पेड़ो में भी जान होती है
पेड़ो में भी जान होती है
परमात्मा का वास तो सब में होता है, इन पेड़ों में इन फूलों में इंसानो में, परिंदो में जानवरों मे।
तुलसी का एक पौदा मैं घर पर हमेंशा लगाती हूँ।रोज उसको पानी देती हूँ। फिर वो हरा भरा हो जाता है, खुशी देता है। लेकिन वक्त के साथ साथ वो भी मुरझाने लगता है। तब बेचैनी सी होने लगती है तो नया पौधा लगा देती हूँ। ये सिलसिला बरसो से चलता आ रहा है।
पेड़ पौधों को काट काट कर जंगल से शहर बसाये जा रहे है प्रकृति के साथ खिलवाड़ किया जा रहा ह। इसी का फल है कि अब बारिश कुछ इलाकों में होती नहीं या तूफान और भूकंप आते है। एक पेड़ काटते हो तो चार और लगाओ प्रकृति के साथ खिलवाड़ ना करो, पेड़ में भी जान होती । अपने स्वार्थ के लिए पेड़ो को कभी ना काटे, उनकी हत्या करते है आप अगर ऐसा करते है।है।ै।ं