पापी पेट
पापी पेट
"मोनू! मोनू! कहां भागा जा रहा है ?"
" कुछ नहीं मैडम जी! अभी आता हूं।" कहते हुए मोनू भागता चला गया।
" अरे बिंदिया! मोनू कहां भागा जा रहा है?" बिंदिया को लगभग पकड़ते हुए मैडम जी ने रोका।
" अरे मैडम जी! आप तो सब जानती ही हो, मोनू के बापू ने आज उसकी मां को मारते मारते बेहोश कर दिया और सारे पैसे लेकर चला गया। थोड़ी देर पहले चंदू बता कर गया है कि मोनू के बापू का ठेके पर किसी से झगड़ा हो गया और उन लोगों ने उसे बहुत मारा। वही सुनकर मोनू भागा जा रहा है। और मैं उसके पीछे पीछे भा
ग रही थी। आखिर पड़ोसी हूं, कुछ फर्ज तो मेरा भी है।"
" लेकिन यह छोटा सा 8 साल का बच्चा क्या कर लेगा। चलो, मैं भी चलती हूं।" वहां जाकर देखा तो सब के पैरों तले जमीन खिसक गई। मोनू का बापू शांत हो चुका था और मोनू उसकी जेब में कुछ टटोल रहा था।
"मोनू, क्या ढूंढ रहे हो?"
" मैडम जी घर से निकलते हुए जो रुपए बापू लाए थे, वही संभाल रहा हूं, अब यह तो चले गए लेकिन हमें तो पेट भरने के लिए पैसे चाहिए।" छोटे से बच्चे की बात सुनकर सभी के चेहरे पर हैरानी और उदासी के सम्मिलित भाव आ जा रहे थे।