निस्वार्थ सेवा का बदला
निस्वार्थ सेवा का बदला
हम लोग पशु पक्षी घर में रखना पसंद नहीं करते शुरू से ही हमारे यहां पर गाय भैंस कुत्ता यह सब रखना बिल्कुल भी पसंद नहीं करते थे बहुत जगह थी मगर हम लोगों को पशुओं के प्रति प्रेम तो था मगर पशुओं को पालना पसंद नहीं था मगर जरूरत पड़ने पर उनकी सेवा करने की मिसाल मेरी माता जी ने कायम की। और उस सेवा का बदला उस कुत्ते ने किस तरह चुकाया ।
जो मेरी माता जी के साथ में घटित हुआ और करीब 40 साल पुरानी बात है, हमारे घर में मेरे माता जी ने जब हम बच्चे थे तब एक कुत्ते के बच्चे को मरने से बचाया था , उसको दूसरे कुत्तों ने खाया था ।और बहुत बड़े बड़े घाव गए थे। तो मेरी माता जी उस बच्चे को घर ले आई थी ।और उसको जहां उसके चोट लगी थी वहां घाव पर दवा वगैरा भी लगाई स्टिच भी लगवाया पूरे एक डेढ़ माह बाद जा ठीकहुआ ।
उसका नाम हमने मोती रखा था। सफेद कलर का अच्छा कुत्ता था। और काफी ऊंचा भी हो गया था ।बड़ा हो गया था ।पहले हम सब उसके साथ खेलते थे। और वह पूरी कॉलोनी का जैसे पालतू हो वैसे ही हो गया था।
रात को भी सब कॉलोनी की चौकीदारी करता था। 1 दिन की बात है मेरी माताजी बगीचे में काम कर रही थी। हमारे घर के पीछे काफी बड़ा गार्डन था। काफी फलों के पेड़ हो गया लगे हुए थे।
वे पीछे काम कर रही थी ,तो पीछे वालों के मकान की दीवार से कूदकर के एक कुत्ता आया ।और वह आते ही मेरी माता जी को काटने लगा ।और उसने बहुत सारी जगह उनको काटा। उसी समय ना जाने कहां से मोती आया। और उसने उस कुत्ते को मारकर लड़ के बहुत भौक के उसके पीछे पड़ कर उसको भगाया ।फिर मेरी माताजी के पास में बैठ गया ।और उसकी आंख से आंसू निकल रहे थे ।और जोर जोर से भौकंने लगा ।जबतक कि घर में से मेरे पापा जी नहींआए ।और उन्होंने उनको संभाला और हॉस्पिटल लेकर गए। अगर उस दिन मोती नहीं आता , तो वह कुत्ता मेरी माता जी को बहुत ज्यादा काट लेता।
यह कोई पूर्व जन्म का नाता ही तो है ।जो मोती की तकलीफ थी जब मेरी माता जी ने उसकी सेवा करीऔर माताजी को तकलीफ से उसने बचाया यही तो है ,पिछले जन्म का कोई अटूट बंधन। ।
एक बार की बात है मेरे बड़े भाई साहब को एसपी साहब के कुत्ते ने बहुत जोर जोर से काट लिया बहुत जगह पर काटा पुलिस की गाड़ी घर आए उनको हॉस्पिटल लेकर गए सब ठीक पट्टी आओगे ना करवाया और सब फिर घर लेकर आए एसपी साहब खुद घर आए और बोलें माताजी आप कहे तो मैं इस कुत्ते को सूट करवा देता हूं मेरी माता जी ने कहा हम जैन हैं हम किसी को मारने में नहीं जिंदा रखने में विश्वास रखते हैं हम पशुओं से प्रेम करते हैं । अगर इसने काटा है तो कुछ शरारत तो मेरे बेटे ने भी करी होगी। तभी उसके पीछे पड़ा
बस आपसे एक गुजारिश है कि आप इसको हमेशा बांध के रखे ।
ऐसे खुला ना छोड़े ।
एसपी साहब माता जी का आभार मानकर वापस चले गए।
वे बोले और कोई होता तो इतना बच्चे को काटने के बाद तो कुत्ते को मारने की ही बात करता।
मगर आप के परिवार ने और आप लोगों ने तो मेरे कुत्ते की जान बचाई धन्य है आपका पशु प्रेम।
