पापा आपसे से ही सीखा है

पापा आपसे से ही सीखा है

5 mins
433


"नेहा कल शर्मा जी अपनी पत्नी के साथ हमारे घर आ रहे हैं, मैंने उन्हें खाने पर आमंत्रित किया है औऱ साथ में रोहन और उसकी पत्नी को भी बुलाया है" "कल बुलाया है पर परसों से तो नितिन और काव्या की परीक्षा शुरू हो रही है उन्हें परेशानी होगी।"

"क्या परेशानी होगी कौनसा वो दोनों खाना पकाने वाले हैं मुझे कुछ नहीं सुनना, और तुम नहीं चाहतीं तो मैं मना कर देता हूँ। वैसे भी तुम्हें हर काम में ज़ोर आता है ना तो शक्ल है ना सूरत फिर भी अपने आप को पता नहीं क्या समझती हो"नेहा का रंग थोड़ा सांवला था पर राघव भी कुछ ख़ास नहीं था उसे अपनी सरकारी नौकरी का घमंड था वरना कोई अपनी बेटी ऐसे तीखे तेवर वाले लड़के को ना दे, नेहा के माता-पिता ज्यादा सम्पति वाले नहीं थे पर संस्कार की संपत्ति उन्होंने नेहा को बख़ूबी दी थी जिसे नेहा निभा रही थी, इतना अपमान सहने के बाद भी संयम था उसमेंसब कुछ सुनकर नेहा फिर अपने काम में लग गयी ये सोच करकी इनका ये अंदाज़ रोज का है और हमारे व्यवहार का असर हमारे बच्चों को नहीं भुगतना पड़ेष

चलो जैसे-तैसे नेहा ने संभाला लगभग सारी तैयारी हो चुकी थी, नेहा ने सोचा कि अच्छे से तैयार हो जाती हूँ कहीं इनको शर्मिंदा ना होना पड़े, जब वो तैयार होकर आयी तो उसकी इच्छा थी राघव कुछ तो कहे पर वो एक शब्द नहीं बोला शायद ही उसने कभी नेहा की तारीफ की हो सारे मेहमान लगभग आ चुके थे, शर्मा जी अपनी बेटी को भी साथ लाये थे जो लगभग नितिन के बराबर ही थी, बड़ों का अपना मेल-मिलाप चलता रहा और बच्चे खेल में मग्न हो गए, तभी शर्मा जी पत्नी ने खाने की तारीफ करते हुए कहा इतना सब आपने अकेले बनाया और बहुत ही स्वादिष्ट बनाया है, आप बहुत भाग्यशाली है राघव जी, "नहीं-नहीं ऐसा कुछ नहीं है, ठीक-ठाक खाना बना लेती है, भाग्यशाली तो नेहा है जो इस घर की बहू है, सरकारी नौकरी वाले लड़के मिलते कहाँ हैं आसानी से।"

नेहा मन मार कर रह गयी, उसे उम्मीद भी यही थी। तभी शर्मा जी बेटी बाहर आई और बोली "देखो ना पापा ये नितिन कैसी बातें करता है, मुझे कहता है मैं डॉक्टर नहीं बन सकती, लडकियाँ तो घर में झाड़ू पोछा करती हैं खाना बनाती हैं, और कहता है मेरी शादी के बाद अगर मैं ज्यादा बोलूंगी तो मुझे मार पड़ेगी, गुस्सा करेंगे सब मुझ पर।"

"नितिन ऐसा नहीं कहते बेटा, चलो माफी मांगो।"

"पर पापा आप तो मम्मी को रोज यही सुनाते हो, गंदी-गंदी गाली देते हो, पिटाई भी करते हो, मम्मी तो नौकरी नहीं करतीं वो तो घर का काम करती हैं।"

ये सब सुनकर शर्मा जी ने कहा, "जैसे आप बच्चों को आइना दिखाओगे वैसे ही वो अपनी नजर बनाएंगे, जैसा बीज़ डालोगे वैसा ही पौधा बनेगा संस्कार घर की नींव होते हैं, अपनी पत्नी के साथ ऐसा व्यवहार करना गलत बात है, मुझे आपसे ये उम्मीद नहीं थी राघव।"

