पिशाच की बेटी
पिशाच की बेटी
मोनी ओ मोनी....... अब उठ भी जा लाडो सूरज सर पे चढ़ आया है कब तक सोती रहेगी!!!!
ये आवाज़ मोनी की माँ सपना की थी जो कब से आवाजें लगा रही थी बेटी को उठाने के लिए मगर मोनी उठने का नाम ही नहीं ले रही थी।
तभी वो चिल्लाती हुई उठ बैठी उसकी चीख सुनकर सपना दौड़ती हुई उसके कमरे में आई क्या हुआ लाडो??? और फिर खुद ही बोली क्या फिर से...... हाँ मम्मा वही सपना
सपना सोच में डूब गई लेकिन फिर सयंत होते हुए बोली जा जल्दी से फ्रेश हो जा तेरे लिए तेरा फेवरेट राजमा चावल बनाया है!!!!
मोनी बाथरूम में चली गयी और सपना फिर गहरी सोच में डूब गई ।
सपना सिंगल मदर थी अविनाश के उसे छोड़कर जाने के बाद उसने उसे अकेले ही पाला था।
सपना साइंस की प्रोफेसर थी, मोनी भी इसी साल उसके कॉलेज में एडमिशन ली थी, मोनी खुद भी साइंस स्टूडेंट थी वो डॉ बनना चाहती थी सो सपना ने भी उसकी बात मान कर उसकी इच्छासे उसे विषय चुनने दिया।
वो यूँ ही गुमसुम बैठी थी कि मोनी पीछे से आकर उसके गले में लिपट गयी...... "क्या हुआ मम्मा आज कॉलेज नहीं चलना है??? रोज तो आपको मुझसे ज्यादा जल्दी होती है"
ओर ध्यान से सपना को देखने लगी सपना एक दम सामान्य होकर मुस्कुरा दी और बोली ....लाडो पहले खा तो ले उसे डर था कि कहीं मोनी उसकी परेशानी भांप न ले!!!!
......लेकिन शुक्र था कि मोनी को समझ नहीं आया।
खाना खाकर मंजू को काम बता दोनों माँ बेटी कॉलेज के लिए निकल गयी।
पुणे की भीड़ भरी सड़कों पर आज ट्रेफिक भी सपना को कुछ ज्यादा ही लग रहा था....एक सिग्नल पे उसने कार रोकी,......तभी न जाने कहाँ से एक किन्नर मोनी की साइड वाली खिड़की पर प्रकट हुआ वो कुछ मांगता उसके पहले ही मोनी पर नज़र पड़ते ही डर से चोंक पड़ा। ।
सपना ने उसे कुछ पैसे देने के लिए विंडो मिरर नीचे किया तो वो कुछ बोल रहा था हाय हाय ये किस बला को लिए घूम रही है बेटा!!! ओर बिना कुछ लिए तेज़ी से जैसे प्रकट हुआ था वैसे ही गायब हो गया। ।
सपना अब कुछ ज़्यादा ही चिंतित हो गयी थी जो वो किन्नर अभी अभी कहकर गया था शायद वो जानती थी कि वो किस बारे में बात कर रहा था!!
मोनी अब भी सकते में थी मम्मा वो मुझे "बला" कह रहा था????
नहीं नहीं लाडो तू भी कहाँ ध्यान दे रही है ऐसे लोग पैसे कमाने के लिए कुछ भी बोलते है। ।।
कॉलेज आ गया था कार पार्क करके सपना स्टाफरूम में ओर मोनी क्लास में चली गयी!!!!
अरे वाह मम्मा की लाडो आ गयी आईये राजकुमारी जी आपका स्वागत है......." ये आवाज़ मोनी की बेस्ट फ्रेंड पूजा की थी दोनो में बहुत प्यार था।।
वैसे इनका पूरा ग्रुप था पूजा, सौम्या, नमन, अतुल और सबसे खास रुद्र।
अब रुद्र खास क्यों था...???
