Prachi Prachi

Abstract

3  

Prachi Prachi

Abstract

नजरिया

नजरिया

1 min
221


चलो कुछ पन्नो में आज हाथ अजमाते हैं

जिंदगी को अपना नजरिया पहनाते हैं

आओ इस शहर का हाल सुनाते हैं ,

खवाहिशो को छोड़कर सुकून पाते हैं

आओ चलो कुछ किससे सुनाते ,

इस शहर के सन्नाटे को हमसफ़र बनाते हैं

जिंदगी की कशमकश से थोड़ी छुट्टी पाते हैं, 

छोटी छोटी खुशियों में आज रंग मिलाते हैं शहर

आओ इस शहर को थोड़ा अपना बनाते हैं

माँ की गोद को फिर तकिया बनाते हैंं,

भूूूली हुई लोरियों को फिर से दोहराते हैं, 

आओ जिंदगी को अपना दोस्त बनाते हैंं

चलो कुछ पन्नो में आज हाथ अजमाते हैं!


Rate this content
Log in

More hindi story from Prachi Prachi

Similar hindi story from Abstract