Pawanesh Thakurathi

Inspirational

5.0  

Pawanesh Thakurathi

Inspirational

नवें नंबर की बल्लेबाज

नवें नंबर की बल्लेबाज

5 mins
364


देहरादून के डी. ए. वी. कालेज का खेल स्टेडियम भीड़ से खचाखच भरा हुआ था। इस भीड़ में कालेज के युवाओं की तादात सर्वाधिक थी। स्टेडियम के खचाखच भरे होने का कारण यह था कि डी. ए. वी. कालेज की बी० ए० सी० और एम० एस० सी० कक्षाओं की गर्ल्स क्रिकेट टीमों के बीच आयोजित तीन दिवसीय एकदिवसीय क्रिकेट मैचों की श्रृंखला का अंतिम निर्णायक मैच आज खेला जा रहा था। 

खेल का शुभारंभ खुद उत्तराखंड के खेलमंत्री कर चुके थे। टास बी०एस०सी० इलेवन क्रिकेट टीम ने जीता और पहले एम० एस० सी० इलेवन को बल्लेबाजी करने के लिए आमंत्रित किया। एम० एस० सी० इलेवन टीम की ओर से किरन और शैफाली ने अच्छी ओपनिंग की, जिसकी बदौलत एम०एस०सी० की टीम ने तीस ओवर तक ढाई सौ रनों का आंकड़ा पार कर लिया। एम० एस० सी० की बल्लेबाज छह से भी अधिक की औसत से रन बटोर रही थीं। मैदान में चौके, छक्कों की बरसात हुई जा रही थी। उधर गेंदबाज थके-हारे नजर आ रहे थे। किरन और शैफाली ने अपने-अपने शतक ठोक डाले थे।

शैफाली के आउट होने के बाद कंचन नई बल्लेबाज के रूप में आई। उसने भी आते ही आकांक्षा की बाल पर छक्का जड़ दिया। कंचन भी धीरे-धीरे शैफाली की तरह जम चुकी थी। मैदान में चारों ओर चौके-छक्के लगने जारी थे। उधर गेंदबाजों के हौसले बुरी तरह पस्त हो चुके थे। पचास ओवर पूरे होने तक एम० एस० सी० इलेवन ने तीन सौ दस रन बना लिए थे। बी० एस० सी० इलेवन ने जीत के लिए तीन सौ ग्यारह रन बनाने थे यानि बी० एस० सी० की टीम के समक्ष रनों का एक पूरा पहाड़ खड़ा था। 

आधे घंटे के अंतराल के बाद पुन: खेल शुरू हुआ। बी० एस० सी० इलेवन टीम की दोनों ओपनर बल्लेबाज मैदान में उतरीं, लेकिन यह क्या ! तेज गेंदबाज निशा के पहले ही ओवर में दोनों बल्लेबाज वापस पवेलियन लौट गईं। उदिता दो रन बनाकर कैच आउट हुई जबकि आकांक्षा को बिना खाता खोले पवेलियन लौट जाना पड़ा। उसे निशा ने बोल्ड आउट किया था। बी० एस० सी० इलेवन के मध्य क्रम ने मैच को आगे ले जाने की कोशिश की, लेकिन वो भी थोड़े बहुत रन ही टीम के लिए जोड़ पाये, हालांकि एक छोर पर गीतांजलि अब भी संघर्ष कर रही थी। वह बत्तीस रन बनाकर मैदान पर टिकी हुई थी। बी०एस० सी० इलेवन का स्कोर अब था, तैंतीस ओवर के बाद एक सौ पैंसठ रन। आठ विकेट के नुकसान पर। 

दर्शकों को अब बी० एस० सी० इलेवन के जीतने की कोई उम्मीद नहीं थी और न ही उन्हें उम्मीद थी मैच के रोमांचक होने की। अच्छी बल्लेबाज मैदान छोड़कर पवेलियन वापस लौट चुकी थीं। नवें नंबर पर बल्लेबाजी के लिए एकता आई, जो पिछले मैच में बिना खाता खोले पवेलियन लौट गई थी। एकता बैटिंग के लिए तैयार थी और उसके सामने थी हंसा। एक सौ आठ किमी० प्रति घंटे की रफ्तार से हंसा ने गेंद डाली और यह क्या ! हंसा की पहली ही गेंद को एकता ने बाउंड्री लाइन से बाहर भेज दिया। दूसरी गेंद पर भी एकता ने शानदार चौका जड़ा। तीसरी गेंद में उसने एक रन लिया। हंसा के इस ओवर में दोनों ने टीम के लिए पंद्रह रन जोड़े। 