वो इसलिए कि पूरे कॉलेज का टॉप स्टूडेंट था अमीर बाप की इकलौती सन्तान स्मार्ट और सबसे बड़ी खासियत वो इतना होने पर भी एक दम सरल और सौम्य था न किसी बात का घमंड न ही कोई बुरी आदत कुलमिलाकर वो एक देवपुरुष की तरह ही था मोनी उसे बहुत पसंद करती थी।
वैसे तो मोनी एक दम मस्ती खोर और हंसमुख थी पर आज उसके सुंदर मासूम चेहरे की हँसी गायब थी वो अब भी उस किन्नर के बारे में ही सोच रही थी !!!! तभी रुद्र ने उसके चेहरे के सामने चुटकी बजाते हुए कहा....."अरे मेरी शहज़ादी आज ये शक्ल पर बारह क्यों बजे हुए हैं????? वो उसे शहज़ादी ही बुलाता था!
तभी सौम्या बोली लगता है इसे प्यार हो गया है किसी से और हँसने लगी......अरे अरे सौम्या ऐसा मत बोल वरना हमारा रुद्र तो अभी हार्ट अटेक से मर जायेगा....पूजा बीच मे ही बोल पड़ी,,, सुनकर सारे एक साथ हंस पड़े!!!
तभी प्रोफेसर सक्सेना क्लास में आये और सब चुपचाप अपनी सीट्स पर बैठ गए।
तो स्टूडेंट्स आज हम एक रोचक विषय पर बात करेंगे......
तुम में से कौन कौन वैम्पायर्स यानि पिशाचों के अस्तित्व को मानता है?????
सभी स्टूडेंट्स हैरान थे कि आज सर को क्या हो गया ऐसे विषय पर चर्चा....खैर आधे स्टूडेंट्स ने हाथ ऊपर किये जिनमें पूजा और रुद्र भी शामिल थे।
मोनी हैरानी से पास बैठे रुद्र को देख रही थी जहाँ तक वो जानती थी रुद्र ने कभी ऐसा कोई जिक्र उसके सामने नही किया था।
तो क्या जानते है आप इस बारे में???
प्रोफेसर ने सवाल किया:–??
एक स्टूडेन्ट खड़ा हुआ और कहने लगा सर मेरे गांव में पिशाच हैं जिन्होंने कितने ही लोगों का खून चूसकर उन्हें मार डाला.." क्या तुमने उन्हें देखा कभी? सर ने पूछा---- नहीं सर मेरे दादाजी बताते थे कि पिशाच होते हैं.....तभी एक स्टूडेंट बोला अच्छा हुआ तूने नहीं देखा वरना तू अभी यहां नहीं होता ......सुनकर सारे ही हंसने लगे।
साइलेंट हो जाइए सर गम्भीरता से बोले......
रुद्र तुम बताओ तुम क्या सोचते हो....
????
सर भूत प्रेत या आत्माओं का कोई एक ठिकाना निश्चित नहीं किया जा सकता है। लेकिन मैंने पढ़ा है दुनिया भर में कुछ ऐसी जगहे है जहां रूह आत्माएं पिशाच अपना ठिकाना बना लेती हैं!!!!
कुछ देर रुक कर रुद्र फिर बोला–– "लन्दन के हाईगेट कब्रिस्तान में बहुत से लोगों ने वैम्पायर्स को देखा है।
वैसे तो इन पिशाचों के बारे में दुनिया भर में सिर्फ अटकलें ही लगाई जाती रही है लेकिन......
फिर कुछ देर रुक कर रुद्र बोला... लेकिन इस कब्रिस्तान में कई बार इन मौत के राक्षसों को लोगों ने महसूस किया है।
कइयों ने तो उन पिशाचों को मुर्दों का खून पीते देखा है....रुद्र की बातें सुनकर सभी के रोंगटे खड़े हो गए।
तभी एक लड़का बोला सर अगर पिशाच होते हैं तो हमारे बीच भी हो सकते हैं...????