आज राघव शर्मिंदा था, लफ्ज़ नही थे उसके पास आइए दोस्तों देखते हैं कि आखिर एक औरत क्यों ना चाहते हुए भी यातनाओं को बर्दाश्त करती है

1 आत्मनिर्भर: जब एक औरत आत्मनिर्भर होती है तब ना केवल वो अपनी आत्मा को स्वतंत्र महसूस करती है बल्कि वो अपनी संतान को भी सुदृढ़ बना सकती है, परन्तु ज्यादातर हमारे समाज में शादी के उपरांत लड़कियों से आत्म निर्भरता छीन ली जाती है जिससे ना केवल वो अपने सपनों के लिए निर्भर हो जाती हैं बल्कि उनके बच्चो की सोच भी कैद हो जाती है।

2 प्रभाविकता: हमारे समाज मे पुरुषों की प्रभाविकता इतनी अधिक होती है कि वो औरत पर हावी हो जाते हैं जिसके बोझ तले एक औरत हमेशा के लिए अप्रभावित जिंदगी बसर करने लगती है3 सहयोग: शादी के उपरांत एक औरत से सहयोग की पूरी आशा की जाती है पर जब उसके साथ सहयोग की बात आती है तो वहीँ उसे अपनों की पहचान होती है जहाँ उसका साथ ना मायके वाले देते हैं और ना ससुराल वाले4 स्वीकार्यता: शादी के बाद हर औरत अपने आप को उस माहौल में ढालने की पूरी कोशिश करती है जिस माहौल में उसे पता होता है कि उसके विचारों को कभी स्वीकार्यता नहीं मिलेगी, पर फिर भी अपने पक्ष में वो बस खामोशी को पनाह देती है और उसे अपना भाग्य बना लेती हैअब आइये देखते हैं की बच्चों की मनोदशा पर कैसा प्रभाव पड़ता है

1 बच्चों का मन कोमल होता है जैसी छाप उनके कोमल दिल पर हम छोड़ते हैं वही छाप उनके व्यवहार का दृढ़ स्तम्भ बनता है, बच्चे बहुत जल्दी भावनाओं को अपने मन में कैद कर लेते हैं जिसका प्रवाह जीवन भर चलता रहता है

2 माँ बच्चे की पहली गुरु होती है और साथ ही घर उसकी प्रथम पाठशाला और घर के सदस्य, उसके सहपाठी भी उसके लियें ज़रूरी हैंजैसा बर्ताव बच्चे आपको बड़ों से या घर के किसी भी सदस्य से करता देखते हैं ठीक वैसे ही वो आपकी सोच का भी अनुसरण करते हैं, अगर आप वक़्त के साथ अपनी सोच नहीं बदलते तो इसका गहरा प्रभाव बच्चों पर पड़ता है

3 घर के सभी सदस्यों को अपने विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए जिसे बच्चा भी अनुभव करे तभी वो सबके प्रति सम्मान का भाव ला सकता है, बच्चे के सामने किसी को नीचा दिखाना ना केवल आपको भविष्य की चेतावनी देता है बल्कि ये आपके साथ भी हो सकता है इस बात का अंदेशा भी देता है

4 कोई किसी कार्य में निपुण है तो उसकी तारीफ जरूर करें ऐसा माहौल देखकर बच्चा अपने आप को बेहतर बनाने की अपेक्षा रखता है, अगर कोई निपुण नहीं भी है तो उसे नीचा ना दिखाएँ बल्कि उसे उत्साहित करें ताकि वो कुछ और अच्छा करने की सोचेंदोस्तों, हर रिश्ता अपने आप में निपुण होता है बस उसे सही नजर की जरूरत होती है, आप खुद अपने बच्चों का आईना होते हैं कोई बाहर वाला आकर उसे आईना दिखाए ये आपके जीवन की सबसे बड़ी हार है।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational