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Anwar Ansari

Drama Romance Tragedy

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Anwar Ansari

Drama Romance Tragedy

एक पत्र प्यार का

एक पत्र प्यार का

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 जब तुम अपने सबसे अच्छे इंसान को खो रहे होते हो, तो तुम्हारा कुछ हिस्सा मरने लगता है और सोचते हो बस हो गया अब मुझसे जीवित नहीं रहा जाएगा !

आखिर ऐसा क्यों होता है ?

क्यों हाथों से सब छूटता जाता है ?

क्यों ज़मीन तक पैरों तले खिसकती हुई लगती है ?

ऐसे कई सवाल थे, वो तो फिर भी समझ में आते थे, मगर उन सवालों का क्या करूँ, जो सवाल भी थे, और जवाब भी, फिर भी किसी सवाल का जवाब नहीं मिलता लेकिन इस तरह के सवाल पैदा ही क्यों होते थे ?

 जिनके जवाब होकर भी नहीं होते, पता नहीं यह कैसा संघर्ष था, जो टेंशन ही क्रियेट करता था।

लेकिन सोल्यूशन नहीं !

इन्हीं बातों में खोए - खोए मैं अपने रोज़मर्रा के काम भी करता था।

(फिर मैंने सोचा उसे एक पत्र लिखता हूँ।)


हेल्लो रूबीना,

कैसी हो !

मैं तुम्हें बहुत याद करता हूं। 

जब हम एक साथ थे तब हम कितने खुश रहते थे और अब बस अकेलापन ही मेरे पास है, पता नहीं तुम कैसे खुद को खुश रखती हो! 

मैं तो रोज उन दिनों को याद करके जी रहा था।

मैं तुमसे हमेशा कहना चाहता था, कि हम दोनों कब साथ रहेंगे। 

हमें कुछ सोचना चाहिए, हम दोनों के बारे में !

उस वक्त शायद, मैं तुम्हें इस बात को बता नहीं सका, लेकिन जब आज मैं तुमसे दूर गया हूँ, तो लगता है की जो हो रहा था, वो ठीक ही हो रहा था। 

शायद अब, मैं तुम्हारे बिना जीना सीख लूँ। 

एक दिन की बात मुझे आज समझ में आई है कि तुमने उस दिन मुझसे कुछ बोला क्यों नहीं था।

जबकी मैंने तुमसे तीन शब्द बोला की ( घर पे मत बताना ) काश मैं हिम्मत जुटा के तुमसे, इस तीन शब्द के अलावा कुछ ओर तीन शब्द बोल पाता, तो शायद मुझे हाँ या ना का जवाब मिल जाता, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं, शायद तुम्हारी आंखों में देखकर, मैं यह नहीं कह पाता, इसलिए मैंने तुम्हें यह पत्र लिखा था।

मेरी नादानियों को माफ करना और दूर रहकर भी शायद तुम्हें नहीं भुला पाऊंगा। 

मगर तुम मुझे भुला सकती हो लेकिन, मैं जीवन भर तुम्हारे साथ रहकर, तुम्हें हर पल बस खुशियां ही देना चाहता था।

मेरे जीवन में आ जाओ और हम मिलकर इस बदलती दुनिया में हमेशा साथ रहेंगे, और पता नहीं क्यूँ ?

 मैं तुम्हारे अलावा किसी ओर को अपने साथ नहीं देख पाता।

आज मुझे एहसास हुआ कि मैं तुम्हें बेइंतहा प्यार करता था।

पत्र पूरा नहीं पढ़ पाया। 

क्योंकि बहुत हिम्मत करके पत्र लिख रहा था, लेकिन इस पत्र को रूबीना तक भेज नहीं सका। 

आज छः साल हो गया, अब तो लगता है, की मेरे घर पर रूबीना की शादी का कार्ड ही आएगा। 

फिर मैं पत्र निकालकर पढ़ने लगा और सोचा कि काश समय पर यदि, मैं हिम्मत करता और उसे यह पत्र दे देता , तो शायद कुछ बात बनती और आज मैं यूं अकेला ना होता।

( और शायद हम साथ होते )

लेकिन अब क्या फायदा? 

रूबीना कुछ सालो बाद किसी और के साथ होगी? 

और अब शायद मैं बस उसकी यादों के साथ बैठा रहूंगा?

फिर मैंने सिगरेट निकलकर लाईटर से जलाई और मैं पत्र देखने लगा । 

और फिर रूबीना की याद आने लगी उसके बाद तो सब धुंधला सा हो गया!!!

लगता हैं, की मैंने वो पत्र उसी सिगरेट से जला दिया था?


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