Anita Gangadhar

Children Stories

4.5  

Anita Gangadhar

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जादू

जादू

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आज तो मम्मी ने इतनी सारी चॉकलेट, इतनी सारी आइसक्रीम, मेरे लिए टेबल पर सजा कर रखी है। मजा आ गया।

"जल्दी चल मग्गू, मेरे फर्स्ट आने की खुशी में लगता है, यह सब किया है"। मिति अपने भाई मग्गू को जल्दी से डाइनिंग टेबल पर चलने को कह रही थी। 

अच्छा, "दीदी इतनी अच्छी चीजें चलो जल्दी से पार्टी करते हैं"। मग्गू फटाफट अपनी मिति दीदी के संग टेबल पर बैठ खाने लगा। 

तभी बाहर से आती रंग बिरंगी रोशनी पर दोनों का ध्यान गया। दोनों सब छोड़ बाहर आये तो क्या देखने हैं, कि उनका गार्डन आज बहुत से रंग बिरंगे फूलों से महक रहा था। 

नए, नए, छोटे, छोटे, पक्षी उसमें चहक रहे थे। मानो हवा भी आज खुशबू और रंग बिखेरते चल रही हो, तभी दोनों को पानी बहने की आवाज आई,दोनों जल्दी से उधर गए तो देखा उनके आम के पेड़ के किनारे एक छोटी सी पानी की नहर चल रही थी। 

जिसमें उथला पानी बह रहा था। इस वजह से पानी के नीचे की जमीन साफ दिखाई दे रही थी। "अरे वह देखो दीदी कितनी सुंदर सिल्वर फिश तैर रही है" हाँ उसके पीछे देख वह लाल और पीले रंग की मछली कितनी सुंदर लग रही है" 

लगता है दीदी "आज तो हमारे घर पर कोई जादू हो गया है तभी यह सब नई-नई चीजें दिख रही हैं वरना पहले तो ऐसा कभी नहीं देखा।"

मग्गू दीदी से बोला तो मिति ने भी मग्गू की हाँ में हाँ मिलाई। "आज तो वाकई हम जादू की दुनिया में आ गए हैं" तभी उन्होंने देखा कि आसमान से उतरती कोई आकृति उनके करीब आ रही है। 

पहले तो दोनों डर गए लेकिन गौर से देखा तो यह तो सोनपरी है। "आप सोनपरी है ना? मग्गू ने सोन परी से पूछा। 

"हाँ मैं सोन परी हूँ पर तुमने मुझे कैसे पहचाना ? आपका सोने जैसा रंग और यह सोने जैसे पंख देखकर, हमने आप को पहचान लिया।" 

मग्गू सोनपरी को देखकर बोले जा रहा था। "वाह! आज तो मजा ही आ गया, आज तो आप हमसे मिलने हमारे घर जो आई है।"!मिति चहकते हुये बोली। 

अरे वाह! "आती कैसे नहीं मुझे तो आना ही था । तुम बहुत प्यारी बच्ची हो, हमेशा बड़ों का कहना मानती हो, पढ़ाई भी हमेशा अच्छी तरह व ध्यान से करती हो, तो अच्छे बच्चों से मिलने तो मैं हमेशा ही आती हूँ, ढेर सारे खिलौने और चॉकलेट लाती हूँ।" सोनपरी ने मिति को बताया। 

"अरे हाँ! सबसे विशेष वस्तु जो मैं तुम्हारे लिए लाई हूंँ वह है यह जादू की किताब।" सोनपरी ने मिति को बताया। 

"जादू की किताब"!जादू कि किताब कैसी होती है?मिति ने सोनपरी से पूछा। तो सोनपरी बोली कि, यह किताब वह है जिसेसे तुम जैसी भी कहानी चाहोगी, वैसी कहानी तुम्हारे सामने प्रस्तुत कर देगी। 

वाह मजा आ गया। अब मैं अपनी जादू की किताब किसी को नहीं दूंगी, किसी को नहीं दूंगी, मिति जोर जोर से बोले जा रही थी। 

मम्मी और मग्गू उसे हिला-हिला के जगाने की कोशिश करते हुए पूछ रहे थे। कि कौन सी किताब किस को नहीं देगी। 

तभी अचानक मिति की आंख खुली तो देखा मम्मी, मग्गू सामने बैठे हैं।और पूरा घर पहले जैसा ही है। अरे इसका मतलब में सपना देख रही थी।

मिति स्वयं से बोली और तुरंत अपने सुन्दर से सपने को मम्मी व छोटे भाई मग्गू को सुनाने लगी।


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