पैरेंट्स टू बी
पैरेंट्स टू बी
फोन बज रहा है। अमिता बाथरूम में शावर ले रही है। “अब किसका फोन आ रहा होगा?” अमिता शावर बंद करती है। फटाफट तौलिये को बदन पर लपेट कर कमरे में आ जाती है। जैसे ही फोन रिसीव करने लगती है, फोन कट जाता है और कॉल मिस हो जाता है। “हे भगवान कॉल मिस हो गया।” अमिता फोन लगाकर स्पीकर पर डाल देती है और साथ ही साथ जल्दी-जल्दी ड्रेस पहन रही है। फोन पर आवाज आती है, “हैलो कहाँ हो?” अमिता तुरंत फोन उठाती है। स्पीकर बंद करती है। “हैलो शिखर।”
“कहाँ हो? और फोन क्यों नहीं उठाया था?” अमिता बालकनी में कुर्सी पर बैठ जाती है। “नहा रही थी। जब तक आई तो कॉल मिस हो गया।”
“अब क्या कर रही हो?”
“अब बालकनी में बैठी हूँ।”
“तैयार हो गई?”
“नहीं हो पाई, बस फटाफट कपड़े बदल लिए।”
“तो तैयार होते-होते बात कर लो और फिर मुझे सेल्फी भेजो।”
अमिता कुर्सी से उठकर अंदर कमरे में शीशे के सामने खड़ी हो जाती है। “फोन स्पीकर पर डाल रही हूँ।” अमिता फोन ड्रेसिंग टेबल पर रख देती है। “अब आपसे तैयार होते-होते बात कर रही हूँ।” अमिता चेहरे पर क्रीम लगा रही है। आँखों में काजल लगा रही है। माथे पर छोटी-सी बिंदिया लगा रही है। “अब आपका काम भी मुझे करना पड़ रहा है।”
“तुम आ जाओ तब मैं कर दूँगा।”
अमिता माँग में सिंदूर भर रही है।“ आपने मेरी आदत बिगाड़ दी है।” सिंदूर रखते हुए कहती है।
“मैंने क्या किया?” शिखर ने कहा।
“यही सिंदूर वाली।”
“तुमने ही शादी के बाद पहली सुबह कहा था कि शिखर अब रोज आप ही माँग में सिंदूर भरना।”
“हम्म! आई नो मेरे प्यारे पतिदेव।”
“तो मेरी प्यारी पत्नी जी आपकी पैकिंग हो गई?”
“हाँ, सब तैयारी हो गई है।” अमिता ने बैग की तरफ देखते हुए कहा।
“कल फ्लाइट कितने बजे की है?
“दोपहर दो बजे की है।”
“होटल से समय से चेकआउट कर लेना।”
“जी हाँ! समय से ही चेकआउट करुँगी। वैसे मेरे प्यारे पतिदेव...!”
शिखर ने बीच में टोकते हुए कहा, “यही कि तुम समय की पाबंद हो। पर तुम मीटिंग के लिए अकेले गई हो इसलिए मुझे तुम्हारी फ़िक्र हो रही है।”
“हम्म आई नो। डोंट वरी आई, विल बी ऑन टाइम और हर मिनट की जानकारी आपको देती रहूँगी। अच्छा शिखर यह बताओ कि कल एयरपोर्ट ड्राइवर लेने आ रहा है ना?”
“नहीं।”
“पर क्यों?”
“क्योंकि कल तुम्हें लेने मैं आ रहा हूँ।”
“व्हाट? आर यू सीरियस?”
“येस डार्लिंग! क्यों मैं नहीं आ सकता क्या?”
“आ सकते हो। आई एम सो हैप्पी।” अमिता ने झूमते हुए कहा। अमिता झूमते-झूमते सोफे पर बैठ जाती है। “शिखर आप चुप क्यों हो? सब ठीक है ना?”
“हाँ सब ठीक है।”
“फिर मुझे ऐसा क्यों महसूस हो रहा है कि आप परेशान हो।”
“अमिता ऐसा कुछ भी नहीं है।”
“माँ-पापा ठीक हैं?”
“हाँ।”
“घर पर सब ठीक है?”
“हाँ।”
“बिजनेस ठीक है?”
“रोज तुम्हें सेक्रेटरी ईमेल करती तो है सब?”
“पर मुझे महसूस हो रहा है।”
“तुम सोचती बहुत हो। इतना मत सोचा करो।”
“हा....हा....हा... और आप आज बात छुपा रहे हो।”
“मिस यू। तुम्हारी बहुत याद आ रही है। चार दिन ही हुए हैं। पर ऐसा लगा रहा है चार महीने बीत गए हों।”
“अच्छा जी! चार दिन में मजनू बन गए।”
“ऐसी बात नहीं है।”
“तो कैसी बात है? वेट...हमारी रिपोर्ट्स.....?”
