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Anita Gangadhar

Children Stories

4.8  

Anita Gangadhar

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रंग

रंग

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"आज तो बहुत थक गए", पांच नंबर का ब्रश आठ नंबर के ब्रश से बोला। "हां यार! अपना तो यही जीवन है, बस रगड़ रगड़ के ही पूर्ण होता है।" आठ नंबर के ब्रश ने उदास होते हुए कहा। तभी दो और तीन नंबर का ब्रश चहकते हुए अंदर आए, "यार आज तो दीवार को कलर करने में मजा ही आ गया" 

"हां यार! क्या रंग थे,अब जिंदगी का असली आनंद आया है।"

"मानव जब से प्राकृतिक रंग काम में लेने लगे हैं, तब से मन को एक सुकून सा मिलने लगा है। वरना अप्राकृतिक रंग और उसमें इतना ज्यादा केमिकल। उफ्फ दीवार रंगते-रंगते तो मेरे छक्के ही टूट जाते थे।" 

"अरे तो तुम्हारा नंबर भी तो 6 है, तो छक्के तो छूटेंगे ही।" जोर से हंसते हुए चार नंबर का ब्रश बोला। 

"अच्छा, अभी बताता हूं मैं तुझे! ठहर!" 6 नंबर का ब्रश चार नंबर के ब्रश के पीछे दौड़ा।

"अरे अरे शांत! शायद कोई आ रहा है।"

 "तुम सब शांति से वैसे ही लेट जाओ जैसे यह मानव हमें रख कर गए थे, वरना इन्हें पता पड़ जाएगा कि हमारी भी एक अलग दुनिया है, तो यह इसमें भी हस्तक्षेप करना शुरू कर देंगे। हम अपनी आधी जिंदगी तो इनके घर की दीवार को चमकाने में लगा देते हैं, बाकी जो रात की बची खु

ची आधी जिंदगी है वह भी यह हमें चैन से नहीं काटने देंगे।"

 "चलो लगता है अब सब चले गए। आज तो मेरा मन दीवारों को सजाते-सजाते खुद भी सजने का कर रहा था। अहा! क्या सुंदर रंग थे। चटक लाल, सूरजमुखी सा पीला, गहरा नीला, एकदम हरा।"

 "चलो आज हम सब एक दूसरे को सजाते हैं।"

 "बहुत बढ़िया विचार है", दो नंबर के ब्रश ने कहा और सभी खुश होकर एक दूसरे को सजाने लगे। सजधज कर जब एक दूसरे को निहारने लगे तो एकटक निहारते ही रह गए। बालों से पैर तक सब ने एक दूसरे को सजाया था। 

 "अरे आज हम अपनी सुंदरता से परिचित हुए हैं।"

 "हम तो बहुत सुंदर लग रहे हैं।"

 "आज तक तो हम दीवार, खिड़की, दरवाजे, टेबल, कुर्सी और पलंगों को ही संवारते थे। आज जब हम सजे हैं तो देखो तो सही हमारी सुंदरता तो देखते ही बनती है।", 8 नंबर का ब्रश बोलते हुए चहक उठा। 5, 2, 3, 4 और 6 नंबर के ब्रश भी खुश होकर उसके साथ नाचने लगे।

 "चलो बस अब बहुत नाच गाना हो गया। अब सभी एक कतार में खड़े हो जाओ। अब हमारा एक फोटो खिचने वाला है।" तीन नंबर का ब्रश बोला और सभी एक कतार में खड़े हो जाते हैैं।

 


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