फेसबुक एक अनोखी लव स्टोरी
फेसबुक एक अनोखी लव स्टोरी
फेसबुक पर मेरी फोटोज़ पर काफी लाइक्स और कमेंट्स कर के उसने मेरा ध्यान खुद की और खींचा।
न जाने मैंने उसे कब अपनी आई डी में ऐड किया।
ख़ैर रिप्लाई देने से पहले मैंने उसकी आई डी खंगाली।
सिवाये उसके नाम "करिश्मा कपूर " के मुझे सब कुछ रियल लगा।
फिर उसके कमेंट्स मे रिप्लाई किया।
रिप्लाई ऐसे थे के उसे भी जवाब देने पड़े।
मैंने बिना देर किये उसको इनबॉक्स मैसेज डाल दिया।
अब हमें इनबॉक्स में बात कर लेनी चाहिए, और मानो शायद वो भी इसी इंतज़ार में थीं।
उसने कहा "हाँ क्यों नहीं"
मैंने कहा!
"आपका ये नाम तो असली नहीं लग रहा "
उसने कहा "क्यों ?"
मैंने कहा "क्योंकि आपकी आई डी में मुस्लिम पोस्ट्स पढ़े हैं, और आपका नाम नॉन मुस्लिम है।"
रिप्लाई मिला "ओह हो जनाब ने टाइम लाइन भी चेक कर लीं।"
जी मेरा नाम - फातिमा खान हैं।
मैंने कहा नाम तो आपने पढ़ ही लिया होगा, फिर भी बता देता हूँ।
मेरा नाम जुनैद अंसारी हैं।
बातों का सिलसिला शुरू हुआ।
जुनैद -तो आप कहाँ रहती हों?
फातिमा -जी आपके दिल्ली शहर में ही रहती हूँ।
जुनैद- मेरे दिल्ली शहर में या मेरे दिल वाले शहर में।
फातिमा- क्या कहा तुमने!
जुनैद -अरे यार कुछ नहीं वो तो बस ऐसे ही मुंह से निकल गया।
अच्छा वैसे तुम क्या कह रही थीं।
फातिमा - मैं कुछ कह रही थीं क्या?
जुनैद - हाँ, रहने के बारे में।
फातिमा - ओ अच्छा अब याद आ गया तुम्हें!
मैं कह रही थी की, मैं दिल्ली में रहती हूँ।
जुनैद - वाह!
लेकिन दिल्ली में कहाँ?
फातिमा -क्यों?
आपको घर आना हैं क्या?
जुनैद - नहीं बस ऐसे ही पूछ रहा था।
फातिमा- आप मुझे शायद जानते हो,
में ज्ञान मंदिर के पास रहती हूँ।
यहाँ आप के दोस्त का घर हैं, और यहाँ आपको काफी बार देखा हैं मैंने।
जुनैद -आपने मुझे देखा हैं फिर तो हमारी खुब बनेंगी।
फातिमा - वो कैसे तुम मुर्गे हो जो हमारी बनेंगी।
जुनैद - मतलब!
फातिमा - हाँ, बनेंगी ना हमारी ब्रियानी।
जुनैद - तुम भी ना।
वैसे मैं आपको देख सकता हूँ।
फातिमा - क्यों नहीं मैं गायब थोड़ी ना हूँ।
जुनैद - मेरा मतलब फोटो।
फातिमा - मेरे बारात में आना तो देख लेना।
जुनैद - ठीक है, फिर बारात में ही देख लूंगा।
फातिमा - क्यों फोटो नहीं चाहिये क्या।
जुनैद - बारात में मेरे बिना शादी कैसे होगी।
फातिमा - क्या कहा!
तुमने तुम्हें तो छोडूंगी नहीं।
जुनैद - मैं भी तुम्हें नहीं छोड़ना चाहूंगा।
फातिमा -चलो ये लो फोटो मेरी।
मजाक बहुत हो गया।
जुनैद - अच्छा चलो, दे दो अब।
फातिमा - मिल गई फोटो।
जुनैद - हाँ, मिल गई फोटो
अरे! ये तो तुम हो "रिहाना" तुम्हारा नाम फातिमा कब से हुआ?
फातिमा - ये मेरा घर का नाम है, और रिहाना स्कूल का हैं।
जुनैद - तुम तो इस फोटो में काफी खूबसूरत लग रही हों।
फातिमा - अब मेरी इतनी भी तारीफ़ मत करो।
जुनैद - वैसे एक सवाल पुछूं।
फातिमा - पुछो!