“हम्म्म!” शिखर ने गहरी साँस लेते हुए कहा।
“रिपोर्ट्स में क्या आया है?”
“कुछ नहीं आया, बस तुम कल जल्दी-जल्दी आ जाओ। कल डिनर पर चलें?”
“घर पर माँ-पापा को क्या कहोगे?”
“यही कि तुम्हारी फ्लाइट दो घंटे देर आएगी। तुम्हारे साथ टाइम स्पेंड करना है।”
“अच्छा ठीक है! कल एयरपोर्ट से सीधा डिनर पर चलेंगे।”
“मैं मम्मी को बोल दूँगा कि बाहर खाना खा लूँगा और तुम तो लेट नाईट वैसे भी डिनर नहीं करती हो।” शिखर ने पानी पीते हुए कहा।
“ठीक है मेरे प्यारे पतिदेव, मिस यू टू।”
“अब तुम समय से सो जाओ, कल समय से निकलना भी है।”
“जो हुकुम मेरे आका।” अमिता ने हँसते हुए कहा।
“तुम नहीं सुधरोगी।” शिखर ने मुस्कुराते हुए कहा।
“अगर मैं सुधर गई तो आप ही याद करोगे मेरे फन्नी डायलॉगस।”
“हम्म सही कहा। अब तुम सो जाओ। गुड नाईट। आई लव यू। मिस यू जान।”
“आई लव यू टू एंड मिस यू टू मेरी जान।” अमिता फोन चार्जिंग पर लगाकर सो जाती है। शिखर भी फोन साइड में रखकर, लाइट बंद कर सो जाता है।
शिखर एयरपोर्ट के बाहर खड़े हो कर अमिता का बेसब्री से इंतजार कर रहा है। बार-बार कलाई पर बंधी घड़ी देख रहा है। कभी बार-बार दरवाज़े क
ी तरफ देख रहा है। दूर से अमिता को देखते ही अपना हाथ हवा में उठाकर दिखाता है। अमिता भी मुस्कुराते हुए एयरपोर्ट से बाहर आ रही है। शिखर तुरंत अमिता को गले लगा लेता है। अमिता गले लगते ही कहती है, “सब ठीक है ना?” शिखर अमिता के चेहरे को देखते हुए कहता है, “हाँ सब ठीक है। चलो डिनर पर चलते हैं।” दोनों कार पार्किंग की तरफ एक-दूसरे का हाथ थामे बढ़ रहे हैं। “शिखर हम डिनर कहाँ करेंगे?” शिखर कार का दरवाज़ा खोलते हुए कहता है, “पहले तुम आराम से बैठ जाओ। मैं सामान डिक्की में रख देता हूँ।” अमिता गाड़ी में आगे की सीट पर बैठते हुए कहती है, “श्योर माय लविंग हसबैंड।” शिखर डिक्की में सामान रखता है। डिक्की बंद करता है। ड्राइविंग सीट पर बैठकर कार चलाना शुरू करता है। “हाँ तो कहो कहाँ चलना है?”
“लेक चलें? वहीँ पर लेक किनारे कुछ खा लेंगे।”
“ये सुपर्ब आईडिया है लेक परफेक्ट रहेगा। सुकून से टाइम स्पेंड होगा।”
अमिता खिड़की से बाहर बाजार की रौनक देख रही है। “हमें और जीने की चाहत न होती अगर तुम न होते।” यह गाना सुनकर अमिता एकटक शिखर के चेहरे को देखते हुए कहती है, “हम्म! मेरा पसंदीदा गाना। आपको पता है शिखर सारे ऑर्डर्स पूरे हो गए। सारी डील्स अच्छे-से हो गई। इस बार मीटिंग में सब आपको बहुत याद कर रहे थे।”
“हमेशा तो जाता ही हूँ। इस बार यहाँ जयपुर में अचानक काम आ गया फैक्ट्री में, इसलिए तो तुम्हें अकेले भेज दिया था। तुम मेरा घर में, व्यापार में बहुत साथ देती हो। इसलिए यह गाना तुम्हें डेडीकेट करता हूँ।”
“सो स्वीट ऑफ़ यू। लव यू।”
“लव यू जी। और ये आ गया लेक साइड।”
“थैंक यू जी।” शिखर कार पार्किंग में लगाता है। दोनों कार से उतर कर ढाबे के बाहर लगी कुर्सी पर बैठ जाते हैं। “आज बाहर खाना खायेंगे। रोमांटिक लग रहा है।”
“जो हुकुम मेरे आका।” अमिता ने हँसते हुए कहा।
“तुम आका-आका क्यों करती हो?” शिखर ने बैठते हुए कहा।
“हा....हा...हा...!”
