पी के ...से ....ए के तक
पी के ...से ....ए के तक
आसमान से तीव्र प्रकाश के साथ एक गोला सा अंधेरी रात में उतरता। ऐसा हकीकत की जिंदगी में होता है.......कहां...... देखने को मिलता है। ऐसी बातें तो अक्सर हिन्दी फिल्मों या बच्चों को डरा कर सुलाने से पहले कहीं गई कहानियों में दोहराई जाती हैं। अवंतिका अभी सोच ही रही थी .....उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था। सामने वह जो देख रही थी आकाश में एक प्रकाश के साथ एक अंडाकार -सी दिखने वाली चीज़ में से एक परछाई -सी निकल उसकी तरफ आ रही थी।
रात के अंधेरे में और उस तीव्र प्रकाश में उसे धुंधला -सा दिखाई दे रहा था क्योंकि उसकी नज़र ,अनिद्रा ,परेशानी और रोने से पहले से काफी कमजोर हो चुकी थी। नज़र पर जोर डालते हुए उसने फिर से ध्यान से देखा कि यह क्या चीज है कोई गाड़ी आई है क्या स्कूटी जैसी दिख रही है उसे एक साया अपनी और बढ़ते हुए दिखा। वह हैरान रह गई यह .....यह परछाई कुछ महीने पहले कोरोना से मृत्यु का ग्रास बने उसके पति रित्विक की थी।
उसके मुंह से ,खुशी के मारे शब्द न निकलें..... आप .......आप वापस आ गए। दिमाग में एक कोना उसे बार-बार परेशान कर रहा था। ऐसे कैसे हो सकता है ........हो भी सकता है इसी सोच में परछाई उसके और पास आ गई। यह तो सचमुच रित्विक था।
अब उसके पास शब्दों के लिए कोई जगह नहीं थी ।उसके साथ लिपट कर रोती रही क्योंकि अब तक इतने दिनों से अकेले में ही रो रही थी क्योंकि सब कह रहे थे। हिम्मत रखो बच्चों को सामने मत रोना.... वह कमजोर होंगे। इसलिए एक हिम्मत का ढोंग करते हुए बच्चों के सामने हिम्मत से दिन निकाल रही थी। लेकिन आज रितिक का कंधा पाकर वह खुद को रोक नहीं पा रही थी। घंटों लगातार रोती रही थोड़ी हिम्मत बना कर बोली। क्यों ..........चले गए थे हमें छोड़ कर हॉस्पिटल जाने से पहले तुमने एक बार भी सोचा नहीं कि मुझे भी बता दो अपने दोस्तों से फोन पर बातें करके आपने खुद ही डिसाइड कर लिया कि हॉस्पिटल जाना है। कोरोनाकाल में बहुत कम लोग खुश किस्मत से जो हॉस्पिटल से वापस आए थे।और तुम मेरी जिंदगी लेकर मुझे बिना कुछ कहे चले गए।
तुम्हारे जाते ही जिंदगी हर दिन हर पल मर -मर कर कैसे काटी है। यह सिर्फ अवंतिका को ही पता था।जिस दिन तुम्हारी कोरोना की रिपोर्ट आने पर जब बाकी परिवार के टेस्ट हुए तो सब कोरोना पॉजिटिव आ गए। सारा परिवार जिंदगी और मौत के बीच से निकल रहा था। घर में अजीब -सा डर पैदा हो गया था। राहुल इतना डर गया था कि उसे लगता था कि अब हम सब मर जाएंगे। इसी बीच अवंतिका की सास की तबीयत थोड़ी सी खराब हुई लेकिन कोरोना पाजिटिव की रिपोर्ट आते ही उस डर से कुछ ही पलों में उनका भी देहांत हो गया। अब वह बच्चों के साथ अकेले पल -पल डर को हिम्मत में बदल रही थी। उसने राहुल को बहुत समझाया कि डरते नहीं है सब ठीक हो जाएगा। अवंतिका की छोटी बेटी जो छोटे होते हुए भी सबको हिम्मत दे रही थी कि भाई सब ठीक हो जाएगा अगर हमारी इम्युनिटी ठीक होगी तो हमें कुछ नहीं होगा। लेकिन कोरोना के डर से और अवंतिका की सांस के देहांत के बाद अब उनकी गली में से किसी ने निकलना और उनका हाल पूछना भी जरूरी नहीं समझा। अवंतिका अपने बच्चों के साथ अकेली और उसका भाई उनके साथ बार-बार उनकी हिम्मत टूटते ही, सबको हिम्मत देकर मेडिसन और उनके खाने का ख्याल रख कर सब का ध्यान रख रहा था। राहुल की भी हिम्मत जहां डगमगा जाती उसका ध्यान दूसरी तरफ करके हिम्मत बंधाता था।