जुनैद - तुम्हारा कोई ब्योफ्रेंड हैं।
फातिमा - अच्छा वो क्यों?
जुनैद - तुम इतनी खूबसूरत जो हो ब्योफ्रेंड तो होगा।
फातिमा -तुमको क्या लगता हैं।
इतनी अच्छी लड़की का बॉयफ्रेंड नहीं होगा?
जुनैद - हाँ, होगा तो सही पर नही होता तो अच्छा होता।
फातिमा - वो क्यों भला?
जुनैद - वो बस ऐसे ही सोच रहा था की, मैं भी एक लड़की पटा लूं।
फातिमा - अच्छा तो ये बात है, तो फिर पटा लो!
जुनैद - सही में क्या!
फातिमा - क्या?
जुनैद - सही में आपको पटा लूं!
फातिमा - मेरा वो मतलब नहीं था।
जुनैद - तो फिर क्या था?
फातिमा - किसी ओर लड़की को पटा लो!
जुनैद - तो तुम्हारा बॉयफ्रेंड हैं।
फातिमा - हाँ, हैं क्यों?
जुनैद -ख़ैर कौन हैं कहाँ का हैं?
फातिमा - संगम विहार से हैं वो।
आब्राम नाम है उसका, वो और में स्कूल में साथ पढ़ते थे।
फिर मेरे पापा दिल्ली ट्रांसफर हो गये, और हम यहाँ रहने आ गए।
जुनैद - ओ!
ठीक हैं!
लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशन।
बट फातिमा इसमें लोग धोका बहुत देते हैं।
तुम गलत जगह रिलेशन बनाये हुई हों।
फातिमा - क्या?
तुम मेको चढ़ा रहे हों?
आब्राम बहुत अच्छा लड़का हैं।
मेरे लिए रोया तक हैं वो, मैं उसके खिलाफ कुछ नहीं सुनूँगी।
आया समझ?
जुनैद - तुम फालतू में भड़क रही हों।
मैं तो बस तजुर्बा से कह रहा था।
ख़ैर अगर आब्राम ऐसा हैं, तो मुझे भी मिलवाओ न उससे, मैं भी देखूं कितना अच्छा लड़का हैं?
फातिमा - ओके, ग्रुप बना देती हूँ।
उसमें दोनों बात कर लेना।
जुनैद - ओके!
ग्रुप चैट ख़त्म होने के बाद!
जुनैद - यार बन्दा तो अच्छा हैं, बट लॉयल नहीं हैं।
उसकी बातों में बनावट बहुत हैं।
फातिमा - अच्छा तुमने ऐसा क्या देखा जो मुझे नहीं दिखा?
तुम बस जल रहे हो, मेरे बॉयफ्रेंड से और फालतू की बकवास कर रहें हों।
जुनैद - मैं प्रूफ कर सकता हूँ, लेकिन तुम हर्ट हों जाओगी और फिर सब लड़कों को एक ही नज़र से देखने लगोगी।
फातिमा - नहीं होऊंगी, लेकिन अब तुमसे तभी बात करुँगी जब तुम प्रूफ कर दोगे।
जुनैद - ठीक हैं!
लेकिन तुम उसे बताना मत कुछ भी, कल से उसका लॉयल्टी टेस्ट शुरू हैं।
सी यू लैटर ,बाय
फातिमा - बाय बाय
अगले दिन को मैंने एक फोटो अपलोड करा।
उसमें अपने 10 दोस्तों के साथ अपनी फेक आई डी (ब्यूटी के नाम से बनाई) और आब्राम को भी टैग कर दिया।
टैग की वजह से आब्राम ने कमेंट किया।
सी के नीचे मैंने "ब्यूटी के आईडी" से भी कमेंट कर दिया, और आब्राम का कमेंट लाइक भी कर दिया।
आब्राम ने लाइक बैक किया, फिर कुछ देर बाद ब्यूटी को पोक ( फेसबुक का शब्द हैं ) कर दिया। पोेक के बैक मिलते ही, आब्राम ने रिक्वेस्ट सेंड कर दीं, और इसी बात का मुझे इंतज़ार था।
मछली जाल में फंस चुकी थीं।
मैंने भी ब्यूटी की आई डी से आब्राम के फोटो पर कमेंट कर दिया।
आब्राम ने भी कमेंट का रिप्लाई किया और इनबॉक्स में आ गया।
बहुत देर बात करने के बाद उसने कहा अपनी फोटो दिखा सकती हों?