हाँ बेटा वो तू भी हो सकता है अतुल उसका मजाक उड़ाते हुए बोला तो सभी जोर से हंस पड़े और वो बेचारा डर कर बैठ गया।
प्रोफेसर सक्सेना बोले "जिन्हें विश्वास है वो मेरे साथ आना चाहें तो आ सकते हैं इस विषय पर मैं ओर मेरी टीम रिसर्च कर रहे हैं यहां से 200 किलोमीटर दूर एक गाँव है खैरथल( काल्पनिक) वहाँ पिशाचों के होने के निशान मिले हैं।
हम 12 मार्च को चलेंगे जो भी स्टूडेन्ट इंटरेस्टेड हो वो मुझसे आके मिल सकता है।"
कहकर प्रोफेसर चले गए।
सभी वापस अपने अपने ग्रुप में बैठ कर इस नए टॉपिक पर बात कर रहे थे।
रुद्र मोनी को लगातार देखे जा रहा था जो अब तक रुद्र की कही बातों में ही उलझी थी।
रुद्र....मोनी बोली "क्या तुम सचमुच इन सब बातों को मानते हो....???? रुद्र उसकी मासूम आँखों मे झांकते हुए मुस्कुराया क्यों तुम्हे डर लग रहा है कि कहीं मैं ही पिशाच तो नहीं ??
रुद्र.......मोनी उसको झिंझोड़ते हुए बोली पागल हो???
ऐसी बातें मत करो । ।
हाँ रुद्र तुम पिशाच भी हुए तो मोनी तुम्हें प्यार करना नही छोड़ेगी!!!!अतुल बीच मे बोल पड़ा और हो हो करके हँसने लगा मोनी ने उसे खा जाने वाली नजरों से देखा.....अतुल एक पल को तो सिहर गया उसे मोनी की आँखे सामान्य नही लगी। ।।
तभी पूजा बोली तो फिर गाइज़ क्या विचार है चलना है पिशाचों को देखने???
"मैं ओर मोनी तो जा रहे हैं रुद्र बोला" ओर मैं ओर पूजा भी अतुल ने कहा....लेकिन सौम्या अभी भी चुप थी क्योंकि नमन कभी नही जाएगा उसे पता था क्योंकि नमन उसका भाई था और वो जानती थी कि वो कितना डरपोक इंसान था।
क्यों सौम्या,नमन चल रहे हो न...?? नमन ने अपेक्षाकृत जवाब दिया नहीं कभी नहीं। अब सौम्या का मुहँ उतर गया वो जाना चाहती थी।
रुद्र बोला कोई बहाना नहीं हम सब जा रहे हैं मतलब जा रहे हैं .....
रुद्र की बात टालने की किसी में हिम्मत नहीं थी ।
मगर रुद्र घरवाले मानेंगे क्या???? नमन धीरे से बोला। उनको कौन बताएगा कि क्यों जा रहे है, कहेंगे की कॉलेज टूर है बस।
अरे लेकिन 10 मार्च को तो तुम्हारी शहज़ादी का बर्थडे है रुद्र, 18 की हो जाएंगी मैडम। बालिग मतलब समझते हो न पूजा ने रुद्र की तरफ आंख मारते हुए कहा .....मोनी ने जोर की एक धौल पूजा की पीठ पर जमाई ओर बोली बहुत बोलने लगी है पूजी तू आजकल.....फिर खुद ही शरमा गयी सभी एक साथ ठहाका लगाकर हँसे ओर रुद्र बहुत ही प्यार से मोनी को देखता हुआ मुस्कुरा रहा था।
मोनी का घर..........
आज सपना का किसी काम में मन नही लग रहा था मोनी उसके गले मे बाहें डालकर बोली मम्मा.......हाँ लाडो सपना ने प्यार से उसके सर पर हाथ रखते हुए कहा......"मम्मा आज तारीख कौनसी है????? 7 मार्च सपना ने जवाब दिया!!!!!
ओर दो दिन बाद क्या है 10 मार्च तेरा जन्मदिन!!!!!!
सपना को जैसे करंट लगा मोनी का जन्मदिन मतलब दो दिन बाद मोनी 18 की हो जाएगी फिर.......घबरा कर उसने अपनी आँखें बंद कर लीं।
है!!!मुरली वाले मेरी बच्ची की रक्षा करना।
क्या हुआ मम्मा आप खुश नही हो मैं बड़ी हो गयी हूँ।।
नहीं मेरी लाडो ऐसा नहीं है प्यार से उसने मोनी के गालों को थपथपाया तू बड़ी हो रही है पर बचपना अब तक नही गया है।
चल अब सो जा । जय श्री कृष्णा।
सुबह सुबह मंजू ने दरवाजा खटखटाया सपना उनींदी सी उठकर दरवाज़ा खोली.....क्या बात है बीबीजी तबीयत ठीक नहीं क्या??? आज फिर बेबी ने वो सपना देखा क्या ??? आप इतनी देर तो नहीं सोतीं....अरे सांस ले मंजू सारे सवाल एक साथ!!!!! मैंने कहा था आपसे एक बार चेनम्मा माई से मिल लो मगर आप मानती कहाँ हो .......मंजू बिना रुके बोले जा रही थी।
अच्छा बाबा आज चलते हैं बस!