आसपास के लोगों ने दरवाजे के बाहर से भी नहीं पूछा था। सिर्फ ऋतिक के एक दोस्त 6 महीने पहले कोरोना से देहांत हुआ था उनकी पत्नी और बेटा घर के दरवाजे पर सब्जियां,जरूरी सामान दे जाते थे। समय निकलता रहा हम तुम्हारा इंतजार करते रहे कि तुम आ जाओंगे। एक ही सांस में उसने बीते पल -पल की खबर दे दी और रोती रही। आज वह खुद को रोक नहीं पाई। जमे हुए सारे आंसू आज सैलाब बन उमड़ पडे थे।
तुम्हारी और मम्मी की बहुत- सी बातें याद आई लेकिन मैं किससे कहती हैं ..... जिन लोगों कि आप इतनी हेल्प करते थे इन कोरोना के 2 सालों में आप लोगों ने तो कोरोना का ध्यान रखे बिना हर किसी की हेल्प की थी आज कोई हमें पूछने तक नहीं आया। जानते हो .......कोरोना का डर था लेकिन कोई हमारे दरवाजे तक भी पूछने नहीं आया। सारे रिश्तेदार जिन लोगों का तांता लगा ही रहता था वह सब गुम हो चुके।
तुम मुझे कहते थे कि तुम सोशल नहीं हो।अक्सर इस बात पर बहस करते थे कि हमें सबके साथ आना -जाना चाहिए लेकिन आज इस बात पर ....तुमसे कैसे झगड़ा करूं कि देखो वह सब लोग कितने मतलबी और दिखाते का संबंध दिखाते थे। लेकिन आप समझे नहीं कोई साथ खड़ा नहीं हुआ इतना बड़ा परिवार और जिस परिवार और समाज का आप दोनों हवाला देते थे मम्मी के देहांत के बाद रित्विक का का छोटा भाई तबीयत खराब होने की वजह से हॉस्पिटल दाखिल करवाया। परिवार के सभी लोग रिश्तेदार तो दूर की बात है उसकी पत्नी भी उसको बिना देखे मम्मी की डेथ के साथ ही अपने मायके जाकर बैठ गई। मम्मी की डेथ होने पर अपने कमरे से बाहर नहीं निकली देखने तक नहीं आई हम भी तो वही थे। हम भी तो वही थे लेकिन उसके बाद जो भी रिश्तेदार आता अफसोस कम और उसको वापस लाने के लिए पंचायतें ज्यादा करता।
यह हाल था पल -पल हम टूट रहे थे कि तुम हमें छोड़कर कहां चले गए ... हमें अकेला छोड़ कर। आगे का सफर कैसा हो आप कुछ समझ नहीं आ रहा था तुम्हारे बिना अब तुम्हें देखकर सारी हिम्मत आ गई है सारे समय को एक बुरा सपना समझकर भूल जाएंगे अवंतिका बिना रुके सारी बातें बोले जा रही थी जो उसने मन में दबा के रखी हुई थी हिम्मत ना टूट जाए इसलिए किसी से नहीं की थी।। आज ऋतिक को देखकर उन सभी बातों को बताए बिना वह रह नहीं पा रही थी। उसका मन हल्का हो गया था। अलार्म की घंटी बजी सुबह के 5:00 बज चुके थे। यह सपना था और सारी बातें.... इसी सोच में अवंतिका बिस्तर से उठी और काम पर लग गई। उसे सच में लगा था ......रित्विक सचमुच उस की दुनिया में वापस लौट आया है। लेकिन सारे एहसास एक सपना था। पी के की तरह काश......... रित्विक भी दूसरी दुनिया से लौट आता।