एक हफ्ते तक टालने के बाद मैंने फेक फोटो सेंड कर दी।
आब्राम फोटो देखते ही फ़िदा हों गया।
बोला मुझे तुमसे कॉल पर बात करनी हैं।
मैंने बोल दिया मम्मी घर पर हैं।
वो बोला बस अपनी आवाज़ सुना दो।
मैंने जल्दी से अपनी एक फ्रेंड को व्हाट्स एप मैसेज कर के सब बात समझा दीं, और कह दिया के कॉल उठा के बस इतना कहना( सुन ली आवाज़! बस अब तो हो गया यकीन)।
आब्राम को अपनी फ्रेंड का न०. दिया।
ख़ैर लड़की की आवाज़ सुनने के बाद अब आब्राम पूरी तरह फ्लर्ट पर आ गया, और पूरी तरह से मेरी फेक आई डी के सामने खुल गया।
अगले दिन मैंने फातिमा को सब बताया।
जब उसे यकीन नहीं आया तो अपनी फेक आई डी "ब्यूटी"का पासवर्ड दें दिया।
दोनों का 90% ब्रेकअप हो गया।
लेकिन एक साल का रिलेशन इतनी जल्दी ख़त्म नहीं होने वाला था।
आब्राम उसे लगातार समझा रहा था, और आखिरकार वो आब्राम की बात मान गयी, उसे माफ़ कर दिया।
सारी मेहनत बेकार होते देख, मैंने आब्राम को मैसेज करा और बताया के वो फेक ब्यूटी खान की आई डी मेरी थीं।
उसके बाद आब्राम की गालियों की बौछार शुरू हों गयी।
मैं भी शातिर था, यही तो चाहता था।
मैंने कहा बेटा फातिमा को तू भूल जा।
वो अब मेरी है, और मैंने उसे ऐसे समझा दिया हैं।
वो दो तीन दिन में तुझसे ब्रेकअप कर लेगी।
वो भी जज़्बाती हो गया।
बोला गर्लफ्रेंड किसी की भी रहे लेकिन फायदा में ही उठाऊंगा।
मेरे साथ-साथ फातिमा के लिए भी उल्टा सीधा बोल गया।
मैंने उसकी नेगेटिव चैट के स्क्रीन शॉट फातिमा को दे दिए।
फातिमा ऑफलाइन थीं।
तब ख़ाली बैठे-बैठे ये बात भी दिमाग में आयी के, इस आई डी का पासवर्ड फातिमा ने मांग लिया तो क्या करूंगा?
खाली दिमाग शैतान का घर, फ़ौरन आब्राम की आईं डी खोल कर उसकी प्रोफाइल फोटोज़ डाउनलोड की और आब्राम खान नाम से फेक आई डी बना दीं।
आब्राम फेक आई डी से रियल आब्राम को ब्लॉक किया।
मोबाइल का टाइम चेंज किया।
आब्राम की आई डी uc ब्राउज़र से खोली और अपनी आई डी मेसेंजर से खोल कर चैट अपने मन के मुताबिक़ बना लीं।
आब्राम की रियल आई डी को खुद की आई डी से ब्लॉक कर दिया और रियल आई डी की चैट क्लियर कर दीं।
अगले दिन जब फातिमा ऑनलाइन आयी तो स्क्रीन शॉट्स देख कर आब्राम पर बहुत गुस्सा हो गयी।
आब्राम ने कहा जुनैद झूठ बोल रहा हैं, और मैंने बस इतना कहा "ये रहा मेरी आई डी का पासवर्ड।
अगर मेरी कोई बात गलत हो, तो मुझे ब्लॉक कर देना, और अगर आब्राम की बात गलत हो, तो उसे ब्लॉक कर देना।
चैट पढ़ने के बाद कोई गुंजाइश ही नहीं बची थीं।
फातिमा ने बिना कुछ कहे बिना कुछ पूछे आब्राम को ब्लॉक कर दिया, और मेरे ऊपर भरोसा बढ़ गया।
क्योंकि आई डी का पासवर्ड देना फातिमा के लिए बड़ी बात थीं।
लेकिन इतना काफी नहीं था।
अभी आब्राम को फातिमा के दिमाग से निकालना था।
कुछ वक़्त लगा लेकिन सब कुछ नार्मल हों गया।
मैंने फातिमा को प्रपोज़ कर दिया।
अभी लव जैसा कुछ नहीं था।
हम लोग रोज़ाना रात को सोने से पहले बात करते थे।
स्कूलों में एडमिशन शुरू हो चुके थे।
घर पर ज़िद कर के छोटी बहन का एडमिशन भी फातिमा के स्कूल में करवा दिया।
जब ये खबर फातिमा को दी, तो वो बहुत खुश हो गयी, और कहने लगी मुझे तुमसे मिलना हैं।
मैं भी मिलने के लिए बेताब था।
लेकिन कैसे?