“वेटर।” शिखर वेटर को बुलाता है। “दाल बाटी चूरमा ले आओ।”
“वाओ माय फेवरिट।”
“मेरा भी है।”
“हाँ हाँ हम दोनों का फेवरिट है।” अमिता और शिखर दोनों एक-दूसरे के मुँह में अपने हाथ से पहला दाल-बाटी का ‘बाईट’ खिलाते हैं। “शिखर सच में चार दिन बाद आपके हाथ से खाना खाकर बहुत अच्छा महसूस हो रहा है और आपको अपने हाथ से खिलाकर भी बहुत अच्छा महसूस कर रही हूँ।” शिखर अमिता के गालों को चूमते हुए कहता है, “तुम्हें बहुत याद किया। लव यू।”
“लव यू टू शिखर। अच्छा ये बताओ इसके बाद हम कहाँ जाने वाले हैं?”
“वो तो सरप्राइज है मैडम जी।”
“शिखर प्लीज बता दो।”
“नो। नॉट एट ऑल। जल्दी-जल्दी फिनिश करो फिर चलते हैं।” दोनों डिनर फिनिश करते हैं। वेटर को बुलाकर ‘बिल पे’ करते हैं। शिखर जेब में हाथ डालता है। “अमिता आँखें बंद करो।”
“पर क्यों?”
“तुम सवाल बहुत करती हो।” शिखर अमिता की आँखें बंद कर आँखों पर रुमाल से पट्टी बाँध देता है। अमिता का हाथ पकड़ कर उसे गाड़ी में बैठाता है। शिखर कार स्टार्ट करता है। “शिखर प्लीज बताओ हम कहाँ जा रहे हैं?”
“बस पंद्रह मिनट में पता चल जायेगा। तब तक तुम गाने सुनो।” शिखर कार में एफ.एम्. ऑन कर देता है। अमिता गाने सुन रही है और साथ ही साथ सुर में गुनगुना भी रही है। “लग जा गले के फिर ये हँसी रात हो न हो।” कार रूकती है। “शिखर हम पहुँच गए? पट्टी खोल दूँ?”
“नहीं! पट्टी नहीं उतारना।” शिखर कार का दरवाज़ा खोलता है। अमिता का हाथ पकड़ कर उसे ले जाता है। “कांग्रेचुलेशन एंड सेलिब्रेशन।”
“शिखर यहाँ कौन-कौन है? हम कहाँ पर आये हैं? क्या खुशखबरी है? बताओ प्लीज।” शिखर अमिता की आँखों से पट्टी खोल देता है। अमिता आँखें मसलते हुए आँखों को खोलने का प्रयास करती है। उसे सब कुछ पल भर के लिए धुँधला दिखाई दे रहा है। “शिखर ये सब लोग कौन हैं? हम यहाँ क्यों आये हैं?” शिखर अमिता के हाथ में एक लिफाफा रख देता है। “शिखर अब ये लिफाफा? ये सब क्या हो रहा है?”
“तुम लिफाफा खोलो।”
अमिता काँपते हुए हाथों से लिफाफा खोलती है। उसमें पहला पेपर पढ़ कर अमिता कांपते हुए स्वर में कहती है, “यह क्या हो गया शिखर? हम कभी माता-पिता नहीं बन सकते।” शिखर इशारे से कहता है, “दूसरा पेपर पढ़ो।” अमिता दूसरा पेपर खोलती है। शिखर ने एक बच्चा ‘अडॉप्ट’ किया है। दोनों पेपर पढ़ कर अमिता की आँखों से आँसू छलछला उठते हैं। शिखर धीरे से कान में कहता है, “ठीक किया ना?” अमिता गर्दन हिलाते हुए ‘हाँ’ में उत्तर देती है। “तुम खुश तो हो?” शिखर ने पूछा।
अमिता ने आँसू पोंछते हुए कहा, “हाँ बहुत ज्यादा।”
शिखर ने अमिता को गले लगाते हुए कहा, “क्या हुआ हम माता-पिता नहीं बन सकते। पर इन बच्चों में से किसी एक या दो के तो माता-पिता बन ही सकते हैं।”
“एक-दो क्यों? हम इन सब के माता-पिता बनेंगे।”
“मतलब?” शिखर ने चौंकते हुए पूछा।
अमिता आँसू पोंछते हुए कहती है, “हम भले ही ‘अडॉप्ट’ एक या दो को करेंगे। लेकिन इन सभी बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी जिंदगी भर हम वहन करेंगे। हम ऐसा कर सकते हैं ना शिखर?”
“जरुर करेंगे, ऐसा ही करेंगे।” शिखर अमिता को गले लगा लेता है। अमिता के माथे पर चुंबन करता है। आई लव यू अमिता।