पहला प्यार
पहला प्यार
एक लड़का था,जो बहुत स्मार्ट और रोमांटिक था।
जिसके लिए प्यार का मतलब ज़िन्दगी भर का साथ निभाना था। प्यार किसी एक से ही होता है ऐसी विचार धारना उसकी थी।
गर्मियों की छुटियो के दिन हर साल जब लड़का अपने ननिहाल जाया करता था। वहां एक लड़की जो उसके साथ खेला करती थी। दोनो के बीच कभी मेलजोल न था, दोनो हमेसा एक दूसरे से लड़ते थे और कभी सीधे मुह बात नही करते थे, लेकिन कहते है ना जहा तकरार होती है अक्षर वही सबसे ज़्यादा प्यार होता है ।
लड़का लड़की से नोक झोक करते करते कब उसे प्यार करने लगा उसका एहसास लडजे को भी पता न चला। जब से वो लड़की के प्यार को एहसास करने लगा तब से उसका मन किसी काम मे नही लगता। प्यार के एहसास से लड़कें ने तय किया कि वो उसकी मन की बात को लड़की को ज़ाहिर करेगा।
हर साल की तरह इस साल फिर से गर्मियों की छुटियो में वो ननिहाल आया और उसने उस लड़की से अपनी दिल की बात कही तोह लड़की ने माना कर दिया, लड़का बाद सीधा था और प्यार हासिल हो ऐसी कोई सोच नही थी उसकी , वो बस यह चाहता था कि जिससे उसे पहला प्यार हुआ है उससे
वो अपने प्यार का इज़हार करे।
लड़के ने पहले ही मन मे सोच लिया था कि लड़की उसे चाहे या न चाहे ,उससे वो दुखी नही होगा बल्कि अपनी दिल की बात उसे बता दी उसी से वो खुश रहेगा।
लड़का सीधा था इसलिए उसने लड़की के मना
करने पर चला गया,लेकिन वो टैब से दुखी रहने लगा और ये देख कर लड़की को अच्छा नही लगता था। जिस लड़के से वो लड़ती और नोक झोक करती वो लड़के से अब कोई बहस नही करती और न वो लड़का करता ,ये देख लड़की को बुरा लगने लगा था ।
कई दिनों बाद लड़की ने लड़के को बुलाया और उसे कहा कि तुम जानते हो मैन तुम्हे मना क्यों किया तब लड़के ने पूछा क्यों तोह लड़की ने कहा कि तुम मुम्बई रहते हो और मैं यहां इलाहाबाद में , हुम् मिल भी नही पाएंगे और न हमारा कोउ फ्यूचर है , तब लड़के ने कहा कि मैं तुम्हारे एक हाँ के सहारे रह लूंगा । ये बात सुनकर लड़की के आंख में आंसू आ गए और खुश होकर उसने हाँ कह दिया और अपने घर का लैंडलाइन नंबर दिया कि मुम्बई से भी बात कर सके ।
सब अच्छा चल रहा था 4-6 महीने बीत चुके थे , एक दिन लड़की के घर वाले उसे फोन पे बात करते देख उस पर पाबंदी लगाने लगे और फोन से संपर्क दोनो का टूट गया ।
लड़का बहोत कोशिश करता कि बात हो जाये लेकिन बात हो न पाती । फिर देखते ही देखते 1 साल ,3 साल ,7 साल ,9 साल गुजर गए । लड़के ने बहोत कोशिश की फोन से संपर्क करने की , ननिहाल भी जाता तोह वहाँ वो न दिखती क्यों की लड़की भी पढ़ाई करने कही और जा चुकी थी तोह
दोनो की मुलाकात नही होती ।
लड़का अपने ननिहाल में अपने एक भाई से हमेसा बताया करता था। लड़के उसी भी से कहता कि अगर उसका मोबाइल नंबर मिले तोह वो उसे जरूर दे।
9 साल बाद आखिर लड़के का इंतज़ार खत्म हुआ और उसे लड़की का नम्वर मिला ।
लड़की लड़के को नही मिल पाएगी ये सोचकर भूल चुकी थी लेकिन लड़के के मन मे अभी भी वही प्यार था । लड़के ने जैसे कहा था कि तुम्हारी एक हाँ के सहारे दूर ही सही रह लूंगा, लड़के ने सच मे ऐसा ही किया था और 9 साल तक संपर्क करने के लिए कोशिश जरूर करता ।
नंबर मिलते ही लड़के की खुशी का ठिकाना न रहा और लड़के ने लड़की को फोन किया ।
लड़की ने फोन उठाया और लड़के से बात करके दोनो बहोत रोये ओर खुश भी हुए की वापिस हम मिल पाए ।
दोनो की शादी नही हुई थी और लड़की ने कहा कि अब हम वापस रिश्ते में जुड़ रहे है शायद भगवान हमे ज़िन्दगी भर के लिए मिलाना चाहता था इसलिए इतने सालों बाद वापस मिले है।
दोनो बहोत खुश थे कि हमारा प्यार सफल होगा लेकिन परिवार वालो को मंजूर न था ।
दोनो 9 साल बाद मिले और 1 साल तक संपर्क में रहे ।
शादी की बात अपने अपने घर किया तोह लड़के ने अपने घर वालो को राज़ी कर लिया लेकिन लड़की के घर वाले नही माने ।
दोनो ने सोचा कि आज नही तोह काल मान ही जायेंगे क्योंकि लड़की के लिए जो भी रिश्ता आता वो मना कर देती ओर बहोत झगड़ा होता उसके घर।
दोनो बहोत परेशान रहते और तकलीफ की बात ये की अभी भी 9 साल बाद भी दोनो सिर्फ फोन पे बात करते थे मिलना तोह हुआ ही नही ।
बहोत कोशिश के बाद घर वालो के उल्टे सीधे बातो से तंग आकर लड़की ने फैसला किया कि घर वालो की बात मानकर लड़के से हमेसा हमेसा के लिए रिश्ता खत्म कर देगी ।
एक दिन सुबह लड़की ने लड़के को फोन करके अपने मन की बात कही और लड़के ने बिना कुछ सोचे समझे लड़की की खुशी के लिए इस बार लड़के ने हाँ करदी और फिर कभी बात न करने का वादा किया और उसके बाद कभी भी उसे संपर्क करने की कोशिश नही किया ।
पहला प्यार जरूरी नही मिले, प्यार का नाम हासिल करना नही ,अपने प्यार के खशी में खुश रहना ही सच्चा प्यार है