फातिमा ने कहा सुबह 5 बजें से पहले घर आ जाना में पीछे का दरवाज़ा खोल दूंगी।
मैंने कहा ठीक है!
किस्स वाली इमोजी भेज कर फातिमा को गुड़ नाईट बोल दिया।
घर पर रात को ही कह दिया के सुबह से मॉर्निंग वॉक पर जाऊंगा।
सुबह उठ कर चुप चाप बाइक निकाली।
फातिमा के घर से थोड़ी दूर खड़ी की, और उसके घर के पिछले गेट पर जाकर उसको मैसेज किया।
वो भी इंतज़ार में थीं।
हल्के से उसने गेट खोल दिया।
मैंने उसे इतनी करीब से पहली बार इतने अच्छे तरीके से देखा।
ब्लैक सूट खुले हुये बाल शरारती आँखें और उसकी बॉडी फ्रेग्रंस।
ऐसी खुशबु मैंने कभी महसूस नहीं की थीं, जैसी उसके पास से आ रही थीं।
उसने कहा क्या हुआ?
मैंने कहा!
गर्मी में ये सुबह की ठंडी ठंडी हवा ..
और सामने तुम जैसी खूबसूरत बला।
मेरा तो किस्स करने का मन हो रहा हैं, और फिर मुस्कुरा के घर में वापस जाने लगी।
उसने बोला बस देखने के लिए ही आये थे?
मैं बोला हाँ!
पहली मुलाक़ात हैं, इतना ही काफी है, फिर भी तुम कहती हो तो हाथ मिला लेता हूँ।
वो दरवाज़े में खड़ी थीं।
मैंने उसके नर्म हाथों में अपना हाथ दिया।
उसने गर्मजोशी से हाथ को पकड़ा और मुझे अपनी और खिंचा।
दूसरा हाथ कंधे के पीछे ले जाकर गर्दन पर रखा।
मेरे पैर पर दोनों पैर रखे और मेरे सर को थोड़ा झुकाया, और खुद थोड़ा सा उचक कर उसने अपने होंठों से मेरे होंठों को मिला दिया।
उस वक़्त मेरा दिमाग बिलकुल बंद हों गया।
मुझे समझ नहीं आया ये मेरे साथ हुआ क्या।
मेरा होंठ चूस के उसने दूसरे हाथ से धक्का दिया और कहा अब जाओ, और दिल में कभी भी अफ़सोस के लिए जगह मत छोड़ा करो।
जो दिल करे कर जाया करो।
मैं उजड़े चमन और लुटी हुई विरासत की तरह उसे खड़ा हुआ देखता रहा, और उसने एक शरारती सी मुस्कान देकर दरवाज़ा बंद कर लिया।
इतने करीब से स्पर्श करने की वजह से उसकी खुशबु मेरे दिलो दिमाग पर छा गयी थीं।
मैं खुद के ही निचले होंठ को चूसता हुआ जैसे तैसे झूमता हुआ बाइक तक पहुँचा, समझ नहीं आ रहा था।
मैं खुद के होंठ को बार बार क्यों चूस रहा था।
ख़ैर ये मेरी ज़िन्दगी का पहला किस्स था।
जिसने मेरे दिल में प्यार की घंटी बजा दी थीं।
मैं मदहोश बाइक को 100 की स्पीड पर लहराता हुआ घर लें गया।
अब हमारी चैटिंग में प्यार का तड़का लग चुका था।
स्कूल खुल गए थे, और अब वो स्कूल पर रोज़ मिलती।
एक प्यारी सी स्माइल पास करतीं, धीरे धीरे प्यार बढ़ने लगा, कसमें वादे होने लगें।
दो महीने बीत गए।
उसकी खुशबु में भूलने लगा था, फिर शेर के मुँह को भी खून लग चुका था। उस पुरानी किस का असर भी खत्म हो चुका था।
मैंने उसको कॉल पर कहा मुझे तुमसे मिलना हैं।
उसने कहा मुझे भी मिलना हैं, लेकिन कैसे मिलेंगे?
