पाँच भाई और पत्नियां
पाँच भाई और पत्नियां


एक गाँव में पाँच भाई रहते थे एक था जीवन, प्रलय, वायु, अग्नि, प्रकाश.इसी बीच पाँच भाइयों का एक ही स्त्री पर मन मोहित हो गए. लेकिन पाँचो भाइयों का स्वभाव अलग अलग था. जीवन जो जीवन के कड़वे सत्य को उजागर करता था प्रलय जिसकी बातें प्रलय के बराबर थी. वायु जिसकी चाल से वायु में परिवर्तन हो जाता था. अग्नि जो गुस्से से भरपूर था प्रकाश जो दूसरों को रोशनी देता था. लेकिन चिंता की बात यह थी कि एक स्त्री पाँच भाई की कैसे हो सकती है. तो वह स्त्री बोलती कि मैं तुम भाइयों के साथ कुछ समय निकाल कर साथ रह सकती हूं. उसी प्रकार कल्याणी पाँचो भाइयों से शादी कर लेती पाँचो भाइयों के साथ कल्याणी थोड़ा - थोड़ा समय निकाल कर साथ रहती. लेकिन भाइयों में काफी लड़ाई हो जाती जिससे भाइयों के बीच में दरार आ जाती. पाँचो भाई ईश्वर से प्रार्थना करने लगे और बोले - ए ! ईश्वर आप हमारी समस्या का समाधान कीजिए तो उसी प्रकार श्री कृष्ण जी ने बिल्कुल कल्याणी रूपी स्त्रियां अपने चमत्कार से प्रकट कर दी और वह स्त्रियां बिल्कुल कल्याणी जैसी थी और गुण से भी थोड़ा - थोड़ा पाँचो भाइयों जैसा कर दिया. जिससे किसी भी प्रकार का गृह क्लेश न हो. लेकिन श्री कृष्ण से पाँचो भाइयों ने पूछा- ए ! ईश्वर हम कैसे पहचान पाएंगे की ये हमारी पत्नी है कृष्ण बोले कि हर स्त्री में कुछ न कुछ अलग है जीवन तुम्हारी पत्नी के पीठ पर तिल है. और प्रलय तुम्हारी पत्नी में सांवलापन है. वायु तुम्हारी पत्नी थोड़ी उच्च लम्बाई की है. अग्नि तुम्हारी पत्नी थोड़ी लम्बाई में छोटी है और प्रकाश तुम्हारी पत्नी वैसे ही है जिस रुपी तुमने देखा था. कृष्ण जी की ये बात सुनकर पाँचो भाई अचंभित हो गए लेकिन ये बात पाँचो भाइयों ने स्वीकार कर ली. लेकिन ये बात कल्याणी को कतई भी अच्छी नहीं लगी कल्याणी बोली - ए ! प्रभु मेरा ये किस तरह का बँटवारा है. श्री कृष्ण जी बोले - इनकी चाह का भी सवाल है उसको कभी बदल नहीं सकते तो इस प्रकार पाँचो भाइयों ने कल्याणी रूपी स्त्री को स्वीकार किया और जीवनयापन करने लगे.
इस कहानी से ये पता चलता है कि आपकी चाह अगर पाने की हो तो सबकुछ खो देते है और अगर वह मिले तो आप सबकुछ त्याग कर स्वीकार कर लेते हैं.