नदी की कहानी उसी की जुबानी

नदी की कहानी उसी की जुबानी

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मैंं नदी हूं । मेरे बारे मे सभी जानते है। पर आज सोचा आप सबको अपने मन की बाते बताई जाए। मेरी अनेकों नाम है कुछ लोग मुझे सरिता, नद ,तटिनी, शैलजा, दरिया, तनुजा, सरिता और जयमाला भी कहते हैं । हिमालय की गोद में रहती वही से निकलती हूँ, शांत ,र्निमल कहते है ।पौराणिक कहानियों मे बताते भी हैं कि श्राप की वजह से भागिरथ के नष्ट हो गये थे उनकी मुक्ति के लिएगंगाजल आवश्यक था। तब भगिरथ जी ने तपस्या की और ब्रह्मा जी के कमंड से मुझे धरती पर लाए शिवजी ने तेज प्रवाह से मुझे केशो मे रखा था। तब नाम भागिरथी पडा ।और भागिरथी नदी और अलकनंदा का संगम होने पर गंगा बनती । गंगा की पूजा करते है । इसका जल कभी बैक्टीरिया नही होने देता। आक्सीजन सबसे ज्यादा मिलती है। मच्छर कभी नही बैठ सकते इस पर ।कभी जल दूषित नही होता।

नदी दो तरह की होती है 1) सदानीरा 2)बरसाती

सदानीरा मे गंगा ,यमुना ,कावेरी जो हमेशा रहती हैऔर बहुत नदियां बरसात पर निभर्र रहती है 

बरसाती कहलाती है।मेरी जलधारा का सोत्र झील ,झरना और बारिश है।मेरी एक एक बुँद समाज के लिए है

और मैं पहाडो से मैंदानो तक कलकल करती बहती आई हूँ।मेरे ऊपर बाँध बनाकर बिजली बनाई और नहर से खेत सीचे गये। पर अब मेरा मन बहुत दुखी रहताहै। मैं बहुत सुंदर स्वचछ भी थी पर मनुष्य स्वार्थ से भर गया ,आलसी हो गया ।कुडा, कचरा मेरे ऊपर डाल जाता है ।जबकी कुछ मेरी पूजा तक करते है मैं एक एक बुँद से सबकी सहायता करती हूँ।लालनपालन करती हूँ । 

पर अब प्राकृतिक आपदा आ जाती है। मनुष्य ने जल दूषित कर दिया ,कुडा डालकर, नाले का पानी मिलाकर।

पेड काटता है ।ग्लोबल वारमिंग होने से जिससे बाढ जैसी स्थिति हो जाती है।अगर आप अपने भविष्य को अच्छा चाहते है तो ऐसा ना करे भविष्य मे पानी नही मिले ।बिन पानी जीवन असम्भव है। मैंने आपको दिया ही है कुछ सिखाया है की कितनी भी अवरोध हो रास्ते में अपना रास्ता बनाते जाओ । अपनी हौसले से बडे पत्थर भी तोड देती हूँ ।आप भी बडी मुश्किलों से घबराना नही। एक एक बुँद आपको जीवन देती है मेरी पर अंहकार नही मुझमे ।आप सब मेरा मेरा करके झगडते है अहम से भर चुके हो। शीतल जल से सबकी प्यास बुझाती हूँ । कुछ लोग है , जो मेरे सोत्र बंद होगये थे नदियाँ सूख गयी थी उसमे सात नदियो मे दोबारा पानी लाए मेहनत करके। बहुत खुश हूँ मैं ये सोचकर।

और चल चल कर अंत मे सागर मे मिल जाती हूँ।

आप सब ये वादा करो की मुझे दुखी नही होने दोगे। गंदा ना करोगे कोई करता है तो उसे रोकोगे।

मैं शांत, स्वच्छ रहकर सबको जीवन देना चाहती हूँ मैं नही रही पानी नही मिला तो बिजली नही ,खेत में फसल नहीं। स्वास्थ्य नहीं तो जिओग कैसे। मेरे लिए नहीं तो अपने लिए सोचो। ढेरो आर्शीवाद उन सबको,

जो मुझे पहले जैसा स्वच्छ बना रहे है। सूखी नदियों में फिर से कल-कल करता पानी बहने लगा है। जीवन जीने के लिए मुझे साफ रखिए।


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