मैंने कहा स्कूल का बंक कर लेना।
उसने कहा!
मुझे रिक्शा वाला छोड़ने आता हैं, और वही लेने आता हैं।
वो स्कूल के गेट के सामने छोड़ता हैं।
अब समस्या ये थीं, के रिक्शा वाले को चकमा कैसे दिया जाये।
दो घण्टे विचार विमर्श के बाद ये तय हुआ के, हम लोग डेट पर जाएंगे ।
जब रिक्शा वाला गेट पर छोड़ कर जायेगा।
तब फातिमा सीधे स्कूल से आगे की स्टेशनरी की शॉप पर जायेंगी।
चपरासी या रिक्शा वाला पूछेगा तो कहेगी पेन लेने जा रही हूँ, आगे मेरी बाइक पर बैठ जायेगी।
वहाँ से हम लोग दोस्त के फ्लैट पर जाएंगे ।
कुछ देर वहाँ रुकेंगे और 9:30 बजते ही वेव सिनेमा जाएंगे।
वहाँ फिल्म बाजीराव मस्तानी देखेंगे, और इंटर वेल में फातिमा को उसके घर छोड़ दूँगा।
फातिमा घर जाकर बोल देगी तबीयत खराब की वजह से मेम ने लीव दे दीं, और रिक्शा वाले को कॉल कर के कह देगी के मम्मी घर ले आयी आप मत आना लेने के लिए।
सब प्लान के मुताबिक़ हुआ।
दोस्त के फ्लैट पर हम लोग एक दूसरे को आधा घण्टा तक तो देखते ही रहें, फिर फातिमा ने अपने बैग से एक हैण्ड मेड कार्ड निकाल कर दिया।
जो करीब दस पेजों का था।
हर पेज पर हम लोग की चैट की एक ख़ास बात लिखी थीं, और हर पेज के दूसरे साइड ड्राइंग से कपल पिक्स बनी हुई थीं।
उसे देख के ही पता लगता था, के उसमे कितनी मेहनत लगी हैं, फिर फातिमा ने उसे छुप के बनाया था, न जाने कितने हफ़्तों से मेहनत कर रही थीं।
मैं पागल बस एक घड़ी ले गया था उसके लिए।
लेकिन उसका कार्ड देखने के बाद मुझे घड़ी देते हुए शर्म आ रही थीं।
उसका प्यार वाक़ई लिमिटलेस था।
गिफ्ट्स के लेन-देन के बाद न जाने हम कब एक दूसरे में खो गये।
बाजीराव मस्तानी के बुक टिकट्स का भी ख्याल न रहा।
क्योंकि दूसरे की लव स्टोरी क्या देखते यहाँ तो अपनी ही एक अलग लव स्टोरी चल रही थीं।
बहरहाल आफ्टर डेट हमने फिल्म देखी, फिर मैंने फातिमा को उसके घर छोड़ दिया।
फेसबुक चैट
फातिमा - यार आज की डेट गज़ब थीं न।
मैं कभी नहीं भूलूंगी।
जुनैद - हाँ! बहुत गज़ब थीं।
भूल तो में भी नहीं सकता डेट को।
फातिमा - डेट?
मतलब मुझे भूल जाओगे?
जुनैद- ह्म्म्म शायद।
हाहाहा!
फातिमा - मैं तुम्हारा खून चूस लूंगी।
जुनैद - खून क्यूँ होंठ हैं ना।
फातिमा - ओ अच्छा!
इस बार तो किस्स ही नहीं करूंगी।
जुनैद - ओह सॉरी!
फूलो सा चेहरा तेरा, दिल पे था पहरा तेरा, फूल वूल कुछ नहीं सड़ा हुआ आलू हैं तू, ना परी हैं तू, जंगली एक भालू हैं तू।
जा चुड़ैल जा चुड़ैल।
फातिमा - तुम्हें ये भी डर नहीं में रूठ जाऊंगी?
