पढ़े-लिखे स्वावलंबी
पढ़े-लिखे स्वावलंबी
वह सीए फाइनल एग्जाम में आकर के दो तीन बार फेल हो गया चौथी बार उसकी एग्जाम देने की इच्छा नहीं थी।इसी बीच में उसने कंपनी सेक्रेटरी का कोर्स कंप्लीट करके कंपनी सेक्रेट्री पास कर लिया था ।
और अपना आप पर विश्वास रखते हुए छोटी मोटी नौकरियों में ना पढ़ते हुए शुरू में किसी के साथ में नाइंथ से ट्वेल्थ तक की ट्यूशन क्लास चालू करी कॉमर्स लाइन में ।पढ़ाता था।
धीरे-धीरे ट्यूशन क्लासेस चल निकली आज के जमाने में अच्छे टीचर की हर मां-बाप को जरूरत होती है ।और ट्यूशन में सब अपने बच्चों को भेजते हैं। इसका लाभ उसको मिला दूसरे ही साल उसने अपनी पर्सनल ट्यूशन क्लास से चालू कर दी ।और उसकी ट्यूशन क्लासेस कीगुडविल के आधार पर बहुत ही अच्छी चल रही है। शुरुआत में जब उसको नौकरी ऑफर हुई थी तो इतनी कम थी कि उसने उसको ठुकरा दिया। और आज वो शान से अपनी ट्यूशन क्लासेस चला रहा है। बहुत मेहनत करता है। और हमको भी उस पर फक्र है। उसकी क्लास में पढ़ने वाले बच्चों का रिजल्ट बहुत अच्छा रहता है। तो हर साल नए बच्चे ऐड होते रहते हैं। और क्या चाहिए।
बस अपने मन में यह जज्बा चाहिए, कि हम खाली नौकरी नहीं करेंगे ।कोई भी काम इसमें हमारा मन लगता है वह करेंगे। और आगे बढ़ेंगे। क्योंकि पढ़ाई नौकर नहीं बनाती, नौकरशाही नहीं सिखाती। वह आपको स्वावलंबन की ओर ले जाती है ।
और इसके तो बहुत सारे उदाहरण हमारे घर में ही मौजूद हैं।
बाहर जाने की जरूरत ही नहीं है हिम्मते मदद मदद ए खुदा।