ख्वाब
ख्वाब
दीपक पराग के पास बैठा स्कूल शैक्षणिक भ्रमण के चित्र देख रहा था। पराग फोटो दिखा-दिखा कर बहुत रोमांचित हो रहा था "दीपक मुझे तो ऐसा लग रहा है जैसे मैं वापस वहीं पहुंच गया हूं। इतना मजा तो मुझे आज तक नहीं आया जितना शैक्षणिक भ्रमण में आया।" दीपक मन ही मन उदास हो रहा था।
उसके चेहरे को देख पराग ने उसे समझाया, "तू उदास मत हो। इस बार बीमारी की वजह से तू जा नहीं पाया। कोई बात नहीं, मैं तुझे वहां के बारे में सब कुछ विस्तार से बताता हूं। जल्दी सुबह उठ हम सभी बच्चे तैयार होकर नई जानकारी के लिए निकल पड़ते थे। रजनीकांत सर घुमाने के साथ-साथ हमें सभी जगहों के बारे में पूरी जानकारी विस्तार से बताते थे। उन्होंने वहां के वृक्षों के बारे में हमें बहुत सी नई जानकारी दी, जैसे यह देवदा
र का वृक्ष है यह इमारती लकड़ी के काम आता है शीशम, सफेदा और चीड़ सभी लंबे-लंबे वृक्ष होते हैं। इनकी लकड़ी बहुत मजबूत होती है।"
सड़क के किनारे कई फलदार वृक्ष भी थे, जहां हमने फल खाए। सर ने जैसा हमें बताया था कि कोई बच्चा कतार से बाहर नहीं निकलेगा क्योंकि सड़क पर भारी वाहनों की आवाजाही रहती है, अतः हम सभी ने अनुशासन का पूरा ध्यान रखा। आगे बहुत ही सुंदर स्थान पर जहां पास में झरना भी था हमने बैठकर जलपान किया और खेल भी खेले। सर ने हमारी खूब तारीफ की और कहा कि तुम सभी बहुत आज्ञा पालक व अनुशासित बच्चे हो। मैं आगे भी तुम्हें इसी प्रकार शैक्षणिक भ्रमण पर ले जाता रहूंगा। अबकी बार तू भी हमारे साथ चलना बहुत मजा आएगा।"
यह सुन दीपक अगले भ्रमण के ख्वाब बुनने लगा।