जुनैद - तुम रूठ गयी तो तुमको मना लूंगा।
सीने से लगा लूंगा
आँखों में बसा लूंगा
बाँहों में छुपा लूंगा
दुनिया से चुरा लूंगा
अपना बना लूंगा
फातिमा - ओहो लव यू बेबी।
अब में बहुत थक गयी हूँ गुड नाईट, विथ ऑल लव स्माइलीज।
जुनैद - गुड नाईट डिअर। विथ हॉरर ड्रीम्ज
आधी रात में फातिमा का मैसेज आया।
फातिमा -आई लव यू जुनैद.....यू आर बेस्ट....
आई कन्ट वेट..
अवर रिलेशन शिप इस द बेस्ट
आई लव यू..लव यू..लव यू.. सो सो मच
थैंक्स फ़ॉर कमिंग इन माई लाइफ..यू मेक माई लाइफ हैवेन... अल्लाह का शुक्र मुझे ऐसा बी एफ मिला।
सुबह उठ कर जब मेसेज देखा तो खुशी का ठिकाना न रहा।
उसका प्यार लैला वाला था।
हर वक़्त उस पर बस मेरे प्यार का नशा चढ़ा हुआ था।
कभी वो मेरे लिए फलीप कार्ट से सिल्वर रिंग बुक कर के भिजवाती।
कभी गोगल, कभी वॉच, और में उसे तभी कुछ दे पाता जब उस से मिलता।
लेकिन तब भी वो बाज़ी मार जाती थीं।
ख़ैर उसके बाद हम लोग दो बार और डेट पर गये।
दिसम्बर का ठंड का महीना था।
माँ पापा घूमने के लिए गांव चले गए।
हमने फिर डेट प्लान बनाया और मै फातिमा को अपने घर लें आया।
क्योंकि जनवरी में उसका बर्थडे था, और बर्थडे पर मौका नहीं मिलता।
उससे मिलने का।
इसी लिए मैंने 23 दिसम्बर को ही उसका बर्थडे मनाने का सोचा।
घर आने के बाद मैं उसे घर में बने ऑफिस में ले आया।
जो मैंने पहले से ही सजा रखा था।
मेज़ पर केक रखा था!
और गिफ्ट्स रखे थे।
हमने कुछ केक खाया कुछ एक दूसरे के फेस पर लगाया।
फातिमा ने कहा मुझे उम्मीद नहीं थी के, तुम एक महीना पहले मेरा बर्थडे सेलिब्रेट करोंगे।
तुम बहुत अच्छे हो जुनैद प्लीज ऐसे हीं रहना, और फिर उसने हग कर लिया।
उसका अपना पन मेरे प्यार के लिए ऐसा था, जैसे आग में घी।
मैंने भी हग को टाइटली करते हुए कहा बिलकुल मेरी जान मैं मौसम नहीं जो बदल जाऊँ।
अब गिफ्ट्स तो खोल लो।
गिफ्ट्स फातिमा को बहुत पसंद आये, फिर उसने कहा में भी कुछ लायी हूँ।
तुम्हारे लिए, और उसने स्कूल बैग से एक स्केच निकाला।
जिस पर वो और मैं बाइक पर बैठें हुए बने थे।
फातिमा इस बार भी बाज़ी मार के ले गयी।
मेरे सारे गिफ्ट्स उसके एक गिफ्ट के आगे फ़ीके पड़ गए।
ख़ैर एक हफ्ते बाद माँ पापा भी घूम के आ गए, और मेरे लिए एक तूफानी खबर साथ लाये।
माँ ने बड़े प्यार से पास बिठा कर कहा के हम तेरा रिश्ता गांव में पक्का कर आये हैं।
मेरे तो जैसे पैरों के नीचे से ज़मीन निकल गयी।(और साहेब आशिक़ की तब हवा खराब नहीं होती जब उसकी लैला की शादी होती है..आशिक़ की तब हवा खराब होती है जब उसकी माँ खुद ही उसकी शादी तय कर आई हो )।
लेकिन अम्मी क्यों?
इतनी जल्दी क्यों?
अम्मी ने कहा बहुत प्यारी लड़की है।
हम ज़बान दे चुके हैं।
अगर उन लोगों को तू पसंद आ गया, तो बात फाइनल समझ।
मैंने कहा लेकिन अम्मी मुझे इतनी जल्दी शादी नहीं करनी, पर माँ तो माँ होती हैं।
इमोशनल ब्लैंक मेल शुरू, फिर माँ बाप के आगे लड़के ऐसे होते है जैसे नाँद के बैल।
अम्मी को फातिमा के बारे में भी नहीं बता सकता था।
क्योंकि फातिमा की शादी में कम से कम 3 साल थे अभी, और अम्मी एक दो साल से ज़्यादा रुकने वाली नहीं थीं।
एक्सप्रेस की तरह दौड़ने वाला दिमाग एक दम से फूस हों गया।
फातिमा को सारी बात बताई के शायद कुछ हल निकल आये, पर फातिमा ने तो उल्टा मुझसे ही पूछ लिया अब क्या करोगे?