अब जल्दी से काम निपटा तब तक मैं तैयार हो जाती हूँ......कहकर सपना अपने कमरे में चली गयी।
तैयार होकर उसने मोनी को आवाज़ लगाई लाडो उठा जा अब ।
आँखें मसलती मोनी सपना के गले आ लगी ।
लाडो फ्रेश हो के नाश्ता कर ले मैं मंजू के साथ किसी काम से बाहर जा रही हूँ।
सपना ओर मंजू एक बस्ती में पहुंच चुकी थीं। सपना को उस बस्ती में थोडी घुटन हो रही थी। बेहद सँकरा से रास्ता था। मंजू उसका मुंह देख कर समी परेशानी समझ गयी थी....
मंजू बोली माफ करना बीबीजी हम गरीब लोग तो इसी तरह रहते हैं । सपना ने उसे देखा तो वो चुप हो गयी।
करीब 100 कदम चलने के बाद एक के कच्चे मकान के आगे मंजू रुक गयी और पुकारने लगी माई ओ माई.....
आजा मंजू तेरी बीबीजी को ले आयी ???
सुनकर सपना हैरत से मंजू को देखने
लगी मंजू बस गर्व से मुस्कुरा दी जैसे कह रही हो कहा था न माई सब जानती है। दोनों अब उस घर के अंदर थी चारों तरफ चमकते त्रिशूल, लाल रंग की पोटलियाँ ओर ढेर सारी मोमबत्तियाँ लगी हुई थीं।
चेनम्मा माई काले चोगे में बड़ी बड़ी आँखे जिनके आसपास झुर्रियों के गहरे निशान ओर उन आंखों में गहरा मोटा काजल ऐसा लग रहा था जैसे दरारों भरी दीवाल पर किसी ने काला रंग पोत दिया हो!!! मोटी मोटी सफेद भौहें ओर उनके बीच बड़ी सी लाल सिंदूर की बिन्दी, गले में ढेर सारी रुद्राक्ष की मालाएं ओर उनमें लटके चमकते त्रिशूल!!!!! कुल मिलाकर वो बेहद ही डरावनी लग रही थीं लेकिन वहां के माहौल में एक अजीब सी शांति थी जो सपना ने शिद्दत से महसूस की थी।
माई ने बैठने का इशारा किया––– दोनों उनके सामने बिछे आसन पर बैठ गईं। कुछ कहने को सपना ने होंठ खोले मगर माई ने हाथ उठाकर उसे रोक दिया।
मैं जानती हूं तू यहाँ क्यों आयी है सपना ने थोड़ा संकोच से मंजू की ओर देखा तो माई ने मंजू को बाहर जाने का इशारा किया।
मंजू तुरन्त बाहर चली गयी।
माई अगर आप सबकुछ जानती हैं तो मेरे पति के बारे में भी सब जानती होंगी। माई ने सहमति में सिर हिलाया ओर बोली तू चिंता न कर बेटी वो जग का रखवाला है न तेरा कृष्ण कन्हैय्या उसने तेरी बेटी का रखवाला पहले ही भेज दिया है।
अब मेरी बात ध्यान से सुन .......
इधर बाहर मंजू उत्सुकता से इंतज़ार कर रही थी उसे मलाल था कि उसे बाहर भेज दिया और मैं कुछ जान नहीं पाई।
करीब 1 घण्टे बाद सपना बाहर आई उसके चेहरे पर अब सुकून था फिर भी खतरा तो अभी टला नहीं था!!!!
मंजू ने रुद्र ओर पूजा को फोन किया कि मोनी के बर्थडे की तैयारी करनी है।
आज 10मार्च पुणे का 5 स्टार होटल–
बहुत अच्छा इंतज़ाम किया है रुद्र सपना ने रुद्र की ओर स्नेह से देखते हुए कहा..."
