नवेली बहू की पहली होली
नवेली बहू की पहली होली
' काश इन रंगों में मिलावट न होती बुदबुदाते रंजन ने रंजना के गाल पर मरहम लगाते सहलाने में मगन हो गया ! '
गुजिया ,नमकीन , मिठाई , शक्करपारे आदि पकवानों की महक से सेठ उमेश का बंगला ' उमा निकेतन ' महक रहा था। पसीना पोंछके सेठानी उमा ने नौकरानी के हाथ सेठ जी को सारे पकवान चखाने के लिए भेजे। हमेशा की तरह सेठ जी ने उमा के स्वादिष्ट पकवानों के तारीफों के पुल बाँध दिए।
इस बार सेठ जी के बेटे रंजन बहू रंजना की शादी की पहली , विशेष प्रेम के रंगीन सपनों की पहली होली थी। नवेली बहू होली की रस्म जाने माता श्री के कहे अनुसार मायके से आयी मिठाई , नमकीन , बड़े - बड़े गुजे ( गुजिया ) जिनमें मावा - मेवा के साथ चांदी के सिक्के भरे थे। लाल साड़ी पहन सोलह श्रृंगार कर रंजना पूजा की तैयारी में जुट गई। सभी जने आम की लकड़ियों पर समिधा डाल हवन कर गुजे को होलिका की अग्नि में समर्पित कर ,चने की बाले भून कर यानी बुराई के अंकुर , असत्य वृति की होलिका को जला के और पवित्र पंचामृत का आचमन लेकर नयी नवेली बहू रंजना ने सभी बड़ों के पैर छू ' दूधो नहाओ पूतो फलो ' का आशीर्वाद लिया।
दूसरी ओर मैदान में नौकर अलग - अलग बड़े कढ़ाहों में मेहँदी , टेसू , गैंदा , गुलाब , गुलमोहर ,, गुड़हल, हार सिंगार के फूलों को उबाल , छान के रंगींन पानी में चंदन , केवड़ा , केसर , गुलाबजल मिलाके होली खेलने के लिए प्राकृतिक फूल - पत्तों के रंगों से भीना - भीना सुगन्धित रंगीन पानी तैयार करने में जुटे हुए थे। कुदरती रंगों की , गुलाल की भीनी - भीनी खुशबू आने - जाने वालों को, परिवेश को महका रही थी।
बच्चे ,रिश्तेदार , पड़ोसी , दोस्त ,दुश्मन भी भेदभाव , ऊँच - नीच ,अमीरी - गरीबी , मनमुटाव को मिटा के एक दूसरे पर कुदरती रंगों के गुलाल , रंगीन सुगंधित धारों की प्रेम फुहारों से जमकर मस्ती से बौछारें कर रहे थे , साथ में पकवानों का आनंद ले रहे थे।
मधुरता - सरसता , समरसता की होली खेल के सभी लोग अपने घर चले गए । तभी उत्साहित कदमों से रंजन - रंजना अपने हमउम्र दोस्तों के घर लाल ,नीले , पीले हर्बल रंगों की थैलियाँ ले के होली खेलने गए , तो रास्तों में रसायनिक रंगों की बौछारें , गुब्बारों की मार खाते , बचते - बचाते कैसे तैसे पहुंचे। दोस्तों ने एक दूसरे को होली की शुभ कामना दे गले लगाकर रंग लगाए।
तभी रंजना के गुलाबी गाल मिलावटी रंगों से जलने लगे और एलर्जी से लाल - लाल महीन दाने उभर आए।
चिंतित रंजन - रंजना ने ऐसा महसूस किया कि ये मिलावटी , हानिकारक नकली रंग होली मिलन की ख़ुशी को विकृत कर रहे थे।रंग में भंग हो गया।