मजबूरन मुझे फातिमा को ये कहना पड़ा" में दो नाव में सवारी नहीं कर सकता।
तुमको धोखे में भी नहीं रख सकता।
बेहतर ये होगा के हम लोग ब्रेकअप कर ले, इतना सुनते ही फातिमा ने कॉल पर ही फूट-फूट के रोना शुरू कर दिया।
उस दिन खुद पर बहुत गुस्सा आया।
इतनी मासूम लड़की का दिल दुखाया मुझे उस वजह से रात भर नींद नहीं आयी।
पूरा हफ्ता ऐसे ही गुज़र गया।
7वे दिन फातिमा की फ़्रेंड जिन्त का कॉल आया।
उसने कहा जीजू फातिमा की मम्मी ने आपके और फातिमा के फोटोज़ देख लिए हैं।
आप उसको सब जगह से ब्लॉक कर दो और अपना न० दो तीन दिन के लिए बंद कर दो।
फातिमा ने मुझसे ये सब आपको बताने के लिए कहा हैं।
ये तो बिलकुल यूं हुआ के सर मुढाते ही ओले पड़ गए।
अब मेरा दिमाग और ज़्यादा परेशान हों गया।
अगले दिन स्कूल पर काफी देर तक खड़ा रहा पर फातिमा स्कूल नहीं आयी।
दो दिन ऐसे ही बीत गए।
तीसरे दिन फातिमा को देखा, तो उसके लम्बे काले रेशमी बाल कट चुके थे, और बॉय कट बालो में वो स्कूल ड्रेस में स्कूल से घर रिक्शा में माँ के साथ जा रही थीं।
उस वक़्त का अफ़सोस किसी लफ़्ज़ों में बयां नहीं किया जा सकता।
मैं समझ गया था।
फातिमा कि माँ ने मेरी वजह से बाल काट दिए।
मैंने सोच लिया बस बहुत हुआ, सारी क़ुरबानी क्या फातिमा ही देती रहेगी।
क्या उसी ने मोहब्बत की थीं।
मैंने घर जाकर कहा मुझे शादी नहीं करनी हैं।
मुझे कोई और पसंद हैं।
दिल में जो बिजली थीं, वो घर वालों पर टूट पड़ीं।
माँ ने लाख समझाया, पर फातिमा के बालो के आगे माँ के इमोशनल ब्लैक मेल वाली एक बात न चलीं।
माँ ने थक कर कहा चल ठीक हैं।
आज वो लोग आ रहें हैं, देखने के लिए।
उसके बाद बात करेंगे क्या करना हैं।
उसकी तस्वीर लगाकर अपनी तस्वीर के साथ मैंने एक उम्र गुज़ारी तकदीर के साथ, उस दिन में सारा दिन फातिमा की पिक्स देखता रहा।
जिनमें वो लहराते हुये खूबसूरत बालो के साथ थीं, आखिरकार लड़की वाले भी आ गये।
मैंने ना तो उनसे ढंग से बात की ना उन लोगों को टाइम दिया, आखिरकार अल्लाह नियतो पर फैसला करता हैं।
उन लोगों ने खुद ही मुझे रिजेक्ट कर दिया।
अब बस किसी तरह फातिमा से बात करनी थीं।
दो महीने फातिमा के पाबन्दी में बीत गए, और ये दो महीने मुझ पर ऐसे बीते जैसे काले पानी की सज़ा सुना दी गयी हों।
हर दिन अफसोस में गुज़रता।
हर रात करवटों में।
आखिरकार फातिमा किसी तरह व्हाट्स एप पर ऑनलाइन आयी।
व्हाट्स एप्प चैट
जुनैद - मुझे माफ़ कर दो फातिमा!