आंटी आपका आदेश जो था और फिर मोनी का बर्थडे है खास तो होना ही चाहिए। सारे मेहमान, मोनी के सारे दोस्त सभी लोग आ चुके थे मोनी ने केक काटा ओर सभी ने उसे विश किया ।
मोनी रुद्र के साथ डांस फ्लोर पे चली गयी सभी डांस कर रहे थे.......तभी अचानक मोनी को अपने शरीर मे खिंचाव सा महसूस हुआ और वो चीख कर बेहोश हो गयी!!!!!
उसकी इस हालत को देख कर सपना घबरा गई लेकिन रुद्र ने सभी को शांत रहने का बोला, ओर मोनी को गोद मे उठा कर रूम में ले गया।
पूजा और सौम्या मोनी के पास थी रुद्र ने सपना से कहा आंटी मुझे आपसे कुछ बात करनी है। ।।
दोनों एक तरफ जा कर बात करने लगे रुद्र ने जो सपना से कहा उसे सुनकर सपना के चेहरे के भाव रंगों की तरह बदलने लगे कभी वो हैरान होती कभी डर जाती कभी चैन की सांस लेती। कुछ देर दोनों इसी तरह बातें करते रहे।
मम्मा!!!! मोनी ने पुकारा सपना उसके पास ही बैठी थी रुद्र भी उसके पैरों के पास बैठा हुआ था सपना ने देखा रुद्र की आंखों में आँसू थे जिन्हें वो छुपाने की कोशिश कर रहा था।
मुझे क्या हुआ था मम्मा?????
कुछ नही लाडो बर्थडे के चक्कर मे ज्यादा ही थक गई थी तू । ।।
मैं मेहमानों को देखती हूं तुम लोग इसका ख्याल रखो.....कहकर सपना पार्टी हॉल में चली गयी।
हाँ तो शहजादी तेरा इतना ही मन था कि रुद्र तुझे गोदी में उठाये तो यूँ ही बोल देती ये बेहोशी का नाटक करने की क्या जरूरत थी कहकर पूजा शरारत से हंसने लगी।
पूजा!!!!रुद्र ने थोड़ा गुस्से से कहा इस हालत में भी मज़ाक????हद है यार!!!
सॉरी रुद्र पूजा उसे गुस्से में देख कर बोली। ।
चल सौम्या कुछ देर चकवे चकवी को अकेला छोड़ देते है .....कहकर मोनी की तरफ आँख मारके वो दोनों बाहर चली गयी।
ओह!!!मोनी रुद्र ने तड़प कर मोनी को गले लगा लिया। वो भी कस कर रुद्र से लिपट गयी।
तभी मोनी को अपने गले मे लटका चांदी का त्रिशूल महसूस हुआ !!ये क्या है रुद्र ओर ये हाथ का काला धागा मैने तो नही पहना था!!!!
कुछ नही है शहज़ादी तुम्हारी माँ का प्यार है ये पहनने में कोई हर्ज नहीं उनका दिल रखने को पहन लो।
आज 12मार्च सुबह के 7 बज रहे थे मोनी!!!!सारी पैकिंग हो गयी लाडो हाँ मम्मा.....अर्रे आप कहाँ जा रही हो ये बैग्स????
