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Madhu Vashishta

Inspirational Others

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Madhu Vashishta

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पीला रंग (खुशी)

पीला रंग (खुशी)

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आज दादी मां की खुशी का कोई ठिकाना न था| आज उनकी बहुत पुरानी सहेली जो मिलने आने वाली थी। अपने दोस्तों से मिलकर बच्चे ही नहीं बल्कि किसी भी उम्र के लोग कितने खुश होते हैं यह मिनी ने आज जाना। दादू के बाद में दादी एकदम चुप ही हो गई थीं। जाने कौन-कौन सी बीमारियां दादी को बिस्तर पर ही लगने को मजबूर कर रही थीं।

क्योंकि दादी ने तो लगभग अपने आप को कमरे में ही बंद कर लिया था तो मां की व्यस्तता भी बढ़ ही गई थी। मिनी और विकी दादी को खुश रखने की कोशिश तो करते थे लेकिन उनकी अपनी भी पढ़ाई की व्यस्तताएं तो थीं ही। यूं ही एक दिन दादी बेहद उदासी में बैठी हुई थी मिनी ने उनका मन लगाने के उद्देश्य से उनसे बात करना शुरू करा तो दादी अपने पुराने जमाने की बहुत सी बातें बताते हुए अपनी सहेलियों के बारे में बता रही थीं।

दादी को अक्सर यही लगता था कि बच्चे अपने मोबाइल में व्यस्त रहते हैं और मम्मी घर के कामों में, पापा दफ्तर में, उनका खाली वक्त काटे नहीं कटता था। उस दिन दादी मिनी को अपने जमाने के गानों और जिस भी पिक्चर के विषय में बताती थी, मिनी उन्हें झट से वही गाना यह वह पिक्चर यूट्यूब में चला कर दिखा देती थी। दादी को यह सब देखते हुए बहुत अच्छा लगा। मिनी ने घर में रखा हुआ एक अपना पुराना टैब दादी को दिया, हालांकि दादी हमेशा मोबाइल इत्यादि की बुराई ही करती रहती थी लेकिन इतना सब देखने के बाद दादी की जो उत्सुकता बढ़ी उन्होंने टैब ले लिया और मिनी से उसे चलाना सीखा।

अब दादी बिल्कुल भी बोर नहीं होती थी। अब उनका खाली समय भी यूट्यूब में कोई सत्संग सुनते हुए या कुछ भी अपने समय का देखते हुए बीतता था। उन में आए इस बदलाव से पापा मम्मी भी बहुत खुश होते थे। पापा ने दादी मां के जन्मदिन पर दादी मां को एक स्लेट जितना बड़ा टैब ला कर दिया। यूं तो दादी मां कह रही थी कि मुझे इसकी कोई जरूरत नहीं है, मैं इसका क्या करूंगी? लेकिन सबको दिख रहा था कि दादी मां खुश कितनी हो रही थी।

यूं ही 1 दिन बैठे-बैठे विक्की ने दादी मां की फेसबुक प्रोफाइल बना दी और व्हाट्सएप डाउनलोड करके दादी मां को दे दिया। अब दादी मां बुआ से या किसी के भी भेजे हुए मैसेज हर वक्त पढ़ पातीं थी। अपने मनपसंद भजन और गाने सुन पाती थी ।उस दिन दादी मां बहुत खुश हुई जब उनके फेसबुक पर उनकी सहेली की फ्रेंड रिक्वेस्ट आई। दादी अक्सर दुखी होते हुए कहती थी कि हमारे जमाने के आधे लोग तो भगवान को प्यारे हो गए और जो पास है वह मिल नहीं सकते, जाने कहां रहते होंगे वगैरा-वगैरा। अब जब उन्होंने अपनी सहेली गायत्री की उसके बच्चों के साथ इतनी अच्छी फोटो वगैरह देखी तो वह बहुत खुश हुई।

विकी ने मैसेंजर पर दादी की सहेली के बेटे से उनकी सहेली का फोन नंबर लिया और एक दिन जब दादी से उनकी सहेली गायत्री की बात करवाई तो उस दिन दादी बहुत खुश थी। यकीन मानिए दादू के बाद हर समय बीमार और डिप्रैस लेने वाली दादी अब अपने टैब के साथ बेहद खुश रहने लगी। अब तो अगर मम्मी पापा भी कहीं जाना चाहे तो दादी बिना परेशान हुए खुशी-खुशी उन्हें जाने देती थी और फिर अपनी सहेली से ही बहुत सी बातें करती रहती थी।

आज दादी की सहेली के बेटे ने उन्हें लेकर दादी से मिलने घर आना था। सुबह से ही दादी की खुशी की कोई सीमा नहीं थी पैरों में दर्द के मारे बिस्तर से ना उठने वाली दादी ने आज सहेली की पसंद की गट्टे की सब्जी भी बनाई। मां और पापा भी उनको इस तरह से काम करते देख बहुत खुश हो रहे थे। तभी दरवाजे पर डोर बेल बजी। दादी की सहेली गायत्री अकेली नहीं आई थी बल्कि उनकी दूसरी सहेली सावित्री को भी साथ लेकर आई थी। तीनों एक दूसरे से गले मिलकर इतनी खुश हो रही थी और अपने समय की बहुत सी बातें कर रही थी। विकी और मिनी भी दादी को चाय नाश्ता सर्व करने के बाद आपस में बातें कर रहे थे कि हमारे तो फेसबुक में हजारों दोस्त हैं लेकिन कभी जब हम बूढ़े हुए तो ऐसे गले मिलने वाला कोई दोस्त होगा क्या?

पाठकगण इसका जवाब मुझे तो पता नहीं लेकिन हां इतनी सच्चाई तो जरूर है कि उस जमाने के दोस्तों के जैसी मिलनसारिता क्या आज के जमाने के मोबाइल के दोस्तों में मिलेगी? 



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