V. Aaradhyaa

Inspirational

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V. Aaradhyaa

Inspirational

नो कॉम्प्लेक्स एट ऑल

नो कॉम्प्लेक्स एट ऑल

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आज भी सुरेश को निराशा हाथ लगी।


तो वह घर आकर उदास होकर सबसे बोला कि,

" अब लगता है मुझे खुद का कोई काम करना पड़ेगा. क्योंकि नौकरी तो मिल नहीं रही है और अगर कोई नौकरी मिलती भी है तो उसकी सैलरी इतनी कम होती है कि आने-जाने में ही सारे पैसे खर्च हो जाएंगे!"


सुनीता जी और गिरीश जी दोनों अपने बेटे की नाकामयाबी पर हार गए। छोटी बेटी मीनाक्षी की शादी करनी थी और बेटे को कहीं नौकरी मिल नहीं रही थी। आज के जमाने में इंजीनियर बेटा भी बेरोजगार हो तो माता-पिता के लिए इससे दुख की बात और क्या हो सकती है?


पर सुरेश इसके उन लोगों में से नहीं था जो हार मान जाता। उसने सोच लिया नौकरी ना सही बिजनेस सही।

इंजिनियरिंग की डिग्री उसके पास थी। और साथ में उसने एमबीए भी कर लिया था।

तो अब उसने अपनी बात अपने दो दोस्तों कुमार और अजय से किया। फिर तीनों ने मिलकर ऑनलाइन सब्जी और ग्रॉसरी का काम शुरू कर दिया।


शुरू शुरू में खुद ही डिलीवरी ब्वॉय बंद कर जाने में उसे थोड़ी झिझक होती। लेकिन उसने अपनी हिम्मत नहीं हारी और ना ही किसी काम को छोटा समझा।


कुछ ही दिनों में उनकी ईमानदार और फ़ास्ट डिलीवरी देने की वजह से उनका नाम होने लगा और उन्होंने अपना काम और फैला लिया।


अब घर में कमाई भी आने लगी और कुछ अच्छे पैसे भी आने लगे तो धीरे-धीरे मीनाक्षी ने भी भाई के काम में पैकेजिंग वगैरह में मदद करना शुरू कर दिया और उनका काम भी फैलता गया और एक तरह से आमदनी भी अच्छी होने लगी तो घर में खुशियां भी आने लगी।


कभी-कभी सुरेश सोचता अगर उसने हिम्मत हार दी होती या छोटे-मोटे काम कर रहा होता। तब इतना आगे नहीं बढ़ता। अब वह इतना अच्छा कमा रहा था और ज़्यादा नाम भी कमा रहा था। तो उसका मन बार-बार इस उक्ति पर जा रहा था कि...कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।


कोई उससे कहता कि...


"इंजिनियरिंग की डिग्री लेकर सब्जियाँ बेचने में कोई काम्प्लेक्स नहीं होता?"

तो वह हँसकर कहता,


"आई कैन डु ऑल इन ऑल,

नो कॉमलेक्स एट ऑल "


सच है...इंसान अगर हिम्मत ना हारे और किसी भी काम को छोटा ना समझे तो कोई बेरोजगार ना रहे और ना ही किसी को आगे बढ़ने से कोई रुकावट आए।


{समाप्त}



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