नानी की पंसदीदा कहानी
नानी की पंसदीदा कहानी
मेरी नानी अब दुनिया में नहीं पर उनकी यादें अब भी जीवित है। लगता है कल ही की बात है।
मैं छुटटियों में नानी के पास गढ़वाल जाती थी नानी की सुनाई एक सुंदर कहानी। उत्तरखणड का एक प्यारा सा पक्षी घुघुती। गले में सुंदर मोती की काली माला की तरह एक लाइन छपी हुई चैत के महीने में एक गीत गाती है।
"घूघूती बसूती,के खानदी दूध भात कैकू च।"
जेठू भै कु भैया भूखू मी सूती
"और जोर जोर से रोने जैसा क्रंदन। मैं इस पक्षी से प्रभावित हूँ। पहाड़ में बेटियाँ बहुएँ इसकी आवाज सुनकर रो जाती है मायके की याद आ जाती है भाई माता पिता की याद और प्यार। खुदैड़ पक्षी भी कहा जाता है इसे।
एक लडकी घूघूती। जिसका विवाह छोटी उम्र में हो जाता है पति पलटन में फौजदार काम के चलते पहाडों में निपुण बुआरी लानी होती है घास न्यार गाय भैस की देखभाल खेत का काम।
एक दिन भाई की रेबार (संदेश )किसी के पास आया कि आज घूघूती का भाई मिलने आयेगा। घूघूती बहुत खुश थी बहुत खुश। सासु जी से बोली """"जी मेरे भाई आ रहे है और मेरे भाई को खीर पंसद है आप बोलिए मैं खीर बना लूं।
और सासू ने हामी भर दी। पहाडों में उस समय यातायात साधन न थे पदयात्रा करते थे कच्ची सड़कें। इंतजार उस मार्ग पर भाई आयेगा पर शाम हो गई सबने खाया पिया और सो गये परिवार वाले पर घूघूती भूखी पास में खीर रखकर सो गई कि भाई आये तो साथ में खीर खाऐगें दिन भर का इनतजार और थकाऊ काम घूघूती घोडे बेचकर सो गई एक गहरी नीद भाई आया देखा बहन सोई है ज्यादा उचित न समझा। पहले जमाने में और शास्त्रीय मतानुसार सोते को जगाना महापापी कहलाता था। भाई ने काले मोती की माला समलौण (याद आने की एक चीज)बहन के गले मे पहनाकर चला गया। एक नीद पूरी होने पर घूघूती को गले में किसी ठण्डी चीज़ का भान हुआ।घुघुती ने छुआ कि माला मतलब भाई आया और भूखा चला गया न खाया भूखा मेरा भाई मै सो रही थी और विरहन प्रेम की मारी घूघूती के प्राणपखेरु हो गये और वो एक विरहन पक्षी बनकर गीत गाती है और सबको सुनाती है
घूघूती क्या खाऐगी, दूध भात, किसके लिए ? बड़े भाई के लिए, मैं सोई थी, भाई भूखा ! और घुर घुर करती है रोना आ जाता है मैं आज भी रो जाती हूँ। उसका दर्द मुझे अपना लगता है।
