फूटबाल

फूटबाल

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“इस फूटबाल को फोड़ दूंगी ना तो बहार जा कर खेल लिया कर तू यहाँ घडी मटका फोड़ेग

माँ ने मोनू को कहा और बाजार जाने लगी.

“बस ये आखरी किक फिर जाता हूँ” मोनू ने फ़रमाया

पर घर में रोनाल्डो बनने का मजा ही कुछ और है और इसी के साथ मोनू ने सामने बिछी खाट को गोल बना कर फूटबाल पर जोरदार लात धर दी.

और वो फूटबाल सीधा जाकर खाट के पाए ( पैर ) से टकराई और सीधे मटके की तरफ रवाना और उसके साथ ही मटका फिनिश.

जैसे ही बाल मटके से टकराई मैं कमरे से बरामदे की देहलीज पर.

अब कुछ इस तरह का बरमूडा ट्रायंगल था:

माँ के हाथ में बाजार के लिए थैला

मोनू ने अभी अभी मटका फोड़ा

और अपन बरामदे और कमरे की देहलीज पर खड़े है

मैंने जैसे ही वापिस कमरे में जाने की कोशिश की...

“दोनों जने इधर आओ” माँ ने हाथ में चप्पल लिए पुकारा

आगे आप खुद ही समझदार हो.

हवा में प्रणाम.


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