सपना का सामान देख कर मोनी हैरानी से लगभग चिल्ला पडी।
हाँ मैं भी चल रही हूं और तू चिंता न कर प्रोफेसर सक्सेना के साथ उनकी कार से आरही हूँ तेरी आजादी में कोई खलल नही होगा और कहकर मुस्कुरा दी सपना।
लेकिन उसकी मुस्कुराहट के पीछे डर और बेचैनी करवट ले रहे थे।
सभी लोग मस्ती करते हंसते खेलते खैरथल पहुंच गए। वहां के डाक बंगले में उन सभी के रहने का इंतेज़ाम था।
शाम हो चली थी गांव की ठंडी ताजी ओर साफ हवा सभी को आनंदित कर रही थी।
सब लोग खाना खाकर फायर केम्प की तैयारी में जुट गए।
रातके लगभग 10 बज रहे थे सभी गोल घेरा बना के बैठे हुए थे।
प्रफेसर्स कुछ ही दूर अपनी रिसर्च की चर्चा में मशगूल थे।
अंताक्षरी खेलने में मुझे मजा नहीं आता अतुल बोला,... तो तेरे लिए क्या परियां बुलवाएं नमन हंसते हुए बोला....आँखें तरेरते हुए अतुल ने कहा हाँ ओर तू तो परियों से भी डर जाएगा और अपनी पेंट.....उसने बात अधूरी छोड़ दी मगर समझ सभी गये थे। नमन को अपनी इन्सल्ट अच्छी नही लगी और वो उठ कर भाग गया ।
भागते भागते उसे ये ख्याल ही नहीं रहा कि वो डाक बंगले से लगे जंगल में आ गया है!!!जब उसे ख्याल आया तो उसने देखा कि हर तरफ अंधेरा ही अंधेरा है, चारों तरफ से उसे डरावनी सी आवाजें आरही थी वो मुड़ने को हुआ और उसने जो देखा उसे देख कर अच्छों अच्छों की रूह कांप जाए...... फिर ये तो बेचारा डरपोक नमन था!!!!
उसके सामने एक भयानक काला साया खड़ा था अंधेरे में उसकी दो लाल लाल आँखें चमक रही थीं उसकी गुर्राहट से नमन का रोम रोम काँप उठा और वो चीख मारकर बेहोश हो गया।
जब उसे होश आया प्रोफेसर सक्सेना ओर उसके साथी उसके आस पास खड़े हुए थे ।
वो उठ बैठा, सौम्या रो रही थी उसके होश में आते ही वो भाई कहकर उससे लिपट गयी.....लेकिन डर के मारे अब भी नमन की आवाज़ नही निकल रही थी। तुम थोड़ा आराम करो रुद्र ने कहा और अतुल को उसके पास छोड़ कर सभी बाहर आ गये।
इधर डाक बंगले की देख रेख करने वाला मंगलू सक्सेना सर से कह रहा था मैंने कहा था न साब यहाँ वो पिशाच है जरूर उस लड़के ने उसे ही देखा होगा।
अरे मंगलू हम भी पिशाचों के बारे में जानने ही आये हैं।
चलो तुम खाने का इंतज़ाम करो।
दोपहर का वक़्त ---
रुद्र चलो न हम थोड़ा घूम कर आते हैं!!....हाँ ओर अगर कबाब में हड्डी न लगे तो हम भी साथ आते है...." रुद्र से पहले पूजा बोल पड़ी!!!
मोनी उसके पीछे भागी तू न कभी बाज़ नही आएगी अपनी हरकतों से पूजा की बच्ची!!!!ओर पूजा उसे मुँह चिढ़ाने लगी।
अच्छा अच्छा चलो सब थोड़ा घूम आते हैं।
सर से आज्ञा लेकर सब निकल पड़े
ध्यान से जाना लाडो!!!!रुद्र इसके साथ ही रहना .... ये सपना की आवाज़ थी ओके आंटी डोंट वरी।। रुद्र बोला।
गाँव की हरियाली यहां की शुद्ध हवा खेतों की ये मिट्टी की महक सब कुछ कितना अच्छा है ना रुद्र!!!???हम्म रुद्र....कहाँ खोये हो रुद्र जैसे तन्द्रा से जागा कुछ नहीं शहज़ादी तुम्हारे ही खयालों में खोया था। ओह रुद्र I Love you.... मोनी रुद्र से लिपट गयी तभी उसे लगा जैसे कोई उसके पीछे है। रुद्र को भी यही एहसास हुआ वो दोनों प्यार में खोए न जाने कब जंगल में आ गये थे उन्हें पता ही नहीं चला था। रुद्र थोड़ा चिंतित हो गया था अब। उसने मोनी का हाथ पकड़ा और बाहर की तरफ तेजी से चलने लगा लेकिन एक जोर की आंधी आयी और रुद्र का हाथ छुड़ा कर मोनी को एक तरफ ले गयी उस घने जंगल में शाम से पहले ही अंधेरा घिर आया था। रुद्र आवाज़े लगाने लगा शहज़ादी!!!... इधर मोनी भी चिल्ला रही थी रुद्र बचाओ.....