निरूत्तर
निरूत्तर
"रमेश जी, मिठाई किस बात पर बांट रहें है आप" "शर्मा जी, रमेश जी के यहाँ बिटिया हुई है, उसी की मिठाई बांटी जा रही है।"
ऑफ़िस के किसी साथी ने उत्तर दिया।
"दूसरी भी बेटी ?
राजेश जी,अब क्या करेंगे आप ?" शर्मा जी ने फिर प्रश्न किया "क्या करेंगे से मतलब ? उन्हें पढ़ा लिखा कर काबिल बनाएँगे। जैसे बेटों को बनाते हैं।" राजेश जी जवाब दिया। "फिर"? "फिर क्या शर्मा जी, आगे का काम बेटियाँ करेंगी " "क्या काम" "हमारा नाम, अपने माँ, पिता का नाम रौशन करेंगी"राजेश जी ने गर्व से कहा। शर्मा जी निरूत्तर।
बेटियाँ बोझ नहीं होती। वे भी माँ-पिता का नाम रौशन करती है।