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Dr.Madhu Andhiwal

Inspirational

4  

Dr.Madhu Andhiwal

Inspirational

निर्णय

निर्णय

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सब आ चुके थे रजत की तबियत अधिक बिगड़ती जा रही थी। उर्बि को कुछ समझ नहीं आ रहा था। बह अपने को बहुत संभाले हुई थी। बच्चे बाहर थे दोनो बेटियाँ और बेटा। सब शाम तक आजायेगे। रजत की लापरवाही से बीमारी बढ़ती गयी। अभी बच्चों की पूरी जिम्मेदारी थी दोनो बेटियाँ मैडीकल में थी और बेटा एम.सीए कर रहा था।

रजत एक छोटी सी फैक्ट्री चलाते थे पर बीमारी से बह भी बन्द होने की कगार पर थी। कुछ दिन से बह बहुत थकावट महसूस करते थे। जब टैस्ट कराये तो उर्बि को रिपोर्ट पढ़कर समझ नहीं आया कि बह रजत को क्या बताये ब्लड कैंसर की आखिरी स्टेज।

डा. जवाब दे चुके थे। परिवार के लोगो की चकल्लस शुरू होगयी। उसका हाथ रजत के हाथ में था जो हाथ उसकी हिम्मत था आज बह उसका साथ छोड़ कर जा रहा था। रजत कभी उसको उदास नहीं देख सकते थे ‌।उनकी जिन्दादिली के लोग कायल थे। धीरे धीरे रजत की सांसे डूबती गयी और एक पल में सब खत्म। तीनो बच्चे जैसे ही आये रजत को देख कर मां से लिपट कर रोने लगे। सारे रिश्तेदार का तो यही कहना था की बच्चे अनाथ हो गये। उर्बि बहुत हिम्मत से रोते हुये भी सब क्रिया कर्म कराते हुये बच्चों को संभाले हुई थी। जब उसके देवर और जेठ ने कहा कि अब तुम इन बच्चों की जिम्मेदारी कैसे निभाओगी फैक्ट्री हमे दे दो हम तुम्हारी परवरिश करेगे। तीनों बच्चे एक दम से बोल पड़े क्यों आज आपको हमारी चिन्ता है बह दिन हम नहीं भूले जब मां पापा को आपने घर से निकाल दिया था कि तुम्हारा कोई हिस्सा नहीं है।हम बच्चों को यहाँ तक पहुँचाने में मां पापा ने कितने संघर्ष किये हैं। आज हम इतने काबिल हैं कि अपनी और मां की देखभाल कर सकते हैं।

उर्बि ने बहुत विनम्रता से कहा आप सब गलतफहमी में हैं मै और मेरे बच्चे अनाथ नहीं हैं। रजत ने मुझे बहुत सक्षम बना दिया है।


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