनी अपनी शक्ति से उसे जलाने लगते हैं , वह शैतान चीखते हुए क्षमा मांगने लगता है ,पर तब तक देर हो चुका था वह जल कर भस्म हो गया , सभी लोग खुश होते हैं ,!!

पहली बार उन्होंने किसी शैतान को भस्म किया था ,यदि उसे भस्म नही करते तो वह इनका नुकसान जरूर करता।


पहले शैतान को भस्म करने की खुशी में पंचम मिष्ठान खाना चाहते थे।!पर इस स्थान पर उन्हे कहां मिस्ठान मिलता।कारक कहता है "अगली सूची देखिए आप बाकी शैतान कहां मिलेंगे।


अवधूत सूची निकाल कर देखते है, तो पांच शैतान मध्य भारत की ओर बताता है ,वह सब एक दूसरे को देखते हैं और मध्य भारत की ओर जाते हैं।?



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