पेन फ्रेंड
पेन फ्रेंड
पेन फ्रेंड... हाँ पेन फ्रेंड या पेन पाल ऐसे लोग है जो नियमित रूप से एक-दूसरे को लिखते है, खासकर डाक के जरिए। पेन पाल्स आमतौर पर अजनबी होते है जिनका संबंध मुख्य रूप से या पूरी तरह से अक्षरों के आदान-प्रदान पर आधारित होता है।
ऐसी ही एक कहानी है सुमन और शीना की जो एक दूसरे को जानते तो नहीं थे। लेकिन पत्र के माध्यम से उन दोनों में इतनी गहरी दोस्ती थी कि वे एक दूसरे से अपनी हर बात खत के जरिये शेयर करते थे। क्योंकि उस समय मोबाइल नहीं थे और टेलीफोन चार्ज भी बहुत महंगे हुआ करते थे। ये बात कुछ 25-30 साल पुरानी है। तो चलो शुरू से जानते है इन पेन पाल की कहानी।
एक बार सुमन के पापा को तेज बुखार होने के कारण उन्हे अस्पताल मे एडमिट होना पडा वहाँ उनकी मुलाकात एक नर्स से हुई जिसका नाम था शीना। शीना वहाँ नर्स की ट्रेनिंग ले रही थी। शीना का स्वभाव बहुत अच्छा था और पापा की बहुत सेवा भी कर रही थी। पापा-मम्मी जब भी उससे मिलते अपनी बेटी सुमन की ही बाते करते। और जब भी मम्मी घर आती वह शीना की तारिफों के पुल बांधती।
मम्मी से शीना की तारीफ सुन सुमन का मन शीना से मिलने के लिए बेताब था। पापा और मम्मी से सुमन की तारीफ सुन शीना की भी सुमन से मिलने की बहुत इच्छा थी। इस बीच दो बार अस्पताल गई लेकिन उस समय शीना ड्यूटी पर नही थी और वह उससे ना मील पाई। पापा जब डिस्चार्ज हुये तो शीना ने उनसे घर का पता ले लिया क्योंकि वह भी सुमन से एक बार मिलना चाहती थी।उसने मम्मी से वादा किया जैसे ही उसकी ट्रेनिंग पूरी होगी वह उनसे मिलने जरुर आयेगी।
समय बितता गया और एक दिन अचानक सुमन के नाम शीना का खत आया। खत पढकर सुमन ने भी उसका जवाब लिखा। और उन दोनों के बीच खतो का यह सिलसिला कुछ सालो तक चलता रहा। एक दूसरे को ना जानते हुये भी उन दोनों के बीच ऐसी बोंडिग हो गई थी जैसे जन्म जन्म से वो एक दूसरे को जानते हो। दोनों एक दूसरे से मिलने के लिए बेचैन थे पर सुमन अपनी बोर्ड की परीक्षा की तैयारियों मे व्यस्त थी और शीना अपनी नर्स की ट्रेनिंग मे।
लेकिन एक दिन ऐसा भी आया जब शीना ने तय किया की वह समय निकालकर सुमन से मिलने आयेगी और उसे सरप्राइज़ देगी। सुमन जब स्कूल से आई उसने देखा घर पर कोई मेहमान आए हुए है कुछ 30- 35 वर्ष आयु की दो महिलाए बैठी हुई थी। मम्मी ने जैसे ही कहा शीना तुमसे मिलने आई है। वह सोच में पड गई। ये है शीना लेकिन मेरे मन में तो शीना की एक अलग ही तस्वीर बना रखी है।
उतने में ही एक दुबलीपतली, सांवले रंग की और चेहरे पर मीठी सी मुस्कान लिए अंदर कमरे से एक लडकी बाहर आई। उसे देखते ही सुमन उसके गले लग गई और दोनों एक दूसरे से ऐसे मिले जैसे बचपन के कोई बिछडे साथी मिले हो। शीना के हाथ में अपनी शादी का आमंत्रण था और दस दिन बाद उसकी शादी थी। सुमन ने उससे वादा किया की वह शादी में जरूर आयेगी।
दस दिन बाद सुमन और उसका पूरा परिवार शादी में गया तो उन्हे वहाँ पता चला कि शीना अनाथ है। और एक आश्रम में पली-बडी है। सुमन की आंखों में आज एक ही सवाल था कि शीना ने उसे हर बात बताई पर उसने यह बात कभी क्यों नहीं बताई।लेकिन सुमन ने आश्रम के बच्चों के बीच प्यार देखा, शीना का इतना बड़ा परिवार देखा तो उसे अपने सवाल का जवाब मिल गया कि जिसने कभी अपने आप को अनाथ समझा ही नहीं तो वह अपने आप को अनाथ क्यों बतायेगी। जिसका इतना बड़ा परिवार हो वह अनाथ कैसे हो सकता हैं।
शीना शादी के बाद कहीं और बस गई और उस दिन के बाद वो दोनों कभी नहीं मिले। उन दोनों के बीच खतों का सिलसिला भी खत्म हो गया। लेकिन आज भी सुमन को शीना का इंतजार है और वह जानती है शीना जहाँ कही भी हो वह भी उसे जरूर याद करती होगी। और एक दिन किस्मत उन्हे जरूर मिलायेगी...