मोनी ने देखा एक भयंकर सा दिखने वाला प्राणी जिसके बड़े बड़े दाँत लाल लाल चमकती आँखे ओर सूखे से हाथों की लंबी उंगलियों के बड़े बड़े नाखून वो उसे ही देख रहा था ......मोनी हैरान रह गयी ये तो वही है जो बचपन से मेरे सपनों में आया करता था मेरा खून पीता था ओर मैं डर से उठ जाती थी।
है! कन्हैया रक्षा करो वो आँखें मूंद कर जैसे बड़बड़ाने लगी। ।
हीं हीं हीं तो तू आ ही गयी कबसे इंतज़ार कर रहा हूँ तेरा 18 साल से मेरी बच्ची अब तू मेरे साथ रहेगी।
कहकर वो पिशाच मोनी की तरफ बढ़ने लगा मगर उसे छूते ही चीख कर दूर जा गिरा। ।
ये चेनम्मा माई के दिये उस त्रिशूल का कमाल था.......मेरी बच्ची उतार दे इसे उतार दे देख मैं तेरा पापा हूँ तेरी माँ ने अपने बाप के साथ मिलकर मुझसे अलग कर दिया था तुझसे।
मैं जानता था 18 कि होते ही मेरा खून तुझे खींच लाएगा।
मोनी अब तक सम्मोहन में ही उस पिशाच की सारी बातें सुन रही थी। रुद्र आगे बढ़ा मगर एक तेज झोंके ने फिर से उसे उठा कर फेंक दिया इस बार रुद्र का सिर पेड़ से टकराया ओर वो बेहोश हो गया।
तभी सौम्या ओर पूजा और दो तीन स्टूडेंट्स उन दोनों को ढूंढते हुए वहां पहुंच गए थे उनको देखते ही पिशाच शैतानी हँसी हँसने लगा....उसकी भयानक हँसी पूरे जंगल को गूँजा रही थी, सब डर के मारे जड़वत हो गए उनमें से एक लड़का सौरभ भागने लगा लेकिन वो भाग पाता उसके पहले एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर छलांग भरते हुए उसने उसे पकड़ लिया और अपने नुकीले दांत सौरभ की गर्दन में घुसा दिये सौरभ चीखता चिल्लाता रहा उसकी दर्द भारी चीखों ने सारा जंगल कंपा दिया मौका देख कर सौम्या ओर पूजा डाक बंगले की तरफ भागी ।
घबराते हुए सर ओर सपना को सूचित किया सक्सेना सर ओर सपना जंगल की तरफ भागे।
रात का अंधेरा था लेकिन आसमान से पूरे चाँद की सफेद रोशनी चारों ओर बिखरी हुई थी!!!!रोशनी देख कर सपना को याद आया ओह आज तो पूर्णिमा है उसे माई की बात याद आयी मोनी पूर्णिमा की रात को ही अपने पिशाच रूप में आएगी। याद आते ही सपना सिहर उठी वो मन ही मन बोल उठी.....हे बंसी वाले कृपा करना रक्षा करना मेरी बच्ची की।
दोनो अब तक पहुंच चुके थे सपना वो दृश्य देख कर दहल गयी अविनाश हाँ वो अविनाश ही था उसका पति जो एक पिशाच था जिसे उसने अपने पापा के गुरुजी द्वारा दूर कहीं बंधवा दिया था।
उसका ऐसा भयानक रूप देख कर सपना डर गई उस पिशाच के मुंह से खून टपक रहा था भयंकर लाल आँखें जो सपना को देख कर गुस्से से ओर भी लाल हो गयी थी।
वो जोर जोर से गुर्राने लगा.....इधर मोनी ने यंत्रवत अपने गले से त्रिशूल निकाल कर फेंक दिया था उसके हाथ मे बंधा अभिमन्त्रित धागा भी उसकी कलाई से अलग हो गया था वो अपने पिशाच रूपी पिता की ओर बढ़ रही थी........
नहीं लाडो!!! मत जाना उसके पास वो तेरे पापा नहीं है पिशाच है मगर जैसे मोनी को कुछ सुनाई नही दे रहा था वो बस आगे बढ़ रही थी.......