इसके बाद के ओवर में भी दोनों ने टीम के लिए आठ रन जोड़े। इस तरह दोनों धीरे-धीरे रन बनाते गये। जब भी कोई कमजोर बाल मिलती, उसे सीधे बाउंड्री लाइन की ओर भेज देते। दोनों को अच्छी बैटिंग करते देख दर्शकों में रोमांच पैदा हो गया था। ओवर घटने के साथ-साथ टीम का स्कोर भी बढ़ता जा रहा था। पैंतालीस ओवर के बाद अब बी० एस० सी० इलेवन का स्कोर दो सौ अड़सठ रन पहुँच चुका था। गीतांजलि और एकता दोनों ने अपने- अपने अर्द्धशतक पूरे कर लिए थे। दोनों मैदान में अच्छी तरह जम चुकी थीं। दर्शकों को अब लगने लगा था कि बी० एस० सी० इलेवन मैच में वापस आ चुकी है और यह बात बहुत हद तक सही भी थी, लेकिन अभी भी कुछ नहीं कहा जा सकता था, क्योंकि क्रिकेट अनिश्चितताओं का गेम है।

   गीतांजलि और एकता सूझबूझ से रन बनाते रहे। अब स्थित ऐसी आ चुकी थी कि बी० एस० सी० इलेवन की जीत लगभग तय थी। अंतिम पचासवां ओवर चल रहा था और बी० एस० सी० इलेवन को जीतने के लिए मात्र छह रनों की जरूरत थी। इस वक्त बल्लेबाजी कर रही थी गीतांजलि और गेंदबाजी का भार था एम० एस० सी० इलेवन की सबसे सफल गेंदबाज निशा पर। निशा की पहली दो गेंदों पर दोनों ने एक-एक रन बनाए। तीसरी गेंद पर गीतांजलि बोल्ड आउट हो गई। वह निशा की चतुराई भरी गेंदबाजी का शिकार हो चुकी थी।

अब बी० एस० सी० इलेवन की अंतिम बल्लेबाज नेहा मैदान में थी। नेहा ने आते ही एक रन लेकर स्ट्राइक एकता को दे दी। जीत के लिए अब भी तीन रनों की जरूरत थी। बालिंग के लिए तैयार थी निशा और उसके सामने थी एकता। और यह क्या ! गेंद जाकर सीधे एकता के पैड पर लगी। फिल्डरों ने एल० बी० डबल्यू० की जोरदार अपील की, लेकिन अंपायर का कोई इशारा नहीं। एकता अब भी मैदान पर सुरक्षित थी।

मैच अब और अधिक रोमांचक हो चुका था। बी० एस० सी० इलेवन को अब जीत के लिए एक बाल पर एक रन की जरूरत थी। बालिंग छोर से रनिंग कर रही थी निशा और सामने थी एकता। और एकता ने दे घुमाया। बाल दनदनाती हुई बाउंड्री लाइन से बाहर जा पहुँची। इसी चौके के साथ बी० एस० सी० इलेवन ने यह रोमांचक मुकाबला जीत लिया था और जीत ली थी एक दिवसीय मैचों की यह श्रृंखला दो-एक से। 

एकता ने अपनी नाट आउट पारी में शानदार एक सौ पच्चीस रन बनाए। उसे वूमैन आफ द मैच का पुरस्कार भी दिया गया। एकता ने अपनी बैटिंग से साबित कर दिया था कि नवें क्रम का बल्लेबाज भी मैच में पासा पलट सकता है यानी प्यादा भी अपने हुनर से राजा को शिकस्त दे सकता है। हमें कभी भी किसी को कम नहीं आंकना चाहिए, क्योंकि किसी भी व्यक्ति के भीतर का टैलेंट कभी भी निखर के बाहर आ सकता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational