निश्चल प्रेम
निश्चल प्रेम
चिलचिलाती धूप में प्यास से गला सूख रहा था सड़क किनारे बैठे बुजुर्ग दंपत्ति का, इधर उधर नजर दौड़ाने पर कहीं कोई पानी का स्रोत नहीं दिख रहा था, एक दो बार आने जाने वालों राहगीरों से मदद मांगने की कोशिश करी, पर अपने व्यस्ततम जीवन में किसी के पास उन गरीब लिए समय नहीं था जो उनकी मदद कर सके।
तभी स्कूल से घर जाते हुए वह प्यारी सी बच्ची उनके पास ठिठक गई और बोली "बाबा अपने बोतल आगे करिए मैं आपको पानी पिलाती हूं।"
बच्ची का बाल सुलभ निश्चल प्रेम देख बुजुर्ग का मन प्रफुल्लित हो गया । उनके मुख से बच्ची के लिए निकली दुआ की खुशबू चारों ओर बिखर गई।