तभी दो पेड़ों की खाली जगह से चाँद की रोशनी मोनी पर पड़ी और अचानक उसका शरीर अकड़ने लगा उसका मासूम चेहरा बदल रहा था वो अब भयानक पिशाचिनी में बदल रही थी उसकी आँखें रक्ताभ हो गईं.....उसके दो दाँत निकल कर बाहर आगये थे ये देख कर सपना बेहोश हो गयी वहां मौजूद हर शख्स की रूह कांप रही थी.....मगर दो लोग चौकन्ने थे प्रोफेसर सक्सेना ओर रुद्र!!! रुद्र होश में आ चुका था बस मौके के इंतज़ार में था....
मोनी अब अपनी मम्मा की मासूम लाडो से एक भयंकर पिशाचिनी में परिवर्तित हो गयी थी उसे तलब लगी थी खून की तलब......और वो पिशाच अब भी शैतानी हँसी हँस रहा था !!!! आजा देख कितने शिकार है यहाँ जिसका खून पीना है पी ले मेरी बच्ची। ।
ओर मोनी खतरनाक दृष्टि से सामने घबराई सी पूजा की तरफ बढ़ने लगी लेकिन उसके करीब आने से पहले ही रुद्र ने उसे अपनी बाहों में ले लिया और उसके गले में चांदी का वो माई वाला त्रिशूल पहना दिया एक झटका सा लगा रुद्र को ओर अगले ही पल मोनी बेहोश होकर उसकी बांहों में झूल रही थी।
उसे एक तरफ लेटा कर रुद्र पिशाच की तरफ पलटा......वो जोर जोर से चिंघाड़ रहा था लड़के में तुझे जिंदा नही छोडूंगा ओर वो रुद्र पर झपटा वो कुछ कर पाता उसके पहले प्रफेसर सक्सेना ने पिशाच पर चाँदी के अनगिनत छर्रे उछाल दिए!!!!
पिशाच चीख कर पीछे हटा ओर रुद्र को मौका मिल गया उसने वो चाँदी का छुरा उस पिशाच के गले में घोंप दिया जो रुद्र के दादाजी ने उसे दिया था.....छुरा लगते ही पिशाच का शरीर रेत में तबदील होकर बिखर गया।
अब सब शांत था सारा वातावरण हल्का सा हो गया था।
सपना होश में आ गयी थी मोनी अभी बेहोश थी।
सपना रुद्र को गले लगा कर बोली तुम्हारा ये एहसान कैसे चुकाऊंगी रुद्र???
नहीं आंटी ये नियति थी मेरी ओर मोनी की हम दोनों की किस्मत जुड़ी हुई है वर्ना जो सपना बचपन से मोनी देख रही थी वही मैं भी क्यों देखता था ????
सपना को याद आया माई ने कहा था कि उसे बचाने वाला वो लड़का रुद्र ही है जो उसके पिताजी के गुरुजी का पोता है।
अगर मेरी मासूम मोनी ने किसी का भी खून चूस लिया होता तो आज वो पिशाचिनी होती इस खयाल से ही सपना काँप गयी......
हे!!!! मुरली वाले तेरी कृपा ऐसे ही बनाये रखना।
मोनी होश में आ चुकी थी उसने रुद्र को देखा और बोली तुमने मुझे बचाया न उस पिशाच से मेरे सपनों में तुम ही बचाते थे मुझे उस पिशाच से लेकिन कभी तुम्हारी सूरत नही दिखती थी पहली बार मैंने सपने में तुम्हें देखा।
रुद्र मुस्कुरा रहा था वो समझ गया था कि मोनी सबकुछ भूल चुकी है....हाँ मेरी शहज़ादी मैं ही था और हमेशा रहूँगा......"हाँ राजकुमारी जी ये राजकुमार रुद्र सदैव आपकी सुरक्षा में तैनात रहेंगे".... रुद्र की बात पूरी होने से पहले ही पूजा शरारत से बोली ओर सब एक साथ हंस पड़े!!!!!
हाँ लाडो रुद्र अब जनम जनम तक तुम्हारे साथ ही रहेगा सपना स्नेह से बोली ओर मोनी ने शरमा कर अपना मुंह उसकी गोदी में छुपा लिया।
इधर जंगल में एक चरवाहा चीख रहा था उसकी गर्दन में दाँत गड़ाए सौरभ उसका खून पी रहा था!!!!

