Gyan Priya

Romance

5.0  

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पहली बारिश

पहली बारिश

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समीरा और निहार दोनों का ही स्वभाव एक दूसरे के एकदम विपरीत थे, किसी ने भी नहीं सोचा था समीरा और निहार दोनों एक हो जाएंगे।

समीरा रोज़ सुबह बस स्टॉप पर खड़ी बस का इंतजार कर रही थी और फिर जैसे ही वो अपनी कलाई पर बंधी घड़ी पर नजर डालती उसकी बेचैनी बढ़ने लगती। जुलाई की महीना था यानी बरसात का मौसम, जो उसके और निहार की पहली मुलाकात का साक्षी था।

समीरा नें सफेद और लाल रंग की गोटेदार कुर्ती, पटियाला सलवार और लाल रंग का चुनरीदार शिफॉन का दुपट्टा जो तेज हवा से हवा में मस्ती से लहरा रहा था और उसके सीधे लंबे केश वो भी हवा से बार-बार उसके चेहरे पर बिखर जा रहे थे।

समीरा के दूसरी ओर निहार जो एक खंबे से टिका हुआ बस का इंतजार कर रहा था कि उसकी नजर समीरा के हवा में लहराते लाल रंग के चुनरीदार शिफॉन दुपट्टे पर पड़ी। जो उस पर बार-बार, उड़-उड़कर उसके ऊपर बिखर रहा था। तभी निहार नें पहली बार समीरा को देखा। 


बस आज बहुत लेट थी और समीरा कभी अपनी कलाई पर बंधी घड़ी देखती तो कभी अपने फोन के बंद स्क्रीन को देखती, ऐसा लगता जैसे उसे किसी के फोन आने का इंतजार हो और फिर मौसम नें भी अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया। अचानक से तेज़ बारिश नें सबको अपनी चपेट में ले लिया।

वहाँ आसपास खड़े सभी लोग अपने आप को तेज़ बारिश से बचाने के लिए अलग-अलग छत जोकि किसी दुकान के या बस स्टैंड की टीन रूपी छत के नीचे खड़े हो गये, सिवाए निहार के, जो अब भी समीरा के शिफॉन दुपट्टे में उलझा हुआ था।


“क्या कर रहे हो वहाँ खड़े-खड़े, जल्दी से यहाँ छत के नीचे आ जाओ वरना भीग जाओगे।” समीरा ने उसे पुकारते हुए कहा।

हाँ… हाँ आया समीरा की आवाज़ सुनकर चौंकते हुए बोला और भागते हुए उसके बगल जा खड़ा हुआ। बारिश बहुत तेज़ हो चुकी थी।

“तुम अगर ऐसे ही वहाँ खड़े रहते तो, भीगकर बीमार पड़ जाते।” समीरा नें अपनी घड़ी पर नजर डालते हुए कहा।

हाँ माफ़ कीजिएगा मैं बस खड़े-खड़े कहीं खो गया था। सो, निहार नें सफाई पेश की।

तो तुम मुझसे माफ़ी क्यों मांग रहे हो?

हाँ राईट निहार नें थोड़ा एटिट्यूड दिखाते हुए कहा, ओह..हॉय मैं निहार और आप, निहार ने उसका नाम जानने की इच्छा से पूछा। कि इतने में बस आ गयी और बारिश भी हल्की पड़ चुकी थी।

बस के आते ही समीरा और उसके साथ के बाकी यात्री भी बस में चढ़ गये। पीछे-पीछे निहार भी बस में चढ़ गया और जाकर सीधा समीरा के बगल में बैठ गया। बस भी बढ़ चली।

आपने बताया नहीं अपना नाम, निहार ने दोबारा पूछा। लेकिन समीरा नें कोई जवाब नहीं दिया। और अपने फोन के कॉल लॉग में सभी कॉल्स को खंगालने लगी।

ओके तो आप नहीं बताना चाहती, कोई नहीं, मैं ही बता देता हूँ अपने बारे में, मैं निहार हूँ और एक मल्टीनेशनल कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूँ। मैं अपने माँ-बाप का इकलौता बेटा हूँ। हाँ एक बहन है पर उसकी शादी हो चुकी है। लेकिन सच बताऊँ उसकी बहुत याद आती है

“देखो तुम ये सब मुझे क्यों बता रहे हो, मेरी तुम्हारे साथ शादी हो रही है क्या, मुझे नहीं जानना तुम्हारे बारे, तुम्हारी फैमिली के बारे में.. मझे कोई शौक नहीं है ना तो तुममें और ना ही तुम्हारी बातों में, समीरा नें उस पर बिगड़ते हुए कहा और उठकर दूसरी सीट पर बैठ गयी। फिर इयरफोन लगाकर आँख बंद करके बैठ गयी।”

क्यों अजीत, प्लीज एक बार मुझसे बात कर लो, कम से कम ये तो बता दो कि तुम नाराज़ क्यों हो, प्लीज कॉल मी… अजीत।

अचानक बस के रोकने से उसकी तंद्रा भंग हुई। क्योंकि उसका स्टॉप आ चुका था।


समीरा तुरंत ही बस से उतर गई, उसके पीछे-पीछे निहार भी बस से उतर गया। समीरा के दिमाग सैकड़ों उथल-पुथल चल रहा था। अजीत से मिलने के बेताबी छायी थी। कुछ दूर आगे जाने पर अजीत उसे एक लड़की के साथ खड़ा मिला।

कौन है ये अजीत, समीरा ने तिलमिलाते हुए पूछा।

तुमसे मतलब, तुम जाओ अपना काम करो, अजीत नें बड़ी बेशर्मी के साथ कहा।

क्यों मतलब नहीं होगा मुझे अजीत, आखिर मैं तुम्हारी होने वाली…

होने वाली हो ना, अभी हुई तो नही हो अजीत नें फिर से बेशर्मी की हद को पार करते हुए कहा।

मगर फिर भी अजीत, मेरा ये जानने का पूरा अधिकार है कि ये कौन है और तुम इसके साथ क्यों हो?


