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Shraddhaben Kantilal Parmar

Inspirational

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Shraddhaben Kantilal Parmar

Inspirational

पापा के नाम खत

पापा के नाम खत

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एक खत पापा आपके नाम लिखा है। बचपन के कितने सुहाने दिन थे। वो नीम के पेड़ पर पटाखे जलाना याद मुझे, वो स्कूल से निकल कर आपके साथ बाजार में घूमने जाना और मनपसंद चीजे खरीद ना और कंधे पे बैठकर घूमना अच्छा लगता है। सारी यादें जहन में कैद हो गई।

पापा बहुत कुछ तो याद नहीं है बस कुछ कुछ यादें याद आज भी आंखो के सामने तस्वीर बन छलक आती हैं। वो मेले में घूमने ले जाना, वो खिलौन

 के लिए जिद करना पैसे जेब में ना होते भी आपने वो खिलौना खरीद कर दिया था। तकदीर की लिखावट में कोई कमी थी इसलिए तो एक बेटी के नसीब में पापा की कमी थी। 

पापा मेरा गुरुर थे दाटते थे पर बहुत प्यार भी करते थे वो सुबह उठ जाती तो पढ़ाई करवाते। पापा सुना है की ईश्वर बहुत दयालु है पर मुझे नही लगता। 

उनके पास इतनी रोशनी है उसे दया ना आई एक बेटी के पापा को छीनकर उसकी जिंदगी में घना अंधेरा करते। 

पापा आपके जाने के बाद बचपन छीन गया । ऐसा लगा जैसे खुशियों ने हर रास्ता हमसे मोड़ दिया आंसू की बरसाद और गम के घनघोर बादल के साथ बारिश की घटा छा गई। कोई भी एक पल ऐसा नहीं गया जिसमे आपको याद नहीं किया। पल पल आपकी याद आती थी। किसी बच्चे को कंधे पर बैठता देखकर मुझे बहुत अकेलापन महसूस होता था।

बता नहीं सकती क्या क्या बीती है मुझ पर कड़ी धूप में भी मम्मी भाई काम करने जाते थे। बीमार हो तो भी एक भी दिन आराम नहीं कर सकते थे क्योंकि घर चलाना होता था उन्हें। हर छोटी से छोटी चीज के लिए तरस जाते थे। पापा कहने के लिए हम तड़प जाते थे कभी मेरे नसीब में पापा का प्यार नही लिखा होगा यही कह कर तसल्ली दे देती थी हर वक्त पर क्या बितती जता नहीं पाती किसी से पापा मेरे सारे सपने रूठ गए बचपन में जिन उंगली से चलना सिखाया वो हाथ छूट गया। एक डाल पर बसेरा किया था बस अचानक से आधी आई और सब बिखर गया। पापा आज सब कुछ याद आ रहा है हो सके तो वहा से थोड़े दिन की छुट्टी लेकर आ जाना यहां आपकी बेटी और आपका परिवार बेसब्री से आपका इन्तजार कर रहा है लोट आओ ना पापा।


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