नील और नलिनी
नील और नलिनी
"नील और नलिनी"... जितना प्यारा नाम उतनी ही प्यारी जोड़ी थी नील और उसकी जीवनसंगिनी नलिनी की।
नील एक सरकारी बैंक में क्लर्क के पद पर कार्यरत बहुत सौम्य स्वभाव का पुरुष था जिसकी यह सोच कि आदमी का काम मेहनत से कमाना और औरतों का काम सुनियोजित ढंग से घर सम्हालना होता है। उसकी इस सोच के पीछे उसके घर का माहौल था। पिताजी की सीमित आय में मां कितनी खूबसूरती से घर चलाती थी यह उसने बचपन से लेकर बड़े होने तक देखा था। मां पिताजी ने कभी भी किसी चीज का अभाव नील को होने नहीं दिया था। नील ने अपने माता-पिता के बीच कभी भी कैसी भी अनबन होते नहीं देखी थी। समाज में एक इज्जतदार मध्यमवर्गीय परिवार था नील का। नील में इतनी सौम्यता उसे अपने माता पिता से मिली थी। भगवान की असीम कृपा से नलिनी भी उसे अपने स्वभाव अनुसार ही मिली थी। पढ़ी-लिखी नलिनी को बड़ों के प्रति आदर सम्मान करना बखूबी आता था। नील के माता-पिता और नील नलिनी से अत्यंत खुश थे।
पर अब जमाना बदल रहा था। जिस तरह से नील के पिता की संतुलित कमाई में मां ने घर चला लिया था अब उस प्रकार से घर चलाना मुश्किल जान पड़ता था। बढ़ती महंगाई और पारिवारिक जरूरतों के बीच पिताजी की छोटी सी पेंशन के रु और नील की पूरी तनख्वाह मिलाकर भी घर के खर्च पूरे नहीं होते थे। वो कहावत " पति का बटुआ" यानी आदमी की कमाई से घर चलता है... यह कहावत अब पुरानी हो चली थी। नलिनी कभी भी नील से किसी भी तरह की जरूरत या शिकायत नहीं करती थी। पर एक दिन उसके मन में यह ख्याल आया कि क्यों ना मैं भी अपनी पढ़ाई लिखाई और इतनी मेहनत से अर्जित शिक्षा का सदुपयोग करू। आज दुनिया भर की औरतें अपने पैरों पर खड़ी है घर परिवार के संग कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है ,घर और बाहर दोनों को संतुलित ढंग से निभा रही है तो मैं भी एक कोशिश तो कर ही सकती हूं।
उसने बहुत हिम्मत करके नील से इस बारे में बात की... नील ने बहुत प्यार से नलिनी से बोला ...
"नलिनी मैं नहीं चाहता तुम घर के बाहर जाकर नौकरी करो... अरे यह काम तो मेरा है मैं पूरी कोशिश करता तो हूं कि सारी जिम्मेदारियां अच्छे से निभा लूं...
"नहीं आप गलत समझ रहे हैं नील , मुझे यहां किसी बात की कोई कमी नहीं और अगर आप इजाजत नहीं देंगे तो मैं बाहर नौकरी भी नहीं करूंगी लेकिन आप खुद बताइए मेरी इतनी शिक्षा अर्जित करने का अगर मैं उपयोग में ना कर पाऊं तो उसका क्या फायदा। घर गृहस्थी की जिम्मेदारी पति पत्नी दोनों के कांधों पर होती है। पति पत्नी गृहस्थी की गाड़ी के वे दो पहिए होते हैं जो अगर एक समान नहीं चलेंगे तो गृहस्थी असंतुलित हो जाएंगी। अगर मैं भी कोई नौकरी कर लूंगी तो हम दोनों मिलकर अपना सामाजिक स्तर और अच्छा कर लेंगे। कल को हमारा परिवार बढ़ेगा जरुरते बढ़ेंगी और उन जरूरतों को पूरी करने के लिए यदि हम अभी से सोच ले तो सब कुछ सही ढंग से चलता जाएगा। आज आप सब तरफ देखिए कितने ही ऐसे परिवार हैं जहां पति-पत्नी मिलकर कमा रहे हैं और अपनी जिंदगी को और अच्छा बना रहे हैं। अब घर सिर्फ पति के ही कमाई से नहीं वरन पत्नी के कमाई से भी चलता है। हां यह वादा आपसे जरूर करती हूं कि अगर आप मुझे इजाजत देंगे तो मैं घर बाहर दोनों को संतुलित ढंग से रखने की पूरी कोशिश करूंगी। आपको कभी भी निराश नहीं करूंगी।
ठीक है फिर तुम एक बार मां से बात कर लो अगर उनको और पिताजी को कोई परेशानी नहीं होगी और उनकी हां होगी तो मेरी तरफ से इजाजत है मुस्कुराते हुए नील नलिनी का हाथ थामते हुए बोला।
नलिनी खुश होकर दौड़ी-दौड़ी मां और पिता जी के पास गई और उनको सारी बातें बताई और हाथ जोड़कर बोली
मां और पिताजी अगर आपकी इजाजत होगी तो आपके छत्रछाया में मैं आगे बढ़ पाऊंगी।
बेटा हमें तुम्हारे विचार बहुत ही नेक लगे... हम समझ रहे हैं कि जमाना बदल रहा है और अगर जमाने के साथ नहीं चले तो हम पिछड़ जाएंगे ... तुम जैसी इतनी प्यारी और संस्कारी बहू को हम ना नहीं कह पाएंगे क्योंकि तुमने हमारी बेटी होने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जाओ बेटा जिंदगी में आगे बढ़ो और इस पुरुष प्रधान समाज में जहां औरतों ने भी अपनी जगह बना ली है वहां तुम भी अपना नाम चमकाओ और हमारे पूरे परिवार को गर्वित होने का अवसर दो। हम बड़ों का आशीर्वाद तुम बच्चों के साथ है।
"नील और नलिनी" ने मां पिताजी की पैर छू लिए और बढ़ चले अपने आशियाने को और खूबसूरत बनाने के लिए।