“अच्छा तुम्हें सच में जानना है कि ये कौन है, तो सुनो ये मेरी गर्लफ्रैंड मायरा है और केवल यही मेरी जिंदगी में नहीं है और भी बहुत सी लड़कियाँ है जो मेरी जिंदगी में आती जाती रहती है। और अब ये समझ लो कि तुम्हारा भी टाईम खत्म, निकल गयी हो तुम भी आज से और अभी मेरी जिंदगी से बाहर हो गयी हो। सो गैट लॉस्ट, कहता हुआ अजीत मायरा को लेकर जाने लगता है और हाँ समीरा, आज के बाद तुम ना तो मुझसे मिलने की कोशिश करना और ना ही मुझे फोन करना क्योंकि ये सिम ,अजीत उसके मुँह पर सिम मारकर चला जाता है।”

पीछे निहार समीरा और अजीत की बातें सुनकर दुखी होता तो है लेकिन समीरा को टूटता हुआ देखकर वो खुद को बिखरने से समेटने लगता है।

समीरा तुम ठीक हो। निहार उसके कंधे पर हाथ रखकर पूछता है।


“तुम यहाँ? तुम यहाँ क्या कर रहे हो? ओह आई सी तो तुम मेरा पीछा कर रहे थे। देखो तुम जो भी हो, मुझे तुमसे बात करने में कोई इंट्रैस्ट नहीं है। सो मेरा पीछा छोड़ो और अपना काम करो।”

“मैं तो बस तुमसे दोस्ती करने आया था, फिर जब तुम्हारी और अजीत की बातें सुनी तो तुम्हारी मदद करने का मन बनाया। लेकिन समीरा वो तुमसे प्यार नहीं करता, ना आज करता है और ना पहले कभी किया था। वो झूठा है। उसने तुमसे हर पल, हर घड़ी झूठ कहा है। तुम्हारे और उसके रिश्ते की नींव ही झूठ पर रखी हुई थी तो ये रिश्ता ज्यादा दिन तक कैसे टिक सकता था। मैं तो कहता हूँ भूल जाओ उसे और आगे बाकी तुम्हारी मर्जी”

दोनों अलग-अलग कोने पकड़े खड़े थे। कि बारिश ने फिर से अपने पैर पसार दिये। बारिश नें धीरे-धीरे अपनी रफ्तार पकड़ ली थी। मगर ना तो समीरा अपनी जगह से हिली थी और ना ही निहार, दोनों के मन बारिश की बूंदों से भींग रहे थे।


सॉरी, समीरा ने इस बार पहल की।

वॉट, क्या कहा तुमने फिर से कहना, निहार नें छेड़ते हुए कहा

सॉरी, क्या हम फ्रैंड्स बन सकते हैं समीरा ने हाथ बढ़ाते हुए कहा।

हॉय मैं समीरा, समीरा देशमुख

मैं निहार, निहार लाजवंती नें मुस्कुराते हुए हाथ मिलाया।

बारिश ने अपना काम कर दिया था। और फिर बारिश भी बंद हो गयी। लेकिन दोनों की दोस्ती में बारिश का रंग भर गया।


फिर क्या था, दोनों रोज मिलने लगे, एक दूसरे के साथ वक्त बिताने लगे। और हर बारिश में भींगकर बारिश की बूंदों का शुक्रिया अदा करने लगे। क्योंकि दोनों मिले भी तो थे पहली बारिश में ही और दोस्त भी बने इसी बारिश में.. देखते-देखते एक साल बीत गये दोनों की दोस्ती हुए और वो दोस्ती कहीं ना कहीं प्यार में बदल चुकी थी। लेकिन दोनों अपने-अपने प्यार से बेखबर अपनी-अपनी दोस्ती का फर्ज निभाए जा रहे थे। कि अचानक एक दिन अजीत, समीरा और निहार के सामने आ गया।

“कौन है ये समीरा, अजीत ने उस पर बिगड़ते हुए पूछा

तुमसे मतलब, समीरा नेंजवाब दिया

क्यों नहीं मतलब होगा, मैं तुम्हारा…

“तुम मेरे कुछ नहीं लगते, तुमने खुद मुझसे अपने सारे रिश्ते खत्म किये थे मैने नहीं और अब तुम्हारा कोई मुझ पर या मुझसे कोई भी सवाल करने का कोई अधिकार नहीं” समीरा नें उसे बीच में रोकते हुए कहा।

समीरा के ऐसे जवाब सुनकर वो तैश में आ जाता है और निहार पर हाथ उठाने ही चलता है कि ‘चटाक’ समीरा उसे एक थप्पड़ जड़ देती है।


“अपनी सीमा में रहो, ये मेरा प्यार है लेकिन तुम मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल हो। ये मेरा सच है और तुम झूठ, ये मेरी जिंदगी है और तुम मेरी जिंदगी का वो चैप्टर हो जिसे मैं कब का अपनी जिंदगी से निकालकर फेंक चुकी हूँ। सो अब तुम मेरी जिंदगी में कहीं भी मैटर नहीं करते हो।” चलो निहार

कि बारिश ने फिर से अपनी प्रेम की बूंदों से इन दोनों को भिगोना शुरू कर दिया और दोनों एक-दूसरे का हाथ थामे जिंदगी की रेस में आगे बढ़ने लगे और अजीत उन्हें पीछे खड़ा बस देखता रहा।



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