मैं तुम्हारा गुनहगार हूँ।
मेरे पास तो अल्फ़ाज़ भी नहीं के किन अल्फाज़ो में तुमसे माफ़ी माँगू।
फातिमा - छोड़ो जुनैद! अब इस सब से क्या फायदा।
तुम शादी करो और खुश रहो उस गाँव वाली के साथ, मैं अब तुमसे बहुत दूर जा चुकी हूँ, कहाँ ढूंढोगे मुझे?
जुनैद - चलो तो मैं ढूंढना शुरू करता हूँ।
फातिमा अगर एक परसेंट भी चांस हैं तो भी मैं ढूंढूंगा।
फातिमा - शुरू कहाँ से करोगे।
मैं तो अब तुम्हारी लाइफ से जा चुकीं?
अब कोई फायदा नहीं जुनैद इंतज़ार करना बेकार हैं।
अल्लाह हाफिज़!
जुनैद - मोहब्बत ज़िद्दी हैं.. आखरी सांस आखरी धड़कन आखरी पल तक इंतज़ार कर सकती हैं।
जब कही से फातिमा को ढूंढने की कोई सूरत नज़र नहीं आयी, तो थक हार के फातिमा की कजिन को व्हाट्स एप मैसेज किया ....
व्हाट्स एप चैट
जुनैद - हेल्लो!
मुझे तुम्हारी हेल्प चाहिए।
प्लीज यार फातिमा को समझाओ न के वो मुझे माफ़ कर दें।
रूही - किस बात के लिए जुनैद?
जुनैद - सब बातों के लिए।
पहले मैने ब्रेकअप किया, फिर मेरी वजह से उसके बाल कटे, फिर मम्मी से पिटाई भी हुईं।
उस पर पाबंदियाँ लगी,
इन्सल्ट हुई, और जितने भी उसको दुःख हुये मेरी तरफ से उस सब के लिए माफ़ कर दे मुझे।
रूही - जुनैद ब्रेकअप तक तो ठीक हैं।
लेकिन बाल उसके आपकी वजह से नहीं कटे।
जुनैद - क्या?
फिर किस वजह से कटे?
रूही - फिरोज़ की वजह से, स्कूल में पेरेंट्स मीटिंग थीं।
फातिमा की मम्मी स्कूल में थीं, और फातिमा स्कूल के गेट पर फिरोज़ से मिल रही थीं।
फिरोज़ ने फातिमा को वॉच भी दीं।
वॉच देते वक़्त फातिमा की मम्मी ने दूर से देख लिया था।
घर जाकर इसी बात पर फातिमा को डांट लगी।
आपके फोटोज़ और चैट तो वो डिलीट कर चुकी थीं।
फिरोज़ की चैट उसकी मम्मी ने पढ़ ली,और चैट पढ़ के उन्हें बहुत गुस्सा आया।
उन्होंने फातिमा को मारा तो फातिमा उनसे आर्गुमेंट करने लगीं।
इसी बात पर फातिमा की मम्मी ने बाल काट दिए, के न तेरे बाल होंगे और न तू, लड़के से बात करेंगी।
लेकिन फातिमा का अब भी फिरोज़ से अफेयर चल रहा हैं, और अब उसकी मम्मी की तब्यत ख़राब होने कि वजह से साथ आना बंद कर दिया हैं।
अब आप देख लेना किसी भी दिन ये आपको स्कूल बंक करते हुऐ फ़िर मिल सकती हैं।
जुनैद - मुझे लगा कि मेरी वजह से वो ये सब झेल रहीं थीं।
रूही - हाँ!
मैं जानती हूँ।
फातिमा ने एक तीर से दो निशाने खेलें।
एक तो उसने आपके दिल में अफ़सोस पैदा कर दिया।
दूसरा उसने आपको एक्स्ट्रा में रख लिया था।
जब फिरोज़ से ब्रेकअप होता तो, वो फिर आपको माफ़ कर देती।
आप उसको मत बताना के में आपको सब बता चुकी हूँ।
मैं आपको बहुत मानती हूँ, इसी लिए सब बता दिया।
जुनैद - या अल्लाह!
और हुआ भी ऐसा ही।
अगले 4 महीनों के दौरान मैंने फातिमा को 6-7 बार स्कूल का बंक करते हुए देखा।
आधे साल के बाद अपने दोस्त से बात कि तो पता लगा फिरोज़ को भी छोड़ दिया हैं, और अब किसी शाहिद के साथ वही सब कसमें वादे हो रहे हैं, फिर दिल बहलाने को उन्होंने खिलौना दूसरा ढूंढ लिया।
The End

