Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
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Sadhna Singh

Abstract

3.6  

Sadhna Singh

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नई बाइक

नई बाइक

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अरे वह क्या जाने बाइक की ब्रांड और उसके मॉडल के बारे में छोड़ो उसे सुलेख ने अपने हम उम्र मामा से कहा। असल में सुलेख एक नई बाइक खरीदने से पहले अपने मामा से जानकारी लेना चाहता था। जब मामा ने सुलेख से कहा कि एक बार सुनंदा से भी पूछ लो तो सुलेख ने उसे नासमझ सिद्ध कर दिया।

सुलेख पिछले कई सालों से अपने पापा का पुराना स्कूटर चला रहा था ।उसी स्कूटर से वह ऑफिस जाता था ।उसका वेतन कम होने से उसे उसी खटारा स्कूटर से काम चलाना पड़ता था। सुनंदा एक पढ़ी लिखी, समझदार महिला थी, जिसने पति का वेतन कम होने पर भी हार नहीं मानी थी।

उसने एक प्राइवेट स्कूल में नौकरी करके घर चलाने के लिए अपने पति के कंधे से कंधा मिला लिया था। वह पूरी मेहनत से घर का सारा काम करती, स्कूल में काम करती और अपने दोनों बच्चों की पढ़ाई लिखाई और सेहत पर भी पूरा ध्यान देती थी। अपने पति की जरूरतों का भी भरपूर ध्यान रखती थी। इतना सब करने के चक्कर में वह अपनी अवहेलना कर देती थी, क्योंकि उसके पास अपने खुद के लिए समय ही नहीं बच पाता था।

वह कई बार सोचती कि झाड़ू पोछे और बर्तन धोने के लिए एक नौकरानी रख लूं ,पर यह सोच कर रह जाती की महीने में जो छोटी सी रकम वह बचा पाती है वह भी नहीं बच पाएगी। धीरे-धीरे उसने अपनी छोटी सी बचत से अपने बैंक अकाउंट में कुछ पैसे जोड़ लिए थे।

 अब पापा का पुराना स्कूटर बार-बार खराब हो रहा था, तो सुलेख ने सोचा कि अब नई बाइक लेनी ही पड़ेगी ।उसी के लिए उसने अपने मित्रों और रिश्तेदारों से जानकारी लेनी शुरू कर दी थी, जो बाइक अच्छी भी हो और उसके बजट में भी हो। सुनंदा का बहुत मन था की सुलेख उससे भी एक बार बाइक के कलर को लेकर के मशवरा करें। उसने कई बार अपनी तरफ से बताने की कोशिश भी की पर सुलेख उसे झिड़क देता कि तुम चुप रहो यह तुम्हारा काम नहीं है तुम क्या जानो बाइक के बारे में ।सुलेख ने हीरो कंपनी की एक बाइक पसंद की, जो लगभग साठ हजार की थी।

 आज सुलेख बहुत खुश था आखिर इतने दिन की मेहनत के बाद वह अपने लिए बाइक खरीदने जा रहा था ।उसने अपने भाई को शोरूम साथ जाने के लिए फोन करके बुलाया था ,जो थोड़ा दूर रहते थे। सुनंदा भी शोरूम सुलेख के साथ जाना चाहती थी, उसने कहा भी चलो मैं चलूंगी तुम्हारे साथ कलर पसंद करने ।तुम घर पर ही रहो औरतें मशीनरी के बारे में क्या जाने… सुलेख बोला।

सुलेख के भाई ने आते ही कहा चलो।

सुलेख खुशी से जल्दी जल्दी कपड़े पहनने लगा। आज वह बहुत उत्साहित था। तैयार होने के बाद जब वह जाने लगा तो उसने सुनंदा को बुलाया और कहा अपना एटीएम दे दो, और फिर गुनगुनाता हुआ अपने भाई के साथ शोरूम